रेगिस्तान में चीन खोद रहा 11 किलोमीटर गहरा गड्ढा, गहराई माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई से भी अधिक; क्या है मकसद चीन टकलामकान रेगिस्तान में 11 किलोमीटर गहरा गड्ढा खोद रहा है। यह गड्ढा रूस द्वारा खोदे गए गड्ढे से एक किलोमीटर कम होगा जो विश्व का सबसे गहरा गड्ढा है। आखिर चीन इतना गहरा गड्ढा खोद क्यों रहा है और इसके पीछे उसकी मंशा क्या है। आइए जानते हैं

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चीन रेगिस्तान में 11 किलोमीटर गहरा गड्ढा खोद रहा है, कोई खतरनाक मंशा तो नहीं? - Dynamic Express, NEWS, hindi NEWS

 

विनीत माहेश्वरी (संवाददाता)चीनी मीडिया की रिपोर्टों के मुताबिक, 11 हजार 100 मीटर गहरा गड्ढा खोदने के पीछे की मंशा प्राचीन क्रेटासियस दौर की तह तक पहुंचना है। क्रेटासियस एक भूगर्भीय काल है। उम्मीद जताई जा रही है कि यह योजना 457 दिन में पूरी हो जाएगी। टेकलामकान रेगिस्तान में नौ किलोमीटर गहरा तेल का कुआं पहले से मौजूद है।चीनी मीडिया की रिपोर्टों के मुताबिक, 11 हजार 100 मीटर गहरा गड्ढा खोदने के पीछे की मंशा प्राचीन क्रेटासियस दौर की तह तक पहुंचना है। क्रेटासियस एक भूगर्भीय काल है। उम्मीद जताई जा रही है कि यह योजना 457 दिन में पूरी हो जाएगी। टेकलामकान रेगिस्तान में नौ किलोमीटर गहरा तेल का कुआं पहले से मौजूद है।चीनी मीडिया की रिपोर्टों के मुताबिक, 11 हजार 100 मीटर गहरा गड्ढा खोदने के पीछे की मंशा प्राचीन क्रेटासियस दौर की तह तक पहुंचना है। क्रेटासियस एक भूगर्भीय काल है। उम्मीद जताई जा रही है कि यह योजना 457 दिन में पूरी हो जाएगी। टेकलामकान रेगिस्तान में नौ किलोमीटर गहरा तेल का कुआं पहले से मौजूद है।चीनी मीडिया की रिपोर्टों के मुताबिक, 11 हजार 100 मीटर गहरा गड्ढा खोदने के पीछे की मंशा प्राचीन क्रेटासियस दौर की तह तक पहुंचना है। क्रेटासियस एक भूगर्भीय काल है। उम्मीद जताई जा रही है कि यह योजना 457 दिन में पूरी हो जाएगी। टेकलामकान रेगिस्तान में नौ किलोमीटर गहरा तेल का कुआं पहले से मौजूद है।चीन के 11 किमी से अधिक गहरा गड्ढा खोदने की अन्य वजह तेल और गैस का पता लगाना है। टकलामकान रेगिस्तान के बारे में कहा जाता है कि यहां तेल और प्राकृतिक गैस के भंडार हो सकते हैं।

 

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