वक्फ बोर्ड पर मचे घमासान के बीच UAE के सांसद का बड़ा बयान, कहा-“भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों में निवेश का यही सही समय”

पीएम मोदी और यूएई के शेख मो. बिन जायेद अल-नाह्यान (फाइल)

लक्ष्मी कश्यप (संवाददाता)

दुबई: भारत सरकार द्वारा नया वक्फ बोर्ड बिल लाए जाने के बाद देश के कुछ मुसलमान भले ही मोदी सरकार पर धार्मिक भेदभाव का आरोप लगा रहे हैं, लेकिन दुनिया के ताकतवर मुस्लिम देशों का इससे कोई लेना-देना नहीं है। तमाम ताकतवर मुस्लिम देशों को पीएम मोदी के नेतृत्व पर अटूट भरोसा है। इसीलिए वह सभी भारत के साथ दोस्ती बढ़ाने और अपने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने में जुटे हैं। भारत में वक्फ बोर्ड पर चल रहे घमासान के बीच संयुक्त अरब अमीरात(यूएई) के एक सांसद ने कहा है कि भारत और यूएई के लिए द्विपक्षीय संबंधों में निवेश करने का यह सही समय है, क्योंकि दोनों देशों के पास दूरदर्शी नेतृत्व है।

यूएई में रक्षा मामलों, आंतरिक और विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष अली राशिद अल नुएमी ने दुबई में जारी वैश्विक न्याय, प्रेम व शांति शिखर सम्मेलन के अवसर पर कहा कि अलगाव कभी भी समाधान नहीं है और देशों को दुनिया के सामने आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए मिलकर काम करना चाहिए। अल नुएमी ने कहा, ‘‘हमारे पास दूरदृष्टि रखने वाला सही नेतृत्व है जो चुनौतियों को समझता है और अवसरों को देख सकता है। हमारे द्विपक्षीय संबंधों पर ध्यान केंद्रित करना और इस अवसर का लाभ उठाना बहुत महत्वपूर्ण है।’’ अल नुएमी ने कहा, ‘‘द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से हम जिस पुरानी व्यवस्था को जानते थे, अब हम उससे बंधे नहीं रह गए हैं। हम परिवर्तन के चौराहे पर खड़े हैं।”

आग्रणी रहने के लिए आना होगा एक साथ

शिखर सम्मेलन का उद्घाटन करने वाले नुएमी ने कहा, ‘‘यदि हम अपने समुदाय और अर्थव्यवस्था को अलग-थलग करने में लगे रहेंगे, तो हमें ही नुकसान होगा। हमें अग्रणी रहने का फार्मूला बनाने के लिए एक साथ आना होगा। मेरा मानना ​​है कि यह संभव है।’’ मॉरीशस की पूर्व व पहली राष्ट्रपति अमीना गुरीब-फकीम ने कहा कि यह शिखर सम्मेलन ऐसे समय में हुआ है जब असमानताओं से निपटने की तत्काल आवश्यकता है। फकीम ने ‘कहा, ‘‘अनिश्चितता के इस दौर में, ‘संपन्न’ और ‘वंचित’ के बीच दूरी बढ़ रही हैं। मेरे लिए, असमानता सबसे खराब मुद्दों में से एक है, जिससे तत्काल निपटने की आवश्यकता है।’’ उन्होंने कहा कि न्याय, शांति और प्रेम कुछ ऐसी चीजें हैं जिन्हें महात्मा गांधी ने बहुत पहले ही मानवीय चेतना में शामिल कर दिया था। फकीम ने कहा, ‘‘हमें बस उन्हें आज के दौर में वापस लाने की जरूरत है। इसलिए, हमें जल्द से जल्द इस संवाद की आवश्यकता है।

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