प्रियंका कुमारी(संवाददाता)
12 फरवरी को माघ पूर्णिमा मनाई जा रही है, इस दौरान स्नान-दान का विशेष महत्व माना गया है। धार्मिक मान्यता है कि माघ पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी और चंद्रमा की पूजा करने से जातक के सभी दुख-पीड़ा दूर हो जाते हैं। साथ ही इस दिन पितरों की आत्माशांति के लिए श्राद्ध, तर्पण आदि कार्य भी किए जाते हैं। महाकुंभ के दौरान इस माघ पूर्णिमा का महत्व काफी बढ़ गया है, ऐसे में स्नान के दौरान और स्नान के बाद साधक को कुछ मंत्रों का जप जरूर करना चाहिए, इससे साधक के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। आइए जानते हैं कौन-सा मंत्र बोलना चाहिए…
स्नान के दौरान कौन सा मंत्र बोलें?
माघ पूर्णिमा के दिन स्नान के दौरान जातक को गंगा मंत्र जरूर बोलना चाहिए, इससे भगवान विष्णु और मां गंगा दोनों प्रसन्न होते हैं और साधक को अपना आशीष देते हैं। गंगा मंत्र इस प्रकार है- गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती। नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु।।
स्नान के बाद जपें ये मंत्र
माघ पूर्णिमा तिथि पर मां लक्ष्मी, विष्णुजी और चंद्रमा की पूजा की जाती है। ऐसे में स्नान करने के बाद साधक को कुछ मंत्रों का जप करना चाहिए। कहा जाता है कि इन मंत्रों के जप से जातक के धन-धान्य में वृद्धि होगी।
भगवान विष्णु के मंत्र
ॐ नमो नारायणाय
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।
ॐ विष्णवे नमः
ॐ हूं विष्णवे नमः
ॐ बृहस्पते अति यदर्यो अर्हाद् द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु।
यद्दीदयच्दवस ऋतप्रजात तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम्”।।
वृंदा, वृन्दावनी, विश्वपुजिता, विश्वपावनी।
पुष्पसारा, नंदिनी च तुलसी, कृष्णजीवनी।।
एत नाम अष्टकं चैव स्त्रोत्र नामार्थ संयुतम।
य: पठेत तां सम्पूज्य सोभवमेघ फलं लभेत।।
मां लक्ष्मी का मंत्र
ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं सिद्ध लक्ष्म्यै नमः
ॐ लक्ष्मी नारायण नमः
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं महालक्ष्मी नमः
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः।।
ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ।।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा।।
चंद्रदेव का मंत्र
ऊँ चं चंद्रमस्यै नमः
ऊँ श्रीं श्रीं चन्द्रमसे नमः
ऊँ ऐं क्लीं सोमाय नमः
ऊँ श्रां श्रीं श्रौं चन्द्रमसे नमः
ऊँ चन्द्रपुत्राय विदमहे रोहिणी प्रियाय धीमहि तन्नोबुधः प्रचोदयात।