Durga Ashtami 2023: कब है आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की दुर्गाष्टमी? जानें-तिथि, पूजा विधि महत्व एवं मंत्र

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Durga Ashtami 2023: कब है आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की दुर्गाष्टमी? जानें-तिथि, पूजा विधि महत्व एवं मंत्र

पिंकी कुमारी(संवाददाता)

Durga Ashtami 2023 हिन्दू पंचांग के अनुसार अष्टमी तिथि 25 जून को देर रात 12 बजकर 25 मिनट से शुरू होकर 27 जून को देर रात 02 बजकर 04 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। अतः सोमवार 26 जून को दुर्गा अष्टमी मनाई जाएगी। गुप्त नवरात्रि के दौरान जगत जननी मां दुर्गा की पूजा निशिता काल में की जाती है।

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नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Gupt Navratri 2023 Maha Ashtami Date: हर वर्ष आषाढ़ माह की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तक गुप्त नवरात्रि मनाई जाती है। गुप्त नवरात्रि के आठवें दिन जगत जननी आदि शक्ति मां दुर्गा की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही साधक विशेष कार्य में सिद्धि प्राप्ति हेतु मां दुर्गा के निमित्त व्रत- उपवास रखते हैं। धर्म शास्त्रों में जगत जननी मां दुर्गा को कल्याणकारी, भवानी, अन्नपूर्णा, परमेश्वरी, परम सनातनी, भगवती, देवी, शक्ति, आध्या शक्ति नामों से संबोधित किया गया है। धार्मिक मान्यता है कि ममतामयी मां दुर्गा अपने भक्तों के सब दुख हर लेती हैं। साथ ही भक्तों को सुख, समृद्धि, शांति और धन प्रदान करती हैं। वहीं, दुष्टों का संहार करती हैं। अगर आप भी आदिशक्ति मां दुर्गा का आशीर्वाद पाना चाहते हैं, तो दुर्गाष्टमी पर विधि विधान से देवी मां की पूजा-उपासना करें। आइए, पूजा का शुभ मुहूर्त, तिथि और पूजा विधि जानते हैं-

पूजा का शुभ मुहूर्त

हिन्दू पंचांग के अनुसार, अष्टमी तिथि 25 जून को देर रात 12 बजकर 25 मिनट से शुरू होकर 27 जून को देर रात 02 बजकर 04 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। अतः सोमवार 26 जून को दुर्गा अष्टमी मनाई जाएगी। गुप्त नवरात्रि के दौरान जगत जननी मां दुर्गा की पूजा निशिता काल में की जाती है। अतः साधक सिद्धि प्राप्ति हेतु मध्य रात्रि में देवी मां की पूजा करते हैं। सामान्य साधक स्नान-ध्यान के पश्चात मां दुर्गा की पूजा-उपासना कर सकते हैं।

पूजा विधि

गुप्त नवरात्रि के आठवें दिन ब्रह्म बेला में उठकर सबसे पहले जगत जननी जगदंबा को प्रणाम करें। इसके पश्चात, नित्य कर्मों से निवृत होकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान कर लाल रंग का नवीन वस्त्र धारण करें। इस समय आचमन कर व्रत संकल्प लें। अब भगवान भास्कर को जल का अर्घ्य दें। इसके पश्चात, पूजा गृह में गंगाजल छिड़ककर निम्न मंत्रों से मां दुर्गा का आह्वान करें-

 ॐ सर्वस्वरूपे सर्वेसे सर्वशक्ति समन्विते भये

भयस्त्रही नौ देवी दुर्गे देवि नमोस्तुते

– या देवी सर्वभू‍तेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

तदोउपरांत, पंचोपचार कर मां दुर्गा की पूजा लाल रंग के फल और फूल, धूप दीप, तिल, जौ, अक्षत, दूर्वा, कुमकुम आदि से करें। इस समय दुर्गा चालीसा, दुर्गा कवच, दुर्गा सप्तशती और दुर्गा स्तुति का पाठ करें। अंत में आरती-अर्चना कर सुख, समृद्धि, शांति और धन प्राप्ति की कामना करें। मनोकामना पूर्ति हेतु दिनभर उपवास रखें। शाम में आरती-अर्चना कर फलाहार करें। अगले दिन पूजा पाठ संपन्न कर व्रत खोलें।

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