



प्रिया कश्यप (सवांददाता)
25 जून 1975… आज से 48 साल पहले देश में आपातकाल लगाया गया था जिसे भारतीय राजनीति के इतिहास का काला अध्याय भी कहा जाता है। आपातकाल ने देश की राजनीति की दशा और दिशा पूरी तरह बदल कर रख दी। आपातकाल के दौरान हुए आंदोलन ने देश को कई ऐसे नेता दिए जो बाद में बड़े नेता के तौर पर उभरे और रानजीति में खास मुकाम हासिल किया।
1975 Emergency in India: आज 25 जून है। आज से 48 साल पहले देश में आपातकाल (Emergency) लागू किया गया था। उस समय देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) थीं। आपातकाल के दौरान नागरिकों के मौलिक अधिकार खत्म कर दिए गए और प्रेस पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया। इसके साथ ही आपातकाल का विरोध करने वाले जयप्रकाश नारायण (Jayaprakash Narayan), अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee), लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav), नीतीश कुमार (Nitish Kumar), शरद यादव (Sharad Yadav) और रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) समेत कई नेताओं को जेल में डाल दिया गया।
हालांकि, 21 महीने के बाद 21 मार्च 1977 को आपातकाल हटा दिया गया और जब आम चुनाव हुए तो इंदिरा को सत्ता गंवानी पड़ी। आज हम आपको इंदिरा गांधी की तानाशाही के खिलाफ आवाज उठाने वाले 10 प्रमुख नेताओं के बारे में बताएंगे। इसके साथ ही यह भी बताएंगे कि आज ये नेता कहां हैं और आपातकाल के बाद इनका राजनीतिक करियर कैसा रहा…
आपातकाल के 10 प्रमुख नेता
- जयप्रकाश नारायण
- अटल बिहारी वाजपेयी
- लालकृष्ण आडवाणी
- लालू प्रसाद यादव
- मुलायम सिंह यादव
- नीतीश कुमार
- शरद यादव
- रामविलास पासवान
- राजनारायण
- जॉर्ज फर्नांडिस
1- जयप्रकाश नारायण
जयप्रकाश नारायण (जेपी) को लोकनायक के नाम से जाना जाता है। उन्होंने इंदिरा गांधी के द्वारा लागू किए गए आपातकाल का जमकर विरोध किया, जिसके चलते उन्हें जेल में डाल दिया गया है। जयप्रकाश नारायण आपातकाल के खिलाफ चलाए गए आंदोलन का प्रमुख चेहरा थे। उन्हें जेपी आंदोलन का जनक भी माना जाता है।
जेपी ने इंदिरा को सत्ता से उखाड़ फेंकने के लिए संपूर्ण क्रांति का नारा दिया था। 1977 में जनता पार्टी के गठन में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। जेपी का आठ अक्टूबर 1979 को हृदय की बीमारी और मधुमेह के चलते निधन हो गया।
2- अटल बिहारी वाजपेयी
आपातकाल के दौरान सभी विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया था। इनमें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी शामिल थे। उन्हें 18 महीने तक कैद कर रखा गया था। इस दौरान उन्होंने अपनी कविताओं के जरिए इंदिरा गांधी के आपातकाल लागू करने के फैसले की आलोचना की थी। जब 1977 में आपातकाल हटा तो जनता पार्टी की सरकार और मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने। उस सरकार में वाजपेयी ने विदेश मंत्री के रूप में काम किया।
इसके बाद जब जनता पार्टी टूटी तो उन्होंने भारतीय जनता पार्टी का गठन किया और 1996 में पहली बार देश के प्रधानमंत्री बने। इसके बाद वे 1998 और 1999 से 2004 तक प्रधानमंत्री रहे। लंबी बीमारी के बाद 16 अगस्त 2018 को उनका निधन हो गया। वे कुल तीन बार देश के प्रधानमंत्री रहे। उन्हें 2015 में ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया।
3- लालकृष्ण आडवाणी
लालकृष्ण आडवाणी को भी आपातकाल के दौरान जेल में डाल दिया गया था। वे 19 महीने तक जेल में रहे। आडवाणी भाजपा के संस्थापक सदस्य हैं। वे एनडीए सरकार में उप प्रधानमंत्री भी रह चुके हैं। जून 1975 में गुजरात में कांग्रेस अभेद्य किला ढहाने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसी के बाद अटल-आडवाणी की जोड़ी पूरे देश में प्रसिद्ध हुई। आडवाणी चार बार राज्यसभा और पांच बार लोकसभा के सदस्य रहे। मौजूदा समय में वे भाजपा के मार्गदर्शक मंडल में शामिल हैं।
डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जब 1951 में जनसंघ की स्थापना की तो आडवाणी 1957 तक इसके सचिव रहे। उन्होंने 1973 से 77 तक इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में भी काम किया। हालांकि, जब भाजपा का गठन हुआ तो उन्होंने 1986 से लेकर 1991 तक इसके अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली। राम मंदिर आंदोलन के दौरान 1990 में सोमनाथ से अयोध्या के लिए रथ यात्रा निकालने के बाद भारतीय राजनीति में उनका कद काफी बढ़ गया।
4- लालू प्रसाद यादव
आपातकाल ने जिन नेताओं को राजनीतिक करियर संवारने में मदद की, उनमें बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव भी शामिल हैं। लालू नौकरी छोड़कर जेपी आंदोलन में शामिल हुए थे। उन्होंने 22 साल की उम्र में पहली बार राजनीति में कदम रखा और पटना यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ के महासचिव का चुनाव जीता। आपातकाल के दौरान लालू प्रसाद यादव को भी गिरफ्तार कर लिया गया। वे 1977 तक जेल में बंद रहे।
लालू यादव की बेटी का नाम मीसा भारती है। लालू ने अपनी बेटी का यह नाम इसलिए रखा क्योंकि उन्हें मीसा कानून के तहत गिरफ्तार किया गया था। लालू 1977 में पहली बार सांसद बने, उस समय उनकी उम्र महज 29 साल थी। उन्होंने 1990 से 1997 तक बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में काम किया। हालांकि, उन्हें चारा घोटाला मामले में जेल की हवा भी खानी पड़ी।
5- नीतीश कुमार
नीतीश कुमार इस समय बिहार के मुख्यमंत्री हैं। आपातकाल के दौरान उन्हें गिरफ्तार करने वाले 15 पुलिस अधिकारियों और सिपाहियों को 2750 रुपये का इनाम मिला था। नीतीश को 9-10 जून 1976 की रात गिरफ्तार किया गया था। नीतीश ने 1994 में जॉर्ज फर्नांडिस के साथ मिलकर समता पार्टी की स्थापना की थी, जिसका बाद में 2003 में जनता दल (यूनाइटेड) में विलय कर दिया गया।
नीतीश कुमार 1996 में लोकसभा के लिए चुने गए। उन्हें वाजपेयी सरकार में केंद्रीय मंत्री भी बनाया गया। नीतीश कुमार भाजपा के सहयोग से सबसे पहले 2005 में बिहार के मुख्यमंत्री बने। इस समय वे राजद के सहयोग से मुख्यमंत्री पद पर विराजमान हैं।
6- मुलायम सिंह यादव
आपातकाल के दौरान मुलायम सिंह यादव को भी जेल में डाल दिया गया। बाद में, मुलायम ने समाजवादी पार्टी की स्थापना की। वे देश के रक्षा मंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे। आपातकाल के बाद जब जनता पार्टी का गठन हुआ तो मुलायम भी उसके सदस्य थे। वे पहली बार नरेश यादव के मुख्यमंत्री काल में मंत्री बने थे। उन्हें सहकारिता और पशुपालन विभाग मिला था।
मुलायम सिंह आंदोलन 1954 से आंदोलन में हिस्सा लेने लगे थे, जिसकी वजह से जेल भी गए। वे सबसे पहले संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी की टिकट पर 1967 में विधायक चुने गए। उनका 10 अक्टूबर 2022 को निधन हो गया। वे आठ बार विधानसभा और एक बार विधान परिषद के लिए चुने गए।
7- शरद यादव
शरद यादव के राजनीतिक करियर को बढ़ाने में भी आपातकाल का अहम योगदान रहा। अन्य नेताओं के साथ उन्हें भी 25 जून 1975 को जेल में डाल दिया गया। उस समय उनकी उम्र 28 साल थी। वे तीन राज्यों मध्य प्रदेश, बिहार और उत्तर प्रदेश से लोकसभा सदस्य चुने जाने वाले पहले नेता थे।
वे बिहार के मधेपुरा सीट से चार बार, मध्य प्रदेश की जबलपुर सीट से दो बार और यूपी की बदायूं सीट से एक बार लोकसभा के लिए चुने गए। इसके अलावा, वे चार बार राज्यसभा सदस्य भी चुने गए। शरद का 12 जनवरी 2023 को निधन हो गया।
8- जॉर्ज फर्नांडिस
जॉर्ज फर्नांडिस (George Fernandes) आपातकाल का विरोध करने वाले प्रमुख नेताओं में से एक हैं। उन्होंने कभी मछुआरा तो कभी साधु का वेश धारण कर देशभर में घूमते रहे और इंदिरा गांधी के खिलाफ आंदोलन करते रहे। उन्होंने अपने बाल और दाढ़ी भी बढ़ा लिए थे, ताकि किसी की पहचान में न आएं। हालांकि, उन्हें जून 1976 में गिरफ्तार कर जेल में बंद कर दिया गया।
फर्नाडिंस ने जेल में रहते हुए 1977 का लोकसभा चुनाव लड़ा और बिहार की मुजफ्फरपुर लोकसभा सीट से जीत दर्ज की। वे जनता पार्टी की सरकार में मंत्री भी बने। वे अपने राजनीतिक करियर में नौ बार सांसद चुने गए। लंबी बीमारी के बाद 29 जनवरी 2019 को उनका निधन हो गया।
9- रामविलास पासवान
लोकजनशक्ति पार्टी के नेता रामविलास पासवान को आपातकाल के दौरान जेल में ठूंस दिया गया था। वे इंदिरा गांधी के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे। रामविलास पासवान 1969 में पहली बार विधायक बने थे। इसके बाद 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में उन्होंने विश्व रिकार्ड बना दिया। उन्होंने हाजीपुर सीट पर अपने प्रतिद्वंदी को सवा चार लाख मतों से हराया था। इसके लिए उनका नाम गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड में भी दर्ज हुआ। इसके बाद 1989 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने इसी सीट पर अपने पिछले रिकार्ड को तोड़ते हुए पांच लाख मतों से जीत दर्ज किया था।
पासवान के पास छह प्रधानमंत्रियों (वीपी सिंह, एचडी देवेगौड़ा, इंद्रकुमार गुजराल, अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह और नरेन्द्र मोदी) के साथ काम करने का अनुभव था। उन्होंने 11 चुनाव लड़े थे, जिसमें से नौ में उन्हें जीत मिली थी। वे नौ बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा सांसद रहे। उन्होंने सूचना एवं प्रसारण, खनिज, रेल, रसायन एवं उर्वरक और उपभोक्ता मामलों के मंत्री के रूप में काम किया। आठ अक्टूबर 2020 को उनका निधन हो गया।
10- राजनारायण
अब बात ऐसे शख्स की करते हैं, जिसे भारतीय राजनीति में भूचाल ला दिया और जिसकी वजह से इंदिरा गांधी को देश में आपातकाल लागू करने के लिए विवश होना पड़ा। उस शख्स का नाम है- राजनारायण। राजनारायण ने इंदिरा गांधी को आपातकाल के बाद हुए 1977 के लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त दी। यह हार इंदिरा को उनके ही क्षेत्र में मिली थी। राजनारायण ने इंदिरा को 52 हजार मतों से हराया था।
हालांकि, इससे पहले 1971 में हुए चुनाव में उन्हें इंदिरा के हाथों हार का स्वाद चखना पड़ा था, तब भी उन्होंने इंदिरा पर गलत तरीके से चुनाव जीतने का आरोप लगाते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया था। हाईकोर्ट ने इंदिरा को दोषी मानते हुए उन्हें पद से बेदखल कर दिया था और उनके चुनाव को भी रद्द कर दिया था। राजनारायण बाद में केंद्रीय मंत्री भी बने। उनका 31 दिसंबर 1986 को निधन हो गया।
आपातकाल के अन्य प्रमुख नेता
आपातकाल के अन्य प्रमुख नेताओं में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, अरुण जेटली, सुब्रमण्यम स्वामी, चौधरी चरण सिंह, चंद्रशेखर, रामकृष्ण हेगड़े, वीएम तारकुंडे, चंद्रशेखर और सीवी सुब्बाराव भी शामिल हैं। कहा जाता है कि पीएम मोदी ने पुलिस से बचने के लिए अपनी वेशभूषा ही बदल ली थी। वहीं, सुब्रमण्यम स्वामी ने 25 जून की रात को ही खाना खाते समय जेपी नारायण से कह दिया था कि आज कुछ बड़ा होने वाला है, जोकि बाद में सच साबित हुआ।