दुनिया की ऐसी जगहें जहां ग्रेविटी नहीं करती काम, कैसे टिकी हैं ये चीजें आपको होगा आश्चर्य

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15 Places on Earth Where Gravity Doesn't Seem to Work. - Promos in Nigeria

विनीत महेश्वरी (संवाददाता)

म सभी महान वैज्ञानिक न्‍यूटन के गुरुत्वाकर्षण बल (Gravitational Force) की खोज को जानते हैं। पेड़ से एक सेब नीचे गिरने के बाद न्यूटन ने सोचा था कि कौन सा बल किसी वस्तु को पृथ्वी की ओर खींच सकता है। यहीं से उन्होंने गुरुत्वाकर्षण का नियम और गति के सिद्धांत की खोज की।

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दुनिया में हर चीज गुरुत्‍वाकर्षण बल (Gravitational Force) के कारण धरती की सतह पर टिकी है। इसी बल के कारण हम धरती पर चल पाते हैं। हर ऊपर फेंकी जाने वाली चीज भी इसी बल के कारण नीचे की ओर लौटती है। गुरुत्वाकर्षण बल ही सौर्य मंडल में सूर्य और अन्य ग्रहों को एकदूसरे से बांधे रखता है। गुरुत्‍वाकर्षण (Gravity) ही हमें और हर चीज को धरती की सतह से बांधे रखता है या धरती के केंद्र की तरफ खींचता है। आसान शब्दों में समझें तो अगर आप ज्यादा झुकते हैं तो गिर सकते हैं। आइए दुनिया की कुछ ऐसी जगहों के बारे में जानते हैं, जहां ज्‍यादा से ज्‍यादा झुकने के बाद भी आप नहीं गिरेंगे यानी उन जगहों पर गुरुत्वाकर्षण बल शून्य है।

ऐसा झरना जहां से पानी नीचे नहीं, बल्कि पहाड़ों के ऊपर जाता है। सुनने में ये बात काफी हैरान करने वाली है, लेकिन ये सच है। यह एक रहस्यमयी उल्टा झरना है, इसे कवलशेत पॉइंट कहते हैं, जो महाराष्ट्र में सिंहगढ़ किले के पास स्थित है। रहस्यमय और अज्ञात तथ्यों के कारण यह जलप्रपात नीचे गिरने के बजाय आसमान की ओर बढ़ता है। ऐसा देखा जाता है कि जब ऊंचाई से कोई चीज फेंकी जाती है, तो गुरुत्वाकर्षण के कारण वो नीचे धरती पर ही जाती है।

वाटरफॉल भी गुरुत्वाकर्षण का ही पालन करते हैं, लेकिन नानेघाट झरने इस नियम के अधीन नहीं है, बल्कि गुरुत्वाकर्षण के नियमों के विपरीत काम करता है। घाट की ऊंचाई से झरना नीचे गिरने के बजाय ऊपर आ जाता है। इस नजारे को देख आप खुद हैरान रह जाएंगे। आमतौर पर लोग कहते हैं कि ऐसा किसी गुरुत्वाकर्षण-विरोधी बल के कारण होता है जो पानी के बहाव को गिरने से रोकता है। हालांकि कुछ वैज्ञानिकों का अनुमान है कि ऐसा हवा के भारी दबाव के कारण होता है।

अमेरिका में कैलिफोर्निया के सैंटा क्रूज शहर में मिस्‍ट्री स्‍पॉट (Mystery Spot) नाम से एक जगह है, जहां गुरुत्‍वाकर्षण शून्‍य हो जाता है। कुछ शोधकर्ताओं ने 1939 में इस जगह को ढूंढा था। इसके बाद 1940 में जॉर्ज प्रैथेर ने इसे आम लोगों के लिए खोला था। शोधकर्ताओं ने बताया था कि जब उन्होंने इस जगह को ढूंढा तो लगा कि यहां कुछ अलग ताकतें काम करती हैं।

यहां के चुंबकीय क्षेत्र में कुछ अलग प्रकार की अनियमितता है। यह चुंबकीय अनियमितता 150 वर्ग फीट गोलाकार क्षेत्र में है, जिसे मिस्ट्री स्पॉट कहा जाता है। यह एक ऐसी जगह है, जहां आपको गुरुत्वाकर्षण में अजीब सी अनियमितता देखने को मिलेगी। यहां पानी ऊपर की तरफ बहता है। इस स्‍पॉट में कंपास अजीब तरह से काम करता। यही नहीं, चीजों के साथ ही लोगों के आकार में भी बदलाव महसूस किया जाता है। मिस्‍ट्री स्‍पॉट में लोग बिना गिरे एक एंगल पर खड़े हो सकते हैं। बाद में पता चला कि यहां गुरुत्‍वाकर्षण अपना काम नहीं कर रहा था।

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