नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि सीजीएसटी अधिनियम की धारा 67(2) तलाशी के दौरान परिसर में उपलब्ध धन को जब्त करने का अधिकार नहीं देती है। न्यायमूर्ति विभू बाखरू और न्यायमूर्ति पुरुषइंद्र कुमार कौरव की पीठ ने विभाग को जब्त की गई राशि याचिकाकर्ता को वापस करने का निर्देश दिया है।

कोर्ट ने दो सप्ताह की अवधि के भीतर ब्याज सहित राशि को याचिकाकर्ता के बैंक खाते में भेजने के लिए कहा। याचिकाकर्ता ने याचिका में विभाग को 15.92 लाख रुपये जारी करने का निर्देश जारी करने की मांग की थी। यह राशि विभाग ने तलाशी के दौरान जब्त की थी।

जीएसटी एक्ट की धारा 67 के तहत ली गई थी तलाशी

विभाग ने याचिकाकर्ता के आवासीय परिसर में केंद्रीय माल और सेवा कर अधिनियम (सीजीएसटी) की धारा 67 के तहत तलाशी ली थी। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि विभाग के पास याचिकाकर्ता के परिसर में तलाशी लेने का कोई कारण नहीं था।

वह सीजीएसटी अधिनियम के तहत ‘करदाता’ नहीं है। तलाशी के दौरान संबंधित अधिकारियों ने याचिकाकर्ता के परिसर में एक लॉकर में रखे विभिन्न दस्तावेज के साथ भारतीय मुद्रा को भी जब्त कर लिया था।

तलाशी के दौरान मौजूद नहीं था याचिकाकर्ता

याचिकाकर्ता का दावा है कि वह तलाशी के समय मौजूद नहीं था, लेकिन परिवार के सदस्यों ने अधिकारियों से रकम जब्त न करने का अनुरोध किया था। उन्होंने बताया था कि यह रकम परिवार की है। एहतियात के तौर पर मुद्रा को लॉकर में रखा गया था, क्योंकि घर के नवीनीकरण और निर्माण का काम चल रहा था।

परिसर में कई मजदूर काम कर रहे थे। विभाग ने दावा किया था कि याचिकाकर्ता ने स्वीकार किया था कि वह फर्जी चालान जारी करने वाले रैकेट में अन्य आरोपितों के साथ शामिल था। अधिकारियों का दावा है कि इन्होंने बिना माल की आपूर्ति किए ही विभिन्न फर्मों से चालान जारी किए।

‘अधिकारियों के धमकी पर हस्ताक्षर किए कई कागज’

याचिकाकर्ता ने कहा कि उसने अधिकारियों की धमकी पर कई दस्तावेजों और बयानों पर हस्ताक्षर किए थे। वह किसी भी आपूर्ति में शामिल नहीं था और न ही करदाता है। कोर्ट ने माना कि जीएसटी अधिनियम की धारा 67(2) मुद्रा की किसी भी जब्ती का अधिकार नहीं देती है।