



उमा शर्मा (संवाददाता)
सऊदी अरब और ईरान के बीच हाल ही में दोस्ती हुई है। चीन ने शिया बहुल ईरान और सुन्नी देश सऊदी अरब की दोस्ती कराई है। इस दोस्ती के बीच सऊदी अरब के प्रिंस जिन्होंने कभी ईरान के सुप्रीम लीडर को हिटलर कह डाला था, अब उन्हीं के आगे झुक गए हैं। दरअसल, सऊदी अरब के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान खाड़ी देशों की समृद्धि को ध्यान में रखकर ये काम कर रहे हैं।सऊदी अरब ने मोहम्मद बिन सलमान के नेतृत्व में ईरान के साथ सुलह समझौते को मंजूरी दे दी है। विश्लेषकों का कहना है कि इसके जरिए सऊदी प्रिंस खाड़ी देशों की समृद्धि को ध्यान में रख रहे हैं। सऊदी प्रिंस जब 29 साल के थे तब उन्होंने ईरान समर्थक हूती विद्रोहियों के खिलाफ पड़ोसी देश यमन में अभियान शुरू किया था। अब 37 साल की उम्र में मोहम्मद बिन सलमान पर्दे के पीछे से बातचीत कर रहे हैं, ताकि सऊदी सैनिक यमन से वापस निकल सकें।मोहम्मद बिन सलमान अपने क्षेत्रीय प्रतिस्पर्द्धी देशों कतर और तुर्की के साथ भी रिश्ते सुधार रहे हैं। यही नहीं यूक्रेन युद्ध को खत्म कराने के लिए मध्यस्थता करने का भी प्रस्ताव दे डाला है। विश्लेषकों का कहना है कि यह प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के व्यक्तित्व में एक विकास की तरह से है और वह अब एक व्यावहारिक शक्तिशाली नेता बनने की ओर बढ़ रहे हैं। ब्रिटेन के बर्मिंघम यूनिवर्सिटी में सऊदी विदेश नीति के विशेषज्ञ उमर करीम ने कहा कि ईरान के साथ हुआ समझौता प्रिंस के राजनीतिक रवैये में क्रांतिकारी बदलाव को दर्शाता है।ईरान के साथ डील को अभी क्रियान्वित किया जाना बाकी है और मई के दूसरे हफ्ते में दूतावास खोले जाने हैं। करीब 7 साल पहले दोनों देशों के बीच रिश्ते खराब हो गए थे। लेकिन सऊदी अरब अपनी उदार छवि पेश करना चाहता है। तेल पर निर्भर यह देश जानता है कि आगे आने वाले समय में तेल पर दुनिया की निर्भरता कम हो जाएगी, ऐसे में उसे वैश्विक पर्यटन को अपने देश में आकर्षित कर अपनी अर्थव्यवस्था को चलाना होगा। यही कारण है कि सऊदी अरब दुनिया में अपनी उदार छवि पेश कर रहा है। पिछले दिनों महिलाओं की सुरक्षाबल में भर्ती, ईरान से दोस्ती, भारत की दिल खोलकर अगवानी, यहां तक कि दुनिया के टॉप मोस्ट फुटबॉलर रोनाल्डो को अपने क्लब की टीम में शामिल करके उसने यह बता दिया है कि वह दुनिया में अपनी उदार छवि पेश कर रहा है।वहीं सऊदी अरब और सीरिया के बीच भी काउंसलर सेवाओं को फिर से शुरू करने के लिए बातचीत हो रही है। एक दशक पहले सऊदी अरब और सीरिया के बीच रिश्ते खत्म हो गए थे। सऊदी अरब ने खुलकर सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद की सरकार को हटाने का समर्थन किया था।