10 साल बाद भी नहीं भूलीं केदारनाथ आपदा की भयावह यादें, तस्‍वीरों में देखें… 2013 के बाद कितना भव्‍य हुआ धाम

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10 साल बाद भी नहीं भूलीं केदारनाथ आपदा की भयावह यादें तस्‍वीरों में देखें  2013 के बाद कितना भव्‍य हुआ धाम - 10 Years of Kedarnath Disaster before and  after photos of kedarnath ...

विनीत माहेश्वरी (संवाददाता)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खास लगाव व विजन के बाद अब केदारपुरी भव्‍य हो गई है। 2013 में आई केदारनाथ आपदा (Kedarnath Disaster) को आज 10 साल पूरे हो चुके हैं लेकिन अब भी उत्‍तराड के लोगों के जहन में तबाही के जख्‍म हैं

इसी का नतीजा है कि इस साल केदारनाथ धाम के दर्शन के लिए रोजाना करीब 20 हजार भक्‍त पहुंच रहे हैं। 16-17 जून 2013 को आई आपदा के बाद केदारनाथ में हुई तबाही का मंजर बेहद खौफनाक था

लेकिन अब धाम में पहले के मुकायहां चौराबाड़ी झील में बादल फटने से बहकर आए भारी मलबा और विशाल बोल्‍डर ने तबाही ला दी थी। तब किसी ने सोचा नहीं था कि धाम में शांत बहने वाली मंदाकिनी नदी विकराल रूप लेकर तबाही मचा देगी। काफी बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं

केदारनाथ धाम भव्‍य हो गया है। चारों ओर सुरक्षा की दृष्टि से त्रिस्तरीय सुरक्षा दीवार बनाई गई है। मंदाकिनी व सरस्वती नदी में बाढ़ सुरक्षा कार्य किए गए हैं।वर्ष 2013 से पहले जहां सीमित संख्या में तीर्थयात्री केदारनाथ दर्शन को पहुंचते थे, वहीं अब केदारपुरी के संवरने के बाद यह संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। आपदा में केदारनाथ पैदल मार्ग ध्वस्त हो गया था। यद्यपि, केदारनाथ यात्रा के पहले पड़ाव गौरीकुंड से लेकर धाम तक की पैदल दूरी अब 19 किलोमीटर हो गई है, लेकिन यह मार्ग तीन से चार मीटर चौड़ा किया गया है।

वर्ष 2019 से धाम में तो स्थिति यह हो गई है कि दर्शन के लिए मंदिर को पूरी रात खुला रखना पड़ रहा है। कोरोनाकाल में जरूर तीर्थ यात्रियों की संख्या सीमित रही, लेकिन वर्ष 2022 के बाद अब इस वर्ष 2023 भी तीर्थ यात्रियों का सैलाब उमड़ रहा है और प्रतिदिन 20 हजार से अधिक तीर्थयात्री दर्शन को पहुंच रहे हैं।

उस रात सैलाब के रास्‍ते में आए सैकड़ों घर, रेस्‍टोरेंट और हजारों लोग बह गए। जब इस जलप्रलय के बारे में पता लगा तो पूरा देश शोक में डूब गया। आपदा में 4700 तीर्थ यात्रियों के शव बरामद हुए। जबकि पांच हजार से अधिक लापता हो गए थे। इतना ही नहीं आपदा के कई वर्षों बाद भी लापता यात्रियों के कंकाल मिलते रहे। इस त्रासदी में मृतकों की सही संख्या को लेकर तरह-तरह के कयास भी लगाए गए।

 

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