टिंकू और रोशी (बाल कहानी)

विनीत माहेश्वरी (संवाददाता )

टिंकू भारी मन से स्कूल का बैग अलमारी के ऊपर से उतार कर नीचे ले आया। रोशी का भी वही हाल था। दोनों
सुबह जल्दी-जल्दी होमवर्क करने के बाद खेलने निकल जाते। और लौटते समय रोशी रोज टिंकू से पूछता, यार,
छुट्टियां इतनी जल्दी खत्म क्यों हो जाती हैं?
टिंकू और रोशी खरगोश का स्कूल में आखिरी दिन था। कल से छुट्टी। टीचर ने छुट्टियों का होमवर्क देने के बाद
पूछा, होमवर्क के अलावा तुम लोग क्या करोगे छुट्टियों में?
बिल्लू बंदर ने तुरंत जवाब दिया, सर, मैं क्रिकेट खेलूंगा।
टोनी जिराफ अपनी सीट से उठ कर बोला, मैं स्विमिंग करूंगा।

जब टिंकू की बारी आई, तो उसने बिना सोचे-समझे कह दिया, मैं जंगल में पेड़ लगाऊंगा। टीचर ने खुश हो कर
कहा, वेरी गुड। टिंकू बहुत अच्छा काम करने जा रहा है। उसे इस काम में कौन हेल्प करेगा? रोशी ने हाथ उठा
दिया।
टीचर ने उन दोनों की खूब तारीफ की, छुट्टियां खत्म होने के बाद हम सब देखने जाएंगे कि टिंकू और रोशी ने
कौन से पेड़ लगाए हैं।
टिंकू और रोशी को अपनी तारीफ सुन कर अच्छा लगा। क्लास के दूसरे जानवर उन दोनों को बहुत ईष्र्या से देख
रहे थे।
घर लौटते समय रोशी ने टिंकू से पूछा, यार, हमने टीचर से कह तो दिया कि हम पेड़ लगाएंगे, पर यह काम हम
कैसे करेंगे?
टिंकू ने लापरवाही से कहा, पेड़ लगाना बड़ा काम थोड़े ही है, कर लेंगे।
टिंकू और रोशी फिर छुट्टियों की बात करते-करते घर आ गए। घर आते ही टिंकू ने स्कूल का बैग अलमारी के
ऊपर रख दिया और ताली बजाते हुए बोला, पढ़ाई की छुट्टी, और मस्ती शुरू।
टिंकू और रोशी सुबह ही घर से निकल जाते,
पूरा दिन क्रिकेट खेलते, मस्ती करते। शाम को नदी में स्विमिंग करते और घर लौट कर खा-पी कर
सो जाते।
यही करते-करते छुट्टियां कब खत्म होने को आईं, पता ही नहीं चला। स्कूल खुलने में एक हफ्ता भर बाकी था।
टिंकू की मम्मी ने उसे याद दिलाया, टिंकू, तुमने खूब मस्ती कर ली। अब स्कूल का होमवर्क भी कर लो।
टिंकू ने भारी मन से स्कूल का बैग अलमारी के ऊपर से उतार कर नीचे रखा। रोशी का भी वही हाल था। दोनों
सुबह जल्दी-जल्दी होमवर्क करने के बाद खेलने निकल जाते। और लौटते समय रोशी रोज टिंकू से पूछता, यार, ये
छुट्टियां इतनी जल्दी खत्म क्यों हो जाती हैं?
टिंकू आह भर कर कहता, सच में दोस्त। कितना अच्छा होता जो हमें स्कूल ही नहीं जाना पड़ता।
टिंकू की मम्मी उसे स्कूल के लिए नया यूनिफॉर्म दिलवाना चाहती थी। मार्केट में टिंकू की मुलाकात टीचर से हो
गई। टीचर ने टिंकू को देख कर कहा, टिंकू, हम सब स्कूल खुलते ही तुम्हारे लगाए पेड़ देखने चलेंगे। मैं तुमसे
बहुत खुश हूं, इसलिए तुम्हारे लिए एक गिफ्ट ले कर आया हूं। उस दिन दूंगा।
टिंकू हक्का-बक्का रह गया। पेड़? उसने तो लगाए ही नहीं। उसे तो पता भी नहीं था कि पेड़ कहां और कैसे लगाए
जाते हैं।

