



पिंकी कश्यप(सवांददाता)
पोल पॉट ने कंबोडियन नरसंहार (1975-1979) के नाम से जाने जाने वाले काल के दौरान खमेर रूज का नेतृत्व करते समय 2.5 मिलियन (25 लाख) कंबोडियाई लोगों का नरसंहार किया था। इस नरसंहार का उद्देश्य शहरीकरण उद्योग और पश्चिमी प्रभावों को समाप्त करके एक कृषि प्रधान साम्यवादी समाज बनाना था। आइए जानते हैं इस खूंखार तानाशाह के बारे में…
HIGHLIGHTS
- 20वीं सदी के सबसे खूंखार तानाशाहों में से एक था पोल पॉट
- 25 लाख लोगों को पोल पॉट ने उतारा मौत के घाट
- वियतनामी सैनिकों ने पोल पॉट के क्रूर शासन को 1979 में उखाड़ फेका
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। “किसी दुश्मन को गलती से छोड़ देने से बेहतर है कि गलती से कोई निर्दोष मारा जाए।” इस एक पंक्ति को पढ़ के शायद आप सोच रहे होंगे कि यह बात किसी बड़े ही बौद्धिक और विचारक व्यक्ति ने कही होगी। ऐसा भी लग सकता है कि ऐसी गहरी बातें सिर्फ बड़े विचारक ही बोल सकते हैं, लेकिन मैं आपको बता दूं कि आप बिल्कुल गलत सोच रहे हैं। यह बात किसी ज्ञानी व्यक्ति या विचारक की नहीं है, बल्कि एक ऐसे तानाशाह की है जिसने इतिहास में सबसे खूंखार दरिंदे के रूप में अपनी पहचान बनाई। यह तानाशाह है ‘पोल पॉट’। यह कंबोडिया का ऐसा तानाशाह था जो कंबोडियाई क्रांतिकारी नेता के रूप में प्रसिद्ध था। ऐसा क्रूर तानाशाह जिसका शासन 20वीं सदी के इतिहास में सबसे खूनी शासनों में से एक माना जाता है।
आज तानाशाहों की कहानी श्रृंखला के छठे भाग में हम बात करेंगे एक ऐसे क्रूर तानाशाह के बारे में जिसका नाम ‘पोल पॉट’ (POL POT) है। पोल पॉट का शासन पूरे कंबोडिया में एक आतंक के दौर के रूप में याद किया जाता है। इस तानाशाह के शासन में कम्बोडियन जनता भय, क्रोध, यातना, गरीबी और भूख की चक्की में पिसती रही और खुद को असहाय महसूस करती रही। इस तानाशाह की क्रूरता से बचे लोग अभी भी अपने अतीत के साथ समझौता करने की कोशिश कर रहे हैं, जो उसके पागलपन की दिल दहला देने वाली यादों से भरी है।
पोल पॉट ने कंबोडियन नरसंहार (1975-1979) के नाम से जाने जाने वाले काल के दौरान खमेर रूज का नेतृत्व करते समय 2.5 मिलियन (25 लाख) कंबोडियाई लोगों का नरसंहार किया था। इस नरसंहार का उद्देश्य शहरीकरण, उद्योग और पश्चिमी प्रभावों को समाप्त करके एक कृषि प्रधान साम्यवादी समाज बनाना था। पोल पॉट के शासन के तहत कंबोडिया में लोग बड़े पैमाने पर मानवाधिकार हनन, जबरन श्रम और यातना के शिकार हुए। तो आइए जानते हैं, एक ऐसे तानाशाह के बारे में जिसने अपनी सनक में कई लाख लोंगो को मौत के घाट उतार दिया।
कौन था पोल पॉट?
