



विनीत माहेश्वरी (संवंतदाता)
जौनपुर, ऑनलाइन डेस्क। ‘घर होगा, गाड़ी होगी और लोग मुझसे डरेंगे’, ये बातें लखनऊ में कुख्यात माफिया संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा को मौत के घाट उतारने वाला विजय यादव अक्सर अपने दोस्तों और घरवालों से कहता था। विजय रातोंरात अमीर बनना चाहता था, लेकिन उसकी इस चाह ने उसे जरायम की दुनिया में ढकेल दिया।पूछताछ के दौरान विजय ने स्वीकार किया कि मृत माफिया अतीक अहमद के दोस्त अशरफ ने जीवा की हत्या के लिए उसे 20 लाख रुपये की सुपारी दी थी।
पुलिस की पूछताछ में यह साफ हो गया है कि विजय ने रुपयों के लालच में जीवा की हत्या की। बड़ा आदमी बनने की चाह ने विजय यादव को जरायम की दुनिया में पहुंचा दिया। कल तक किसी कंपनी में मजदूर की हैसियत रखने वाला युवक आज कुख्यात माफिया को मारकर शूटर बन गया। रुपयों के लिए हत्या की बात को पुख्ता करने के लिए पुलिस की टीम विजय यादव के घर पर गयी थी। विजय के पिता श्यामा यादव ने बताया कि उनका और पत्नी का अकाउंट नंबर लेकर चेक किया, लेकिन उसमें पर्याप्त राशि नहीं थी।
विजय जब भी घर आता तो आसपास के लोगों का घर देख उसके मन में भी बड़ा घर बनवाने की चाह होती थी। वह लोगों से कहता था, ”बहुत जल्द ही सबसे बड़ा घर बनवाऊंगा। गाड़ी होगी और लोग मुझसे डरेंगे।” अमीर बनने की चाह में वह मुंबई से लेकर लखनऊ तक की दौड़ लगाता रहा।