वृंदावन में बांकेबिहारी मंदिर घूमने के साथ इन मंदिरों में भी दर्शन का निकालें समय, मन मोह लेती है खूबसूरती

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मथुरा-वृंदावन के इन 5 मंदिरों में दिखेगी जन्माष्टमी की असल रौनक

प्रिया कश्यप (सवांददाता)

मथुरा का बेहद शांत और आनंदप्रिय वातावरण सभी का मन मोह लेता है। ब्रज में चारों तरफ भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की पूजा अर्चना आरती और मंत्रोउच्चारण की ध्वनियों से वातावरण भक्तिमय रहता है। अगर आप वृंदावन में एक दिन का समय निकालकर बांकेबिहारी मंदिर में दर्शन के लिए जा रहे हैं तो पास ही के कुछ मंदिर और भी हैं जिनके दर्शन का लाभ आप ले सकते हैं।

मथुरा में वैसे तो एक दिन का समय किसी भी श्रद्धालु के लिए कम है। यहां जितना समय बिताएंगे उतना कम ही लगेगा। वृंदावन में कुछ मंदिर बेहद प्राचीन हैं जिनके दर्शन कर आप एक दिन के भ्रमण पर कर सकते हैं। इस लेख के जरिए हम आपको बता रहे हैं कि वृंदावन में कौन कौन से मंदिर देखने लायक है।

श्रीबांकेबिहारी मंदिर

वृंदावन की कुंज गलियों में स्थित श्रीबांकेबिहारी मंदिर में दर्शन के लिए रोजाना हजारों कृष्ण भक्त पहुंचते हैं। ठाकुरजी के दर्शन के बाद यहां की गलियों में बनी दुकानों से लोग पेड़े का प्रसाद लेते हैं और चाट-लस्सी का मजा लेते हैं। श्रीबांकेबिहारी मंदिर में ठाकुरजी का मुरली बजाते हुए का विग्रह है। स्वामी हरिदास की भक्ति से प्रसन्न होकर ठाकुरजी यहां आकर बसे थे। श्रीबांकेबिहारी मंदिर में अक्षय तृतीय पर चरण दर्शन, प्राकट्य उत्सव, गर्मियों में फूल बंगला की सेवा की जाती है। मंदिर में दर्शन का समय सर्दी और गर्मी में बदलता है।

निधिवन

वृंदावन का निधिवन अपने आप में कई रहस्यों को समेटे है। यहां तुलसी का हर पौधा जोड़े में है और मान्यता है कि जब श्रीकृष्ण और राधा रासलीला करते हैं तो ये तुलसी के पौधे गोपियां बन जाती हैं और सुबह होने से पहले तुलसी के पौधे में परिवर्तित हो जाते हैं। यहां लगे वृक्षों की शाखाएं ऊपर की ओर नहीं बल्कि नीचे की ओर बढ़ती हैं। ये पेड़ ऐसे फैले हैं कि रास्ता बनाने के लिए इन पेड़ों को डंडे के सहारे रोका गया है।

श्रीराधा रमण मंदिर

इस मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप की पूजा होती है। यहां भगवान का यह विग्रह खुद प्रकट हुआ है। जिसके बारे में प्रचलित कहानी भी बताई। कहते हैं इस मंदिर के दर्शन मात्र से मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।

प्रेम मंदिर

वृंदावन का प्रेम मंदिर सफेद संगमरमर पत्थर से बना बहुमंजिला मंदिर है। यहां कृष्ण लीलाओं के नजारों को दिखाने के लिए कई सारे प्रयोग किए गए हैं। गोवर्धन पर्वत का उठाना, गौरचरण, कालिया मर्दन या फिर कृष्ण की माखनचोरी की लीलाएं, सभी यहां देखने को मिलती हैं। शाम के समय यहां की रंग बिरंगी लाइट श्रद्धालुओं को बेहद आकर्षित करती है। फाउंटेन शो देखने के लिए लोग रात का इंतजार करते हैं।

पागल बाबा मंदिर

दावा है कि विश्व में यह अपने किस्म का नौ मंजिल वाला पहला मंदिर है। आठ बीघे में मंदिर तो पांच बीघे में यहीं पर गौशाला है। विशाल पागल बाबा हॉस्पिटल भी बना है। 221 फीट ऊंचा सफेद संगमरमर के पत्थरों से बना हुआ है। पागल बाबा मंदिर को देखने के लिए दूर दराज से लोग आते हैं। यह मंदिर करीब 150 फीट चौड़ाई में बना है।

इस्कान मंदिर

वृंदावन में सैकड़ों मंदिरों की श्रृंखला है। लेकिन इस्कान मंदिर में भजन-कीर्तन और हरे रामा-हरे कृष्णा की धुन से लोग यहां खिंचे चले आते हैं। इस्कान मंदिर में राधा-कृष्ण के विग्रहों के साथ-साथ इस्कान के संस्थापक की प्रतिमा भी है। यहां बड़ी संख्या में विदेश कृष्ण भक्त आते हैं।

केसी घाट

भगवान कृष्ण ने केसी नामक राक्षस का वध किया था। इसलिए इस घाट का नाम ही केसी घाट पड़ा। आरती के समय यहां के स्थानीय लोग एकत्रित होते हैं। मान्यता है कि इस घाट पर डुबकी लगाने से सारे पापों का नाश हो जाता है।

इस महीने में मिलते हैं सुगम दर्शन

वैसे तो साल के 12 महीने यहां श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है। लेकिन अक्टूबर से लेकर फरवरी का महीना मथुरा और वृंदावन जाने के लिए सबसे बेहतर है। इस दौरान मौसम बेहद सुहावना रहता है। अन्य महीनों में मथुरा का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक रहता है।

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