असम को हर साल क्यों झेलना पड़ता है बाढ़ का प्रकोप? 10 साल में 800 से अधिक लोगों ने गंवाई जान

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जानिए असम में हर साल क्यों आती है बाढ़, और क्या है बचाव के उपाय - Why Assam  faces every year flood situation | Dailynews

भूमि शर्मा (संवाददाता)

असम में हर साल मानसून का प्रकोप देखने को मिलता है। भारी बारिश के कारण असम में बाढ आती है जिसके कारण लाखों लोगों को प्रभावित होना पड़ता है। असम में पूरे देश में सबसे ज्यादा मानसूनी बारिश होने वाले इलाके भी शामिल हैं। इस साल भी असम में मानसून दस्तक दे चुका है और प्रदेश के लगभग 18 जिले भीषण बाढ़ की चपेट में हैं।

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वहीं, अगर हम बाढ़ की बात करते हैं तो असम मानसून में होने वाली बारिश के बाद बाढ़ के कारण सबसे ज्यादा प्रभावित होता है। हर साल मानसून के दौरान असम में भारी बारिश दर्ज की जाती है। जिसके कारण लाखों लोग प्रभावित होते हैं।

असम में पूरे देश में सबसे ज्यादा मानसूनी बारिश होने वाले इलाके भी शामिल हैं। इस साल भी असम में मानसून दस्तक दे चुका है और प्रदेश के लगभग 18 जिले भीषण बाढ़ की चपेट में हैं। इन इलाकों में आई बाढ़ के कारण 30 हजार से ज्यादा लोग प्रभावित है और अपने-अपने घरों को छोड़ने के लिए भी मजबूर हो रहे हैं।

लेकिन एक सवाल अभी भी लोगों के जहन में उठता है कि आखिर प्रदेश में ऐसा क्या है जो हर साल असम में भारी बारिश होने के बाद बाढ़ आ जाती है। कई विशेषज्ञ इसके पीछे मानसून या फिर असम की भौगोलिक स्थिति भी बताते रहे हैं।

वहीं, अगर हम बाढ़ की बात करते हैं तो असम मानसून में होने वाली बारिश के बाद बाढ़ के कारण सबसे ज्यादा प्रभावित होता है। हर साल मानसून के दौरान असम में भारी बारिश दर्ज की जाती है। जिसके कारण लाखों लोग प्रभावित होते हैं।

असम में पूरे देश में सबसे ज्यादा मानसूनी बारिश होने वाले इलाके भी शामिल हैं। इस साल भी असम में मानसून दस्तक दे चुका है और प्रदेश के लगभग 18 जिले भीषण बाढ़ की चपेट में हैं। इन इलाकों में आई बाढ़ के कारण 30 हजार से ज्यादा लोग प्रभावित है और अपने-अपने घरों को छोड़ने के लिए भी मजबूर हो रहे हैं।

लेकिन एक सवाल अभी भी लोगों के जहन में उठता है कि आखिर प्रदेश में ऐसा क्या है जो हर साल असम में भारी बारिश होने के बाद बाढ़ आ जाती है। कई विशेषज्ञ इसके पीछे मानसून या फिर असम की भौगोलिक स्थिति भी बताते रहे हैं।

असम के 12 जिलों के 5 लाख लोग बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। राज्य के कई हिस्सों में लगातार हो रही बारिश से कई नए इलाके जलमग्न हो गए हैं। असम में बाढ़ के कारण इस साल में अब तक 2 लोगों की मौतें दर्ज की गई है

बता दें कि 16 जिलों और तीन उप-मंडलों (स्वतंत्र) में कुल मिलाकर 4.88 लाख लोग वर्तमान में बाढ़ से जूझ रहे हैं। ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियां जैसे मानस और पुथिमारी नदियां खतरे के स्तर से ऊपर बह रही हैं। राज्य भर से सड़कों और पुलों को नुकसान पहुंचा है।