पोल पॉट एक नेता था जिसने कम्युनिस्ट खमेर रूज सरकार में 1975 से 1979 तक कंबोडिया का नेतृत्व किया था। खमेर रूज नामक कम्बोडियाई साम्यवादी आंदोलन के नेता और 1975 से 1979 के मध्य लोकतांत्रिक कम्पूचिया के प्रधानमंत्री थे। उस समय के दौरान, कम से कम 2.5 मिलियन कंबोडियाई लोग भुखमरी, फांसी और बीमारी जैसे कई कारणों से मौत के घाट उतारे गए।
एक मार्क्सवादी-लेनिनवादी और खमेर जातीयराष्ट्रवादी के रूप में, उन्होंने 1963 से 1981 तक कंपूचिया की कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव के रूप में कार्य किया और कंबोडिया के कम्युनिस्ट आंदोलन, खमेर रूज के सदस्य थे। उनके प्रशासन के तहत कंबोडिया एक दलीय कम्युनिस्ट राज्य में बदल गया था। खमेर रूज नेताओं ने वर्गहीन कम्युनिस्ट समाज बनाने की कोशिश करते हुए बुद्धिजीवियों, शहर के निवासियों, जातीय वियतनामी, सिविल सेवकों और धार्मिक नेताओं को निशाना बनाया। कुछ इतिहासकार पोल पॉट शासन को हाल के इतिहास में सबसे क्रूर और हिंसक में से एक मानते हैं।
कैसा था पोल पॉट का बचपन?
पोल पॉट को सलोथ सार के नाम से भी लोग जानते थे। पोल पॉट का जन्म सलोथ सार के रूप में 19 मई, 1925 को प्रीक सबौव, कम्पोंग थॉम, फ्रेंच इंडोचाइना में एक चावल किसान पेन सलोथ और सोक नेम के यहां हुआ था। वह दंपति से पैदा हुए नौ बच्चों में से आठवां था। साल 1935 में, पोल ने नोम पेन्ह में एक कैथोलिक स्कूल ‘इकोले मिचे’ में भाग लेने के लिए अपना गांव छोड़ दिया, जहां वे अपने चचेरे भाई मीक के साथ रहे। बहुत मेधावी छात्र नहीं होने के कारण पोल ने तकनीकी पढ़ाई की ओर रुख किया। साल 1949 में, पोल पॉट को पेरिस में रेडियो इलेक्ट्रॉनिक्स का अध्ययन करने के लिए छात्रवृत्ति मिली। वहां, वह ‘सर्कल मार्क्सिस्ट’ में शामिल हो हुआ जिसमें पेरिस में खमेर छात्र और फ्रांसीसी कम्युनिस्ट पार्टी शामिल थी। वह अपनी परीक्षा में दो बार असफल हुआ और 1953 में कंबोडिया वापस आ गया। उसने घर लौटने वाले सभी ‘सर्कल’ सदस्यों को कम्युनिस्ट क्रांतिकारी संगठन ‘खमेर वियत मिन्ह’ में शामिल होने की सलाह दी।
कंबोडिया में कैसे हुआ इस तानाशाह का उदय
कंबोडिया एक दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्र है जिसकी सीमा थाईलैंड, लाओस और वियतनाम से लगती है। एशिया में शीत युद्ध और विशेष रूप से वियतनाम युद्ध के प्रभाव में फंसे, कंबोडिया पर 1975 में कम्युनिस्ट क्रांतिकारियों का कब्ज़ा हो गया। इन कम्युनिस्टों, जिन्हें दुनिया खमेर रूज के नाम से जानती है। इन सभी कम्युनिस्ट ने कंबोडिया में आमूल-चूल परिवर्तन किया और एक नरसंहार को अंजाम दिया। मानव इतिहास में इस नरसंहार को सबसे भयानक नरसंहारों में से एक माना गया।
कंबोडिया को नवंबर 1953 में स्वतंत्रता दी गई थी। कंबोडिया का भाग्य आमतौर पर शीत युद्ध और विशेष रूप से वियतनाम युद्ध से प्रभावित था। इसके नेताओं ने सबको आगे बढ़ाने की राह पर चलने की कोशिश की, लेकिन कंबोडिया वर्षों तक हवाई बमबारी, राजनीतिक विभाजन, विदेशी हस्तक्षेप और गृह युद्ध में उलझा रहा। 1975 में, क्रूर पोल पॉट के नेतृत्व में वामपंथी विद्रोह ने कंबोडियाई सरकार पर कब्ज़ा कर लिया था। खमेर रूज के अनुसार, कंबोडिया को शुद्ध किया जाना था और खमेर रूज ने कहा देश एक सरल कृषि जीवन बहाल किया जाएगा, और सामाजिक सद्भाव बहाल किया जाएगा। पोल पॉट के जानलेवा प्रयोग के परिणामस्वरूप कंबोडिया में 25 लाख लोग मारे गये।