



पिंकी कुमारी (सवांददाता )
Alan Turing Biography एक ऐसा वैज्ञानिक जिन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध को समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और पर्सनल कंप्यूटिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की नींव रखी। आइए डिटेल से जानते हैं उस वैज्ञानिक के जीवनी के बारे में जिन्होंने समलैंगिक होने की वजह से सायनाइड की गोली खाकर जान दे दी। आइए जानते हैं इनके जीवनी के बारे में डिटेल से बताते हैं। (फाइल फोटो-जागरण)
नई दिल्ली, टेक डेस्क। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तेजी से दुनिया पर हावी हो रहा है, चैटबॉट से लेकर ऐसी प्रौद्योगिकियों तक जो रोजमर्रा की जिंदगी पर असर डाल रही हैं। 2023 में एआई या मशीन लर्निंग के बारे में कोई भी चर्चा इस उल्लेख के बिना अधूरी है कि यह सब कहां से शुरू हुआ। और, एआई की उत्पत्ति के बारे में बात करें तो एलन ट्यूरिंग (Alan Turing) को व्यापक रूप से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का जनक माना जाता है। आइए डिटेल से जानते हैं उस वैज्ञानिक के जीवनी के बारे में जिन्होंने समलैंगिक होने की वजह से सायनाइड की गोली खाकर जान दे दी।
कौन थे कंप्यूटर विज्ञान के दिग्गज एलन ट्यूरिंग?
ट्यूरिंग का जन्म 23 जून, 1912 को लंदन, इंग्लैंड में हुआ था, उसी वर्ष ब्रिटिश यात्री जहाज टाइटैनिक उत्तरी अटलांटिक महासागर में डूब गया था, जिसमें 1600 से अधिक लोगों की जान चली गई थी। एलन ट्यूरिंग एक युद्ध नायक, कंप्यूटर विज्ञान के दिग्गज और एक समलैंगिक व्यक्ति थे जो केवल स्वतंत्र रूप से जीने में सक्षम होना चाहते थे। इतिहास को ट्यूरिंग को याद रखना चाहिए जिन्होंने 69 साल पहले 7 जून, 1954 को अपनी जान ले ली थी।
एक ऐसा वैज्ञानिक जिन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध को समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और पर्सनल कंप्यूटिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की नींव रखी। ट्यूरिंग जूलियस मैथिसन ट्यूरिंग के बेटे थे, जिन्होंने छत्रपुर में ब्रिटिश सरकार की भारतीय सिविल सेवा (आईसीएस) में एक प्रतिष्ठित पद संभाला था, जो पहले मद्रास प्रेसीडेंसी का हिस्सा था। वह व्यापारियों के एक स्कॉटिश परिवार से थे। ट्यूरिंग की मां, एथेल सारा ट्यूरिंग एडवर्ड वालर स्टोनी की बेटी थीं जो मद्रास रेलवे के मुख्य अभियंता थे।
कोड-ब्रेकिंग में ट्यूरिंग का था बड़ा योगदान
छोटी उम्र से ही ट्यूरिंग ने असाधारण गणितीय कौशल का प्रदर्शन किया। उन्होंने किंग्स कॉलेज, कैम्ब्रिज में गणित का अध्ययन किया, और बाद में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश कोडब्रेकिंग कंपनी – गवर्नमेंट कोड एंड साइफर स्कूल में शामिल हो गए। यहां उनके काम में जर्मन कोड को डिक्रिप्ट करना शामिल था, जिसमें एनिग्मा मशीन द्वारा बनाए गए कोड भी शामिल थे। उस समय कोड-ब्रेकिंग में ट्यूरिंग का योगदान अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कि रखी थी नींव
युद्ध समाप्त होने के बाद, ट्यूरिंग ने अपना ध्यान कंप्यूटर विज्ञान और कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर केंद्रित किया। उन्होंने सार्वभौमिक मशीन की अवधारणा (Concept of Universal Machine) विकसित की जिसे अब ट्यूरिंग मशीन (Turing Machine) के रूप में जाना जाता है। माना जाता है कि यूनिवर्सल मशीन ने आधुनिक कंप्यूटिंग की नींव रखी है। माना जाता है कि ‘कम्प्यूटेबल नंबर्स’ पर ट्यूरिंग की थीसिस ने एल्गोरिदम और कम्प्यूटेबिलिटी की अवधारणाओं को पेश किया है।
एलन ट्यूरिंग के प्रमुख योगदान
ट्यूरिंग टेस्टिंग: गणितज्ञ के नाम पर प्रसिद्ध टेस्टिंग एक मशीन की मनुष्यों के समान बुद्धिमान व्यवहार प्रदर्शित करने की क्षमता का आकलन करने के लिए किया जाने वाला टेस्टिंग है। जबकि टेस्टिंग विवाद का विषय बना हुआ है, इसने प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण और संवादात्मक एआई चैटबॉट से संबंधित लगभग सभी विकासों को प्रभावित किया है।
मशीन इंटेलिजेंस: ऐसा माना जाता है कि मशीन लर्निंग के क्षेत्र में ट्यूरिंग के अन्वेषण ने एआई के क्षेत्र की नींव रखी। उनके क्रांतिकारी विचारों ने इस धारणा को चुनौती दी कि मशीनें केवल पूर्व-प्रोग्राम किए गए कामों को करने के लिए होती हैं।
कम्प्यूटेशनल सोच: माना जाता है कि कम्प्यूटेबिलिटी और सार्वभौमिक मशीन में उनके योगदान ने एल्गोरिदम और संगणना के लिए सैद्धांतिक नींव रखी है। ये अवधारणाएं आज आधुनिक एआई सिस्टम के लिए मौलिक हैं और बड़ी मात्रा में डेटा को आसानी से संसाधित करने और विश्लेषण करने में उनकी सहायता कर रही हैं।
आर्टिफिशियल न्यूरल नेटवर्क: 1950 में, ट्यूरिंग ने एक पेपर ‘कंप्यूटिंग मशीनरी और इंटेलिजेंस’ प्रकाशित किया। थीसिस ने कृत्रिम सिस्टम नेटवर्क के विचार का प्रस्ताव रखा जो मानव मस्तिष्क में परस्पर जुड़े न्यूरॉन्स का अनुकरण कर सकता है। इसके अलावा, यह पेपर आम जनता के लिए ट्यूरिंग टेस्ट पेश करने के लिए जाना जाता है।
41 साल की उम्र में निधन
7 जून, 1954 को 41 वर्ष की आयु में ट्यूरिंग की आत्महत्या से मृत्यु हो गई। माना जाता है कि प्रसिद्ध गणितज्ञ का दुखद अंत हुआ। उनकी मृत्यु के आसपास की परिस्थितियों के बारे में कोई विवरण नहीं है। हालांकि, ऐसा माना जाता है कि उन्होंने साइनाइड मिला हुआ सेब खाया था।
कंप्यूटर वैज्ञानिक का जीवन अनेक बाधाओं से भरा हुआ था। 1952 में, यूके की एक अदालत ने ट्यूरिंग को उनकी समलैंगिकता के कारण घोर अभद्रता का दोषी ठहराया था। उन्हें हार्मोन थेरेपी से गुजरने की सजा सुनाई गई थी, जो उस समय कारावास के लिए एक अदालत द्वारा अनिवार्य विकल्प था।