बता दें कि 16 जिलों और तीन उप-मंडलों (स्वतंत्र) में कुल मिलाकर 4.88 लाख लोग वर्तमान में बाढ़ से जूझ रहे हैं। ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियां जैसे मानस और पुथिमारी नदियां खतरे के स्तर से ऊपर बह रही हैं। राज्य भर से सड़कों और पुलों को नुकसान पहुंचा है।

मौसम विभाग ने कई इलाकों में ‘येलो’ अलर्ट जारी किया है, जिसमें लोगों से सतर्क रहने और राज्य के कुछ हिस्सों में भारी बारिश और तूफान के बारे में अपडेट रहने को कहा गया है।

क्या हैं प्रमुख कारण?

असम में हर साल मई से सितंबर तक बाढ़ की तीन-चार लहरें देखने को मिलती हैं। राष्ट्रीय बाढ़ आयोग (RBA) के अनुसार, राज्य के 78,523 वर्ग किमी क्षेत्र का लगभग 40% हिस्सा बाढ़ से ग्रसित है, जो देश के बाकी हिस्सों की तुलना में लगभग चार गुना अधिक है।

विशेषज्ञ 1950 के भीषण भूकंप को राज्य में बार-बार आने वाली बाढ़ की स्थिति से जोड़ कर भी देखते हैं। भूकंप के बाद ब्रह्मपुत्र की दिशा और प्रकृति में भारी बदलाव आया है।

ब्रह्मपुत्र बेसिन में बहुत अधिक तीव्रता वाली प्री-मॉनसून और मॉनसून वर्षा देखी जाती है। विशेषज्ञों का कहना है कि नदी में मानसूनी प्रवाह आम तौर पर कम अवधि के प्रवाह का 10 गुना होता है।

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, 2013 से 2022 के बीच राज्य में कुल 838 लोगों की मौत हुई है, जिनमें से 181 लोगों की जान पिछले साल गई, जो एक साल में बाढ़ से मरने वालों की सबसे ज्यादा संख्या है।

राज्य जल संसाधन विभाग के अनुसार, पिछले 7 दशकों में अकेले ब्रह्मपुत्र नदी के कारण राज्य की 4,000 वर्ग किमी से अधिक या 7% से अधिक भूमि नष्ट हो गई है, जो गोवा के कुल क्षेत्रफल से भी अधिक और दिल्ली से लगभग चार गुना अधिक है।

लगातार बारिश के कारण अरुणाचल प्रदेश के कई हिस्सों में भूस्खलन (triggered landslides) और बाढ़ जैसी स्थिति (flood-like situation) पैदा हो गई है, जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।

अधिकारियों ने बताया कि राजधानी ईटानगर के पास बांदेरदेवा और निर्जुली के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग-415 (National Highway-415) का एक हिस्सा गुरुवार शाम को बाढ़ में बह गया।

असम का बाढ़ प्रभावित हिस्सा भारत के कुल बाढ़ प्रभावित हिस्सों का दस फीसदी हिस्सा है। इस समस्या की प्रमुख वजह प्रदेश की भौगोलिक स्थिइति और प्राकृतिक भूभाग में है। असम की प्रमुख नदी ब्रह्मपुत्र नदी को प्रदेश की 50 सहायक नदियां पानी देती हैं जिसके कारण हर साल ये नदी बहुत ही विकराल रूप ले लेती है।

खबरों के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि असम में हर साल आने वाली बाढ़ के लिए असम और उसके आस-पास के इलाकों के साथ-साथ यहां की जलवायु भी जिम्मेदार है। ब्रह्मपुत्र नदी अमेजन के बाद दुनिया की दूसरी ऐसी नदी है जो अपने साथ सबसे ज्यादा पानी और अवसाद बहा कर लेकर आती है जिससे हर साल निचले इलाके बाढ़ की चपेट में आ जाते हैं।

 

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