



प्रियंका कुमारी(संवाददाता)
: जन्माष्टमी का त्योहार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन भगवान श्री कृष्ण माता देवकी के गर्भ से अवतरित हुए थे। इस बार की जन्माष्टमी और भी खास होने वाली है क्योंकि इस वर्ष जन्माष्टमी यानी 6 सितंबर को जयंती योग का बहुत ही दुर्लभ संयोग बन रहा है।
यह जन्माष्टमी है और भी खास
इस वर्ष अधिकांश जगहों पर श्री कृष्ण जन्माष्टमी 6 सितंबर को मनाई जा रही है। साथ ही इस दिन अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र का भी संयोग बन रहा है। इस बार की जन्माष्टमी इसलिए भी खास है क्योंकि 6 सितंबर, बुधवार के दिन जब चंद्रमा वृषभ राशि में विराजमान रहेंगे तो बेहद शुभ योग हर्षण योग बनेगा, यह वहीं संयोग है जो द्वापर युग में वास्तव में कृष्ण जन्म के दौरान बने थे।
जयंती योग में व्रत के लाभ
जयंती योग में जन्माष्टमी का व्रत करने से जातक को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही इस योग में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से जातकों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। इस जयंती योग में व्रत करने से पूर्वजों को प्रेत योनी से छुटकारा मिलता है। साथ ही आप जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर बांसुरी, कामधेनु गाय की मूर्ति, चंदन आदि खरीदकर भगवान कृष्ण को अर्पित कर सकते हैं। इससे व्यक्ति को समृद्धि की प्राप्ति होती है।