Mahalaxmi Stuti: पाना चाहते हैं आर्थिक तंगी से मुक्ति, तो शुक्रवार को जरूर करें महालक्ष्मी स्तुति

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Lakshmi Puja Goddess Of Wealth Is Pleased Laxmi Stuti In Hindi On 23  October Friday Problems Related To Money Are Removed | Laxmi Stuti: शुक्रवार  को लक्ष्मी स्तुति से प्रसन्न होती हैं

प्रियंका कुमारी(संवाददाता)

 सनातन धर्म में शुक्रवार के दिन धन की देवी मां लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन मां लक्ष्मी के निमित्त लक्ष्मी वैभव व्रत भी रखा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि शुक्रवार के दिन विधि पूर्वक मां लक्ष्मी की पूजा करने से साधक को सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त समस्त दुखों का नाश होता है। अत: शुक्रवार के दिन श्रद्धा भाव से मां लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। अगर आप भी मां लक्ष्मी की कृपा पाना चाहते हैं, तो शुक्रवार के दिन पूजा के समय महालक्ष्मी स्तुति का पाठ करें। इस स्तुति के पाठ से आर्थिक तंगी दूर होती है। आइए, महालक्ष्मी स्तुति का पाठ करें-

महालक्ष्मी स्तुति

आदि लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु परब्रह्म स्वरूपिणि।

यशो देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।1।।

सन्तान लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु पुत्र-पौत्र प्रदायिनि।

पुत्रां देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।2।।

विद्या लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु ब्रह्म विद्यास्वरूपिणि।

विद्यां देहि कलां देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।3।।

धन लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व दारिद्र्य नाशिनि।

धनं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।4।।

धान्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वाभरण भूषिते।

धान्यं देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।5।।

मेधा लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु कलि कल्मष नाशिनि।

प्रज्ञां देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।6।

गज लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वदेव स्वरूपिणि।

अश्वांश गोकुलं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।7।।

धीर लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु पराशक्ति स्वरूपिणि।

वीर्यं देहि बलं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।8।।

जय लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व कार्य जयप्रदे।

जयं देहि शुभं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।9।।

भाग्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सौमाङ्गल्य विवर्धिनि।

भाग्यं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।10।।

कीर्ति लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु विष्णुवक्ष स्थल स्थिते।

कीर्तिं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।11।।

आरोग्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व रोग निवारणि।

आयुर्देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।12।।

सिद्ध लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व सिद्धि प्रदायिनि।

सिद्धिं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।13।।

सौन्दर्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वालङ्कार शोभिते।

रूपं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।14।।

साम्राज्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु भुक्ति मुक्ति प्रदायिनि।

मोक्षं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।15।।

मङ्गले मङ्गलाधारे माङ्गल्ये मङ्गल प्रदे।

मङ्गलार्थं मङ्गलेशि माङ्गल्यं देहि मे सदा।।16।।

सर्व मङ्गल माङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।

शरण्ये त्रयम्बके देवि नारायणि नमोऽस्तुते।।17।।

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