नई दिल्ली, अजय राय। G20 Summit in Delhi: जी-20 शिखर सम्मेलन को लेकर पंचतारा होटलों ने कमरे का किराया पांच से 10 गुना बढ़ा दिया है। ऐसे में कई राष्ट्राध्यक्ष आलीशान सुइट में ठहरने के बजाय अपने उच्चायोग या दूतावास को तरजीह दे रहे हैं। इसका एक कारण रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण कमजोर पड़ी अर्थव्यवस्था भी है।

लगातार महंगाई रोकने की काट खोज रहे कई देशों के राष्ट्राध्यक्ष विदेश दौरे पर महंगे होटलों या आलिशान सुइट में ठहरने से परहेज कर रहे हैं, ताकी उनके देश के लोगों को यह न लगे वे महंगाई को लेकर बेपरवाह हैं।

28 होटलों के भेजी गई थी सूची

फरवरी 2022 में शुरू हुए रूस-यूक्रेन युद्ध व इससे पहले आए कोविड महामारी के कारण कई पश्चिमी देशों की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा है। इससे उन देशों में महंगाई का दौर अब भी जारी है। इसी बीच, जी-20 शिखर सम्मेलन में सदस्य देशों के कई राष्ट्राध्यक्ष दिल्ली आ रहे हैं। सरकार की तरफ से दिल्ली व गुरुग्राम के करीब 28 पंचतारा होटलों की सूची इन सदस्य देशों को सौंपी गई है, ताकी वे अपनी पसंद के होटल में सम्मेलन के दौरान ठहर सकें।

लेकिन, पांच से 10 गुना महंगे हो चुके होटलों में बड़े बड़े देशों के राष्ट्रध्यक्ष ठहरने से कतराने लगे हैं। दो देशों के राष्ट्राध्यक्ष ने तो अपने उच्चायोग या दूतावास में ही ठहरने का फैसला किया है। किसी अहम बैठक के लिए जरूर एक सुइट बुक करा लिया है। एक देश के राष्ट्राध्यक्ष ने तो होटल में सामान्य कमरा बुक किया है।

होटलों में नहीं रुकना चौंकाने वाला कदम

होटलों में कमरे की बुकिंग में मामले में कुछ देश ऐसे भी है, जिन्होंने काफी ज्यादा बुकिंग की है। इसमें राष्ट्राध्यक्ष के लिए सुइट के साथ अन्य लोगों के लिए कमरा, बिजनेस मीटिंग के लिए बैंकवेट हाल की भी बुकिंग की है। एक पंचतारा होटल में प्रबंधन से जुड़े अधिकारी ने बताया कि कई राष्ट्राध्यक्षों के होटल

में नहीं रुकने या सामान्य कमरा बुक कराना चौंकाने वाला है, जबकि महंगा होने के बावजूद हमारे होटलों में ठहरने की कीमत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ही हैं।

अधिकारी ने बताया कि महीनों पहले जी-20 सदस्य देशों के उच्चायोग या दूतावास के लोग होटल देख रहे थे और इस क्रम में मोलभाव भी खूब किया गया। जिस देश ने ज्यादा कमरे बुक किए उसे हमने 30 प्रतिशत तक छूट भी दी, लेकिन अगर कोई एक ही सुइट या सामान्य कमरा ले रहा है तो उसमें ज्यादा कुछ करने की गुंजाइश नहीं थी।

बता दें कि कई देशों व संस्थानों के अधिकारियों के सामने होटल में रूकने तक का संकट है। चूंकि उनका एक दिन का भत्ता होटलों में कमरे लेने के लिए पर्याप्त नहीं है। सरकार की तरफ से इन्हें एनसीआर के छोटे होटलों में भेजा जा रहा है।