Kota में इस साल हर माह तीन छात्रों की गई जान, 24 मौतों के बाद जागी सरकार; आखिर क्यों मौत को गले लगा रहे बच्चे

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कोटा में एक और छात्र ने किया सुसाइड, छह दिन में 3 छात्रों ने की आत्महत्या -  Kota Coaching Student Suicide Rajasthan News aspirant Suicide ntc - AajTak

प्रियंका कुमारी(संवाददाता)

 एक बेहतर इंजीनियर और डॉक्टर बनने की चाह में मीलों दूर से बच्चे राजस्थान के कोटा आकर नीट, आईआईटी व अन्य परीक्षाओं की तैयारी में जुट जाते हैं। कुछ समय बीतता है और उनकी मौत का समाचार आ जाता है। बीते कुछ सालों में ऐसे कई मामले आए हैं, जहां छात्र आत्महत्या जैसा कदम उठाने को मजबूर हो रहे हैं।

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छात्रों के आत्महत्या के बढ़ते मामलों से हर कोई चिंतित है। हर दस दिन में एक छात्र की मौत से सब हैरान है। अब तो कोटा को सुसाइड कैपिटल तक कहा जाने लगा है। जिला प्रशासन के कई कदम उठाए जाने के बावजूद आत्महत्या के मामलों की संख्या में कमी नहीं आ रही है।

इस बीच आज प्रशासन ने एक और बड़ा कदम उठाया है और तत्काल प्रभाव से दो महीने के लिए कोचिंग सेंटरों पर परीक्षाओं पर रोक लगाने के निर्देश जारी किए हैं। इस साल की शुरुआत से अब तक 23 बच्चे अपनी जीवन लीला समाप्त कर चुके हैं, लेकिन प्रशासन अब जाकर हरकत में आया है।

आइए, जानते हैं आखिर क्या है इसके पीछे का कारण और अशोक गहलोत सरकार ने हाल ही में कौन से बड़े कदम उठाए हैं…

सबसे ज्यादा किस महीने में हुई मौत

बीते आठ महीने में कोटा के कोचिंग संस्थाओं में यूपी-बिहार समेत कई राज्यों से पढ़ने आए 23 बच्चों ने पढ़ाई के बोझ में दबकर जान दे दी है। सबसे ज्यादा 7 आत्महत्या के मामले अगस्त और जून महीने में आए हैं। वहीं, जुलाई में 2 औक मई में 5 आत्महत्या के मामले आए हैं।

कोई पंखे से लटका तो कोई हॉस्टल से कूदा

कोटा के कई हॉस्टलों से बच्चों के आत्महत्या के मामले सामने आए हैं। सबसे ज्यादा मामले पंखे से लटककर जान देने के आए हैं। कई बच्चों ने तो हॉस्टल की छत से कूदकर ही जान दे दी। सबसे चौंकाने वाला मामला 14 जून का था। जब महाराष्ट्र से आए माता-पिता के मिलने के तुरंत बाद ही छात्र ने आत्महत्या कर ली थी।

क्यों आत्महत्या कर रहे बच्चे


छात्रों के आत्महत्या 
करने के पीछे का सबसे बड़ा कारण पढ़ाई का बोझ और बढ़ती प्रतिस्पर्धा भी है। इसमें पीछे बच्चे के माता-पिता को भी वजह माना जाता है। कई विशेषज्ञों का तो यहां तक कहना है कि माता-पिता बच्चों को खुद किसी से दोस्ती न करने की हिदायत देते हैं और उन्हें अपना प्रतिस्पर्धी मानने को बोलते हैं।

सरकार ने क्या सख्ती बरती

दो महीने के लिए परीक्षाओं पर रोक

कोटा में छात्रों के बढ़ते आत्महत्या के मामलों को देखते हुए अब सरकार ने बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य का हवाला देते हुए कोचिंग संस्थाओं की परीक्षाओं पर दो महीने के लिए रोक लगा दी। प्रशासन का कहना है कि छात्रों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए कोटा में संचालित सभी कोचिंग संस्थानों में समय-समय पर आयोजित की जाने वाली परीक्षाओं पर अगले दो महीने के लिए तत्काल प्रभाव से रोक लगाई गई है।

सीएम गहलोत ने समिति की गठित

इस महीने की शुरुआत में ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी आत्महत्या के मामलों में चिंता जताई थी और बढ़ती आत्महत्या के मामलों की जांच के लिए एक समिति का गठन किया और उसे जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा।

स्प्रिंग-लोडेड पंखे लगे

प्रशासन की कई बैठकों के बाद एक बड़ा कदम बच्चों के कमरों में स्प्रिंग-लोडेड पंखे लगाने का निर्देश जारी करना रहा। इन पंखों की खासियत ये है कि 20 किलो से ज्यादा वजन डालने पर पंखे पर लगा स्प्रिंग फैल जाता है और आत्महत्या करना असंभव हो जाता है।

हॉस्टल में लगाए गए जाल

मौत के मामले कम करने के लिए सरकार के निर्देशानुसार हॉस्टलों में जाल लगाए गए हैं। प्रशासन का मानना है कि इससे ऊंची मंजिलों से कूदना रोका जा सकता है।

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