



पिंकी कुमारी (संवाददाता)
Hanuman Mantra ज्योतिषियों की मानें तो हनुमान जी की पूजा- उपासना करने से कुंडली में मंगल मजबूत होता है। साथ ही अशुभ ग्रहों का प्रभाव समाप्त हो जाता है। इससे करियर और कारोबार में मन मुताबिक सफलता मिलती है। अगर आप भी हनुमान जी का आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो मंगलवार के दिन श्रद्धा भाव से हनुमान जी की पूजा करें।
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Hanuman Mantra: सनातन धर्म में मंगलवार का दिन भगवान श्रीराम के परम भक्त हनुमान जी को समर्पित होता है। इस दिन विधि विधान से बजरंगबली की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही उनके निमित्त मंगलवार का व्रत रखा जाता है। ज्योतिषियों की मानें तो हनुमान जी की उपासना करने से कुंडली में मंगल ग्रह मजबूत होता है। साथ ही अशुभ ग्रहों का प्रभाव समाप्त हो जाता है। इससे करियर और कारोबार में मन मुताबिक सफलता मिलती है।धार्मिक मान्यता है कि हनुमान जी की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में व्याप्त सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं। साथ ही घर में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है। अगर आप भी हनुमान जी का आशीर्वाद पाना चाहते हैं, तो मंगलवार के दिन श्रद्धा भाव से हनुमान जी की भक्ति करें। साथ ही पूजा के समय इन मंत्रों का जाप करें। इन मंत्रों के जाप से जीवन में व्याप्त सभी दुख और संकट दूर हो जाते हैं। आइए, मंत्र जानते हैं-
पूजा के समय करें इन मंत्रों का जाप
सिद्धि प्राप्ति हेतु मंत्र
ॐ हनुमते नमः
शत्रुओं से मुक्ति हेतु मंत्र
ॐ पूर्वकपिमुखाय पच्चमुख हनुमते
टं टं टं टं टं सकल शत्रु सहंरणाय स्वाहा।
प्रेत बाधा निवारण मंत्र
ॐ दक्षिणमुखाय पच्चमुख हनुमते करालबदनाय
नारसिंहाय ॐ हां हीं हूं हौं हः सकलभीतप्रेतदमनाय स्वाहाः।
प्रनवउं पवनकुमार खल बन पावक ग्यानधन।
जासु हृदय आगार बसिंह राम सर चाप घर।।
लाभ प्राप्ति हेतु मंत्र
अज्जनागर्भ सम्भूत कपीन्द्र सचिवोत्तम।
रामप्रिय नमस्तुभ्यं हनुमन् रक्ष सर्वदा।।
मुकदमे में विजयश्री हेतु मंत्र
पवन तनय बल पवन समाना।
बुधि बिबेक बिग्यान निधाना।।
धन प्राप्ति हेतु मंत्र
मर्कटेश महोत्साह सर्वशोक विनाशन ।
शत्रून संहर मां रक्षा श्रियं दापय मे प्रभो।।
अच्छी सेहत हेतु मंत्र
हनुमान अंगद रन गाजे।
हांके सुनकृत रजनीचर भाजे।।
नासे रोग हरैं सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बल बीरा।।
हनुमान जी को प्रसन्न करने हेतु मंत्र
सुमिरि पवन सुत पावन नामू।
अपने बस करि राखे रामू।।
क्षमा-प्रार्थना हेतु मंत्र
मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं कपीश्वर |
यत्पूजितं मया देव! परिपूर्ण तदस्तु मे ||