वह दौड़ते हुए रोशी के घर गया और टीचर वाली बात बताई। रोशी कुछ सोच कर बोला, मेरे चाचा के पास बहुत
बड़ी जमीन है। उन्होंने बहुत सारे पेड़ लगाए हैं। उनसे पूछते हैं कि हमें क्या करना चाहिए।
टिंकू और रोशी उसी समय चाचा के पास पहुंच गए। चाचा ने अपनी जमीन में नीम, आम और जामुन के कई पेड़
लगा रखे थे। रोशी की नजर नीम के बड़े से पेड़ पर पड़ी। उसने तुरंत पूछा, चाचू, क्या यह पेड़ आप हमें दे सकते
हैं?
चाचा हंसने लगे, पेड़ कोई कार थोड़े ही है, जिसे तुम आज यहां, तो कल कहीं और लगा सकते हो। यह पेड़ तो
पच्चीस साल पुराना है।
टिंकू ने धीरे से पूछा, तो फिर हम आज पेड़ लगाएंगे तो इतना बड़ा वो इतने सालों बाद बनेगा?
चाचू ने उन दोनों को समझाते हुए कहा, एक पेड़ को बड़ा होने में कई साल लगते हैं। पर तुम यह सब क्यों पूछ
रहे हो?
रोशी ने उन्हें पूरी बात बता दी। सुन कर चाचा गंभीर हो गए, तुम दोनों को हर काम हंसी-मजाक लगता है। टीचर
तुम्हारी इतनी तारीफ करते हैं और तुम दोनों हो कि..
रोशी और टिंकू का सिर नीचा हो गया। टिंकू की आंखों में तो पानी ही आ गया, चाचू, हमसे गलती हो गई। पर
अब हम क्या करें?
चाचा ने कुछ सोचने के बाद कहा, तुम दोनों कल सुबह छह बजे यहां आ जाना। मेरे पास एक छोटी सी जगह
खाली है और कुछ बीज और पौधे भी हैं।
पूरी रात दोनों सो नहीं पाए। सुबह-सुबह दौड़ते हुए दोनों चाचा के घर पहुंच गए। चाचा उन्हें अपने खेत पर ले गए।
दोनों ने जमीन की गुड़ाई की, खाद डाला, पानी से मिट्टी को भुरभुरा किया और उसमें बीज डाला और पौधे लगाए।
इस काम में दोनों को इतना मजा आया कि कब दस बज गए, पता ही नहीं चला। स्कूल खुलने के अगले दिन ही
टीचर ने कहा छुट्टी के बाद सब लोग टिंकू और रोशी के पेड़ देखने जाएंगे। टिंकू और रोशी को बहुत डर लग रहा
था। चाचू के खेत में दूर से ही नीम के पेड़ की तरफ उंगली करके कहा-वो देखिए..
टीचर ने कुछ आश्चर्य से टिंकू की तरफ देखा, अरे, ये पेड़ तुमने कहां से लगाया? ये तो बहुत पुराना है। चाचा पीछे
ही खड़े थे, उन्होंने बात संभालते हुए कहा, इन दोनों ने नीम के ही पेड़ लगाए हैं। चलिए आपको दिखाता हूं।
चाचा ने घूम-घूम कर टीचर और दूसरे बच्चों को खेत दिखाया और सबके सामने टिंकू और रोशी की तारीफ की,
इन दोनों ने बहुत मेहनत से बीज बोए हैं और मुझसे वादा किया है कि हर संडे आकर खेत में काम करेंगे।
टिंकू और रोशी ने जोर से सिर हिलाया। टीचर ने उन दोनों के हाथ में गिफ्ट पकड़ाया और खुश हो कर कहा, हर
संडे सिर्फ ये दोनों नहीं, बाकी सब भी आएंगे। तभी तो हमारा जंगल हरा-भरा रहेगा और हम सबको साफ हवा और
पानी मिलेगा।

इसके बाद टिंकू और रोशी सच में हर संडे पेड़ लगाने लगे। उनकी ही वजह से आज जंगल खूब हरा-भरा है।

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