



प्रियंका कुमारी(संवाददाता )
भगवान श्रीराम को दिन के हिसाब से रोज अलग-अलग रंग के वस्त्र पहनाए जाते हैं। यही नहीं, वस्त्र के रंग से मिलती-जुलती अन्य साज-सज्जा भी की जाती है। भगवान की सेवा शिशु के रूप में होती है। उनकी सेवा के लिए एक प्रधान पुजारी और चार सहायक पुजारी नियुक्त किए गए हैं। यह जानकारी सहायक पुजारी संतोष कुमार तिवारी ने दी।उन्होंने बताया, ”श्रद्धालुओं की संख्या देखते हुए रामलला के जलपान के लिए सुबह रबड़ी का प्रसाद दिया जाता है। अभी तक हर दिन एक किलो रबड़ी चढ़ाई जाती थी। लेकिन, अब इसे बढ़ाकर राम मंदिर ट्रस्ट ने 3 किलो कर दिया है।”रोज इन रंगों के वस्त्र पहनते हैं रामलला पुजारी संतोष कुमार तिवारी ने बताया, ”भगवान रामलला को सोमवार को सफेद, मंगलवार को लाल, बुधवार को हरा, गुरुवार को पीला, शुक्रवार को क्रीम, शनिवार को नीला और रविवार को गुलाबी वस्त्र धारण कराए जाते हैं। उन्हें भोग में रोटी, चावल, दाल, सब्जी, अचार, पूड़ी, खीर, मालपुआ, पकौड़ी का भोग लगाया जाता है। इसके अलावा जलपान के लिए रबड़ी और खुरचन का प्रसिद्ध पेड़ा आता है। समय विशेष पर अनेक प्रकार के व्यंजनों से रामलला को भोग लगाया जाता है।”रामलला की सुरक्षा के लिए खास तौर पर गार्ड की तैनाती रामलला की पुष्प सेवा के लिए माली, भोजन की व्यवस्था के लिए भंडारी भी नियुक्त हैं। इतना ही नहीं, रामलला की सुरक्षा के लिए खास तौर पर गार्ड की तैनाती है। रामलला के दर्शन के लिए रोज करीब 20 हजार भक्त आते हैं। खास त्योहारों पर ये संख्या 1 लाख पार कर जाती है। दर्शन का समय सुबह 7 बजे से 11:30 बजे तक है। इसके बाद भोग और आरती कर 12 बजे मंदिर के कपाट कर दिए जाते हैं। दूसरी पाली में दोपहर 2 बजे से शाम 7 बजे तक दर्शन होता है। इसके बाद शाम 7:30 बजे संध्या और 8:30 बजे शयन आरती होती है। फिर भगवान आराम करते हैं और मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं।मौसम से बचाव के उपाय भी करते हैं पुजारी
मौसम के अनुसार प्रभु श्रीराम की सुरक्षा की जाती है। गर्मी में AC और ठंडी में गर्म हवा के लिए ब्लोअर से उनकी सेवा की जाती है। गुनगुने जल से भगवान को स्नान भी कराया जाता है। इस समय रामलला की सेवा का पूरा प्रबंध श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट करता है। ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय और ट्रस्ट के सदस्य डॉक्टर अनिल मिश्र अयोध्या में रहने पर रोज खुद जाकