नैनीताल-मसूरी के बाद पर्यटकों को भाया उत्‍तराखंड का ये पहाड़ी शहर, अंग्रेजों ने बसाया; हर वीकेंड पर लग रहा जाम

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नैनीताल-मसूरी के बाद पर्यटकों को भाया उत्‍तराखंड का ये पहाड़ी शहर, अंग्रेजों ने बसाया; हर वीकेंड पर लग रहा जाम

विनीत माहेश्वरी (संवंतदाता)

चकराता उत्तराखंड के उन चंद बेहद खूबसूरत क्षेत्रों में से है, जो अपनी नैसर्गिक सुंदरता के साथ ही अपनी लोक परंपराओं और संस्कृति के कारण भी देश-दुनिया को अपनी ओर खींचते हैं। जौनसार-बावर का प्रमुख नगर या कहें मुख्यालय चकराता ब्रिटिश काल में बसाया गया महत्वपूर्ण कैंट है।

समुद्र तल से 2118 मीटर की ऊंचाई पर यमुना और टोंस नदी के बीच चकराता 1866 में बसाया गया था। ब्रिटिश सरकार ने 1869 में इसे कैंट बोर्ड के अधीन किया। देहरादून जिला मुख्यालय से करीब 95 किलोमीटर दूर स्थित चकराता के आसपास घने जंगल और हिमाच्छादित पहाड़ियां इसके रूप को और भी निखारती हैं। महाभारत काल और पांडवों से जुड़े इस क्षेत्र की अनेक कथाएं लोक में प्रचलित हैं।

गर्मी से राहत पाने के लिए पर्यटक इन दिनों अपना रुख पहाड़ी पर्यटन स्थलों पर कर रहे हैं। शुक्रवार शाम को यहां भारी संख्या में पर्यटक पहुंचे, जिससे जाम की स्थिति बन गई। घंटों तक पर्यटक जाम में फंसे रहे। छावनी बाजार गुलजार हो गया।

चकराता छावनी बाजार के शहीद चौक से लेकर चुंगी तक और गुरुद्वारा चौक तक पर्यटकों का जमावड़ा देखने को मिला। सैलानियों की आमद से स्थानीय कारोबारियों के चेहरे खुशी से खिल उठे। पर्यटकों ने सड़क किनारे ही अपने वाहन पार्क किए। राष्ट्रीय राजमार्ग मसूरी चकराता पर चिरमिरी सनसेट प्वाइंट तक गाड़ियों की लंबी कतार देखने को मिली। क्योंकि सैकड़ों की संख्या में पर्यटक चिरमिरी सनसेट प्वाइंट में सूर्यास्त का नजारा देखने पहुंचे थे।

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