Ganesh Chaturthi 2023: आज धूमधाम के साथ मनाई जाएगी गणेश चतुर्थी, जानिए गजानन के जन्म की कथा

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Ganesh Chaturthi 2023: गणेश चतुर्थी आज, देश भर में गूंज रहे हैं गणपति बप्पा  मोरया के नारे | Moneycontrol Hindi

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Ganesh Visarjan 2023 सनातन धर्म में भगवान गणेश को बुद्धि वाणी और विवेक का देवता माना गया है। देशभर में गणेश चतुर्थी को भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि भाद्रपद माह में शुक्ल चतुर्थी के दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था। ऐसे में आइए जानते हैं गणेश जी के जन्म की कथा।

प्रियंका कुमारी (संवाददाता)

हिंदी धर्म में माना गया है कि किसी भी मांगलिक कार्य शुरू करने से पहले यदि गणेश जी की पूजा की जाए तो इससे वह काम निर्विघ्न ढंग से पूरा होता है। गणेशोत्सव के दौरान गणेश जी की पूजा का विशेष महत्व है। गणेश उत्सव, गणेश चतुर्थी से शुरू होकर अनंत चतुर्दशी यानी गणेश विसर्जन पर समाप्त होता है। इस वर्ष गणेश चतुर्थी की शुरुआत 19 सितंबर 2023 से हो रही है, वहीं इसका समापन 28 सितंबर 2023 को होगा।

इसलिए दिया गणेश नाम

गणेश जी के जन्म को लेकर अलग-अलग पुराणों में अलग-अलग कथाएं होती हैं लेकिन जो सबसे प्रचलित कथा है वह शिव पुराण में मिलती है जिसके अनुसार माता पार्वती ने अपनी शक्ति से गणेश जी को प्रकट किया था। जब वह स्नान करने जा रही थी तो उन्होंने हल्दी का उबटन लगाया और उस उबटन को उतारकर एक पुतला बना दिया। इसके बाद उन्होंने अपनी शक्ति द्वारा इसमें प्राण डाल दिए और कहा कि तुम गण का स्वामी बनोगे इसलिए मैं तुम्हें गणेश नाम देती हूं।

गणेश और शिव गणों के बीच युद्ध

लेकिन यह कथा केवल यही पर समाप्त नहीं होती। इसके बाद माता पार्वती ने गणेश जी को आदेश दिया के तुम द्वार पर बैठ जाओ और किसी को अंदर मत आने देना। तब तक गणेश जी नहीं जानते थे कि उनके पिता कौन हैं। इतने में वहां शिवा जी आ जाते हैं, लेकिन भगवान गणेश अपनी माता के आदेश का पालन करते हुए उन्हें अंदर प्रवेश नहीं करने देते। शिव जी के बहुत समझाने के बाद भी वह उन्हें अंदर प्रवेश नहीं करने देते। इसके बाद गणेश और शिव गणों के बीच भयंकर युद्ध होता है, लेकिन गणेश जी सभी को हरा देते हैं। इस पर महादेव अत्यंत क्रोधित हो जाते हैं और वह त्रिशूल से गणेश जी का सिर काट देते हैं।

शिव जी ने किया पुनर्जीवित

जब यह बात माता पार्वती को पता चलती है तो वह विलाप करने लगते हैं और शिव जी से कहती है कि यदि आपने मेरे पुत्र को फिर से जीवित नहीं किया तो मैं यहीं पर अपने प्राण त्याग दूंगी। तब भगवान शिव अपने गणों को यह आदेश देते हैं कि तुम्हें जिसका भी सिर सबसे पहले मिले उसे ले आओ। शिवगणों को सबसे पहला सिर हाथी का दिखाई दिया जिस कारण वह हाथी का कर लेकर आते हैं। भगवान शिव गणेश पर हाथी का सिर लगाकर उन्हें फिर से जीवित कर देते हैं।

देवताओं ने दिया आशीर्वाद

इस घटना के दौरान वहां मौजूद सभी देवता गणेश जी को कई तरह के आशीर्वाद देते हैं, जिस कारण गणेश जी की शक्तियां और भी बढ़ जाती हैं। तभी गणेश भगवान को यह भी आशीर्वाद मिलता है कि किसी भी मांगलिक कार्य से पहले सर्वप्रथम उन्हें ही पूजा जाएगा।

 

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