रेल मदद ऐप पर महिला ने मांगा सेनेटरी पैड, रेलकर्मी ने बाजार से खरीदकर सीट तक पहुंचाया; यात्री ने कहा- थैंक्स

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रेल मदद ऐप पर महिला ने मांगा सेनेटरी पैड, रेलकर्मी ने बाजार से खरीदकर सीट तक पहुंचाया; यात्री ने कहा- थैंक्स

प्रियंका कुमारी (संवाददाता)

दरभंगा से नई दिल्ली जा रही परेशान महिला यात्री ने जब रास्ते में मदद मांगी तो गोरखपुर में उसकी सीट पर सेनेटरी पैड (नैपकिन) पहुंच गया। कंट्रोल रूम से मिली सूचना के बाद रेलवे स्टेशन स्थित यात्री मित्र कार्यालय ने संकोच नहीं किया, बल्कि अपने दायित्व बोध का परिचय कराया। रेलकर्मियों ने मानव संवेदना दिखाते हुए बाजार से पैड खरीदकर हमसफर ट्रेन के गोरखपुर पहुंचने पर महिला यात्री को उपलब्ध कराया। साथ ही यात्री का कुशलक्षेम भी जाना। रेलवे की इस पहल पर यात्री ने आभार तो जताया ही, साथ चल रहे लोगों ने भी सराहना की।

यह है पूरा मामला

महिला यात्री 16 सितंबर को 02569 नंबर की दरभंगा-नई दिल्ली क्लोन एक्सप्रेस के कोच नंबर 11 के बर्थ नंबर 13 पर यात्रा कर रही थी। ट्रेन छपरा से आगे बढ़ी तो यात्री की मुश्किलें बढ़ गईं। वह अपने आप को असहज महसूस करने लगी। यात्रियों की भीड़ के बीच जब कुछ भी नहीं सूझा तो उन्होंने रेल मदद एप के माध्यम से रेलवे से सेनेटरी पैड उपलब्ध कराने की गुहार लगा दी। उनकी मांग कंट्रोल रूम होते हुए गोरखपुर स्टेशन स्थित यात्री मित्र कार्यालय पहुंच गई। यात्री मित्र कार्यालय को यह मांग कुछ अटपटी लगी, लेकिन उप वाणिज्य अधीक्षक (डिप्टी एसएस) वाइएन मिश्रा ने कोई संकोच नहीं किया। कार्यालय सहयोगी को बाजार भेजकर पैड मंगाकर रख लिया। ट्रेन लगभग दो घंटे की देरी से जैसे ही प्लेटफार्म नंबर पांच पर पहुंची उन्होंने सहयोगी के माध्यम से यात्री को निर्धारित सीट पर पैड उपलब्ध करा दिया।

बकौल डिप्टी एसएस महिला यात्री ने रेलवे को थैंक्स बोला और पैड की 70 रुपये कीमत भी दे दी। रेल मदद एप व अन्य माध्यमों से यात्री अपनी समस्याएं और शिकायतें रेलवे तक पहुंचाते रहते हैं, लेकिन यह पहला अवसर है जब किसी महिला यात्री ने पैड की मांग की। गोरखपुर जंक्शन पर प्रतिदिन लगभग चार से पांच यात्रियों के मेडिकल केस आते हैं। ट्रेन के गोरखपुर पहुंचने पर उनका उचित उपचार कराया जाता है। पूर्वोत्तर रेलवे में रेल मदद एप पर मिली शिकायतों का 12 से 15 मिनट में निस्तारण हो जाता है।

स्टेशन पहुंच जाते हैं चिकित्सक महज 100 रुपये में उपचार

सफर के दौरान अचानक तबीयत खराब होने पर परेशान होने की जरूरत नहीं है। रेल मदद एप या हेल्प लाइन नंबर 139 पर मदद मांग सकते हैं। कोच कंडक्टर और गार्ड से भी हेल्प ले सकते हैं। गार्ड (ट्रेन मैनेजर) के पास फर्स्ट एड बाक्स भी उपलब्ध रहता है। यात्री की स्थिति गंभीर होने पर रेलवे प्रशासन अगले स्टेशन पर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराता है। कंट्रोल रूम से सूचना मिलते ही स्टेशन पर रेलवे के चिकित्सक उपस्थित हो जाते हैं। आरपीएफ के सहयोग से एंबुलेंस बुलाकर यात्री को रेफर भी करा दिया जाता है। रेलवे इसके लिए सिर्फ 100 रुपये शुल्क लेता है।

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