Kachori History: ठंडे मसाले के इस्तेमाल से बनाई गई थी कचौड़ी, जानें देशभर में कैसे पहुंचा इसका स्वाद

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history of Kachori. कचौड़ी का इतिहास

प्रिया कश्यप (सवांददाता)

Kachori History भारत में कई सारे स्ट्रीट फूड मशहूर है। कचौड़ी इन्हीं व्यंजनों में से एक है जिसे हर कोई खाना पसंद करते हैं। देशभर में कई तरह की कचौड़ियां मशहूर हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जिस कचौड़ी को आप चटकारे के साथ खाना पसंद करते हैं आखिर उसकी शुरुआत कैसे हुई? अगर नहीं तो चलिए जानते हैं कचौड़ी के इतिहास के बारे में-

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Kachori History: भारत अपनी विविधताओं के लिए दुनियाभर में जाना जाता है। यहां की संस्कृति और परंपराओं से आकर्षित होकर लोग पूरी दुनिया से खिंचे चले आते हैं। यहां हर राज्य की अपनी अलग बोली, रहन-सहन और पहनावा है। अपनी कला, संस्कृति और परंपराओं के अलावा भारत अपने खानपान के लिए भी पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। यहां के खानपान का अपना अलग स्वाद है, जो पूरी दुनिया में पसंद किया जाता है। हालांकि, इस देश की विविधता यहां के खानपान में भी देखने को मिलती है।

यहां के हर राज्य और शहर का अपना अलग स्वाद है। भारत में कई सारे स्ट्रीट फूड मशहूर हैं, जिन्हें लोग बड़े शौक से खाते हैं। कचौड़ी इन्हीं स्ट्रीट फूड में से एक है। देशभर में राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की कचौड़ी का स्वाद काफी मशहूर है। लोग इसे अलग-अलग चटनियों के साथ बड़े शौक से खाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जिस कचौड़ी को आप चटकारे लेकर खाते हैं, आखिर उसकी शुरुआत कैसे हुई। अगर नहीं तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कचौड़ी के इतिहास के बारे में-

कैसे हुई कचौड़ी की शुरुआत

आमतौर पर भारत में मशहूर कई सारे व्यंजनों का इतिहास दूसरे देशों से जुड़ा हुआ है, लेकिन अगर आप बात करें कचौड़ी की, तो इसकी शुरुआत भारत में ही हुई थी। हालांकि, इसे लेकर कोई साक्ष्य मौजूद नहीं है,लेकिन ऐसा माना जाता है कि कचौड़ी शुरुआत में राजस्थान के मारवाड़ से हुई थी। कचौड़ी का इतिहास सदियों पुराना माना जाता है। वहीं, बात करें इसके रचयिता की तो, मारवाड़ी समाज यानी मारवाड़ियों ने कचौड़ा बनाने की शुरुआत की थी।

पूरे देश में ऐसे पहुंचा कचौड़ी का स्वाद

दरअसल, पुराने समय में राजस्थान के मारवाड़ से व्यापारिक रास्ता गुजरा करता था। ऐसे में यहां के गर्म मौसम की वजह से लोगों के बीच ठंडे मसाले का चलन का था। इस मसाले के तहत धनिया, सौंफ और हल्दी का इस्तेमाल किया जाता था। बाद में मारवाड़ियों ने इन्हीं मसालों के इस्तेमाल से कचौड़ी बनाने की शुरुआत की। यहां बनाई गई कचौड़ की बिक्री राजस्थान में व्यापरियों के मार्गों पर की जाने लगी और फिर देखते ही देखते पूरे देश में मशहूर हो गई।

देशभर में मशहूर कई तरह की कचौड़ियां

बदलते समय के साथ कचौड़ी के स्वाद और इसके बनाने के तरीकों में भी बदलाव होने लगे। मौजूद समय में देश के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नाम से विभिन्न तरह की कचौड़ियों का स्वाद चखने को मिलता है। इनमें राज कचौड़ी, मावा कचौड़ी, प्याज की कचौड़ी, नागौरी कचौड़ी, बनारसी कचौड़ी, हींग कचौड़ी, मूंग दाल की कचौड़ी आदि शामिल हैं।

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