



प्रिया कश्यप(सवांददाता)
वैसे तो भारत में कई ऐतिहासिक इमारतें और धरोहरें हैं जो पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती हैं। हालांकि इनमें सबसे अहम होता है एक जगह से दूसरी जगह पहुंचने का माध्यम यानी ब्रिज। भारत में ऐसे ही कुछ ऐतिहासिक ब्रिज मौजूद हैं जो सदियों लोगों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। आइये जानते हैं ऐसे ही पुलों के बारे में।
वैसे तो भारत में कई ऐतिहासिक इमारतें और धरोहरें हैं, जो पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती हैं। हालांकि, इनमें सबसे अहम होता है एक जगह से दूसरी जगह पहुंचने का माध्यम यानी ब्रिज। भारत में ऐसे ही कुछ ऐतिहासिक ब्रिज मौजूद हैं, जो सदियों लोगों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। आइये जानते हैं ऐसे ही पुलों के बारे में जो आज भी अपनी मजबूती का लोहा मनवा रहे हैं।
पंबन ब्रिज (तमिलनाडु)
तमिलनाडु के रामेश्वरम में पंबन ब्रिज (Pamban Bridge) मौजूद है। ये ऐतिहासिक पंबन ब्रिज मंडपम शहर को रामेश्वरम से जोड़ता है। ये रेल ब्रिज अगस्त 1911 में बनना शुरू हुआ था और इसका उदघाटन 24 फरवरी 1914 में हुआ। 100 साल से अधिक पुराना ये ब्रिज इंजीनियरिंग का शानदार उदाहरण है, जो आज भी अपनी मजबूती का लोहा पेश कर रहा है।
शाही ब्रिज (उत्तर प्रदेश)
यूपी के जौनपुर में स्थित शाही ब्रिज को मुगल बादशाह अकबर के शासनकाल के दौरान बनाया गया था। इस ब्रिज को जौनपुर के गवर्नर मुनीम खान ने गोमती नदी पर 1568 और 1569 के बीच बनवाया था।
हावड़ा ब्रिज (पश्चिम बंगाल)
हावड़ा और कोलकाता शहर को जोड़ने वाले हुगली नदी पर बने ऐतिहासिक हावड़ा ब्रिज को 1943 में बनाया गया था। हावड़ा ब्रिज को बनाने में लगभग 26 टन स्टील का इस्तेमाल हुआ था। बता दें कि हावड़ा ब्रिज से हर दिन करीब 80,000 गाड़ियां और 4,00,000 पैदल यात्री गुजरते हैं। साल 1965 में इसका नाम रवींद्र सेतु रखा गया था।
कालका-शिमला रेलवे रूट (हिमाचल प्रदेश)
हिमाचल प्रदेश में हर साल लाखों पर्यटक यहां के टूरिस्ट स्पॉट देखने आते हैं, लेकिन कालका-शिमला रेलवे रूट भी पर्यटकों के बीच चर्चा का केंद्र बना रहता है। इस रेलवे रूट का निर्माण ब्रिटिश शासन में 1898 और 1903 के बीच हुआ था। इस कालका-शिमला रेलवे रूट को 2008 में यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल का दर्जा दिया था। इस लाइन पर करीब 864 छोटे-बड़े पुल हैं, जिनमें से पुल नंबर 541 और 226 सबसे अनोखे हैं। पहले पुल में चार मंजिला मेहराब हैं और दूसरे में 5 मंजिला मेहराब हैं।
गोल्डन ब्रिज (गुजरात)
गुजरात में स्थित गोल्डन ब्रिज अंकलेश्वर और भरूच को जोड़ता है, जिसे 1881 में अंग्रेजों द्वारा नर्मदा नदी पर बनाया गया था। इसे नर्मदा ब्रिज के नाम से भी जाना जाता है, इसका निर्माण सर जॉन हॉकशॉ के नेतृत्व वाली एक टीम ने किया था। पुल के निर्माण में ब्रिटिश सरकार द्वारा किए गए भारी खर्च के कारण इस पुल को गोल्डन ब्रिज कहा जाता है।
आर्यनकावु ब्रिज (केरल)
केरल के थेनमाला में स्थित आर्यनकावु ब्रिज भारत में यूरोपीय वास्तुकला का एक बेहतरीन नमूना है। 1904 में 13 मेहराबों पर इस ब्रिज का निर्णाय किया गया था, जो कोल्लम-सैंगोत्ताई रेलवे लाइन पर स्थित है। यह पुल दो पहाड़ियों को जोड़ता है और ग्रेनाइट के 13 खंभों पर खड़ा है, जो प्रत्येक लगभग सौ फीट ऊंचा है।
नामदांग ब्रिज (असम)
असम का नामदांग ब्रिज अपने आप में ऐतिहासिक है, जो अहोम राजा रुद्र सिंह द्वितीय द्वारा 1703 में नामदांग नदी पर बनाया गया था। इस पुल की खासियत ये है कि इसे एक ही पत्थर के टुकड़े से बनाया गया है। इस पुल के निर्माण में चावल, अंडे, काली दाल और नींबू जैसी सामग्रियों का उपयोग किया था। इस पुल ने तीन शताब्दियों से अधिक समय तक भूकंप और बाढ़ जैसी कई प्राकृतिक आपदाओं को सहन किया है और अभी भी मजबूत स्थिति में है।