



प्रिया कश्यप(सवांददाता )
अब हम आपको 50 साल पहले हुए विद्या जैन हत्याकांड के बारे में बताने जा रहे हैं। आइए जानते हैं एक पति ने अपनी पत्नी की हत्या की सुपारी क्यों दी। मामला 1973 का है जब डॉ नरेंद्र जैन जब तत्कालीन भारत के राष्ट्रपति वीवी गिरि के निजी आंखों के सर्जन डॉ नरेंद्र सिंह जैन सवालों के घेरे में थे।
दिल्ली में बीते कुछ वक्त से कई ऐसे मामले देखने को मिल रहे हैं,जिसने लोगों को एक बार फिर से सोचने पर मजबूर कर दिया है। बीते साल श्रद्धा वालकर हत्याकांड और निक्की हत्याकांड ने दिल्ली के लोगों को हिलाकर रख दिया था।
इसके बाद लोगों को प्यार जैसे शब्द पर सोचने को मजबूर कर दिया और कई सवाल खड़े होने लगे, लेकिन इन सबके बीच आपको एक ऐसे हत्याकांड के बारे में बताते हैं, जिसने दिल्ली की सर्द रातों में चर्चाओं का बाजार गर्म कर दिया था।
4 दिसंबर की तारीख को दिल्ली की सर्द शाम डॉक्टर नरेंद्र सिंह जैन दिल्ली स्थित अपने क्लिनिक से पॉश कॉलोनी स्थित अपने घर लौट और अपनी पत्नी को अपनी बहन के घर मिलने जाने के लिए कहा।
डॉक्टर जैन अपनी पत्नी के साथ करीब सवा सात बजे घर से निकलते हैं और दोनों कार की ओर बढ़ते हैं। इसी बीच वह देखता है कि पत्नी कार में नहीं है और उसको कार के पास नाले में कुछ गिरने की आवाज आती है। इसके बाद वह नाले में देखता है तो एक आकृति पड़ी हुई है। तभी एक व्यक्ति नाले से निकला और वहां से भाग जाता है।
जानकारी के अनुसार, डॉक्टर नरेंद्र जैन का चंद्रेश शर्मा से अफेयर था, जिसे वह अपने विवाह के दौरान करीब आया था। डॉक्टर और चंद्रेश ने मिलकर विद्या को मारने का प्लान बनाया था ताकि वह अपने रिश्ते को लोगों के सामने खुलकर रख सकें। विद्या की हत्या मामले में चंद्रेश ने सबसे पहले पच्चीस वर्षीय व्यक्ति राकेश कौशिश से संपर्क किया जो कि एक शिक्षा विभाग में काम करता था।
मर्डर से कुछ देर पहले रची थी हत्या की साजिश
डॉक्टर जैन ने अपने क्लिनिक से किराए पर टैक्सी ली और एक रेस्टोरेंट पहुंच गए, जहां बाहर चंद्रेश, भागीरथ, कल्याण, उजागर और करतार पहले से ही मौजूद थे। इसके बाद सभी ने नरेंद्र के साथ मिलकर हत्या की साजिश रची और उसी शाम को वारदात को सावधानी पूर्वक अंजाम देने की चेतावनी भी दी।
पुलिस को इस केस की शुरुआती जांच में पता चलता था कि चंद्रेश शर्मा जो उनकी सचिव थी। उन्हें लेकर नरेंद्र और विद्या के बीच कई बार झगड़ा भी हुआ था। इसके बाद नरेंद्र सिंह ने उसको नौकरी से निकाल दिया। साथ ही पुलिस ने बताया था कि डॉक्टर ने उन्हें वेतन से कई बार अधिक पैसे देते थे और उन्होंने चंद्रेश को एक घर भी उपहार में दिया था।
चंद्रेश और नरेंद्र के वकील ने माना दोनों के बीच था संबंध
अदालत में चंद्रेश और नरेंद्र सिंह का पक्ष रखने वाले वकीलों ने दोनों के बीच संबंध होने की बातों को स्वीकार किया था, लेकिन विद्या की हत्या की साजिश में शामिल होने से इनकार किया था। वहीं, चंद्रेश ने डॉक्टर के साथ अपना अफेयर होने की वजह से अपने पति से तलाक भी ले लिया था।
वहीं, अदालत में यह प्रूफ हो गया था कि डॉ जैन और चंद्रेश एक-दूसरे से शादी करना चाहते थे और इसलिए उन्होंने मिलकर विद्या की हत्या की साजिश रची। अदालत ने इस मामले में सभी पर आरोप तय करते हुए दोषी ठहराया था और सरकारी गवाह बने भागीरथ को छोड़कर आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
अदालत के इस फैसले को अभियुक्तों को अन्य कोर्ट में चुनौती दी थी। उनकी इस याचिका के खिलाफ राज्य ने भी क्रॉस अपील की थी। फिर बाद में अदालत ने उजागर और करतार को हत्या का दोष तय करते हुए मृत्यु की सजा सुनाई थी। इसको लेकर देश में कई काफी हंगामा हुआ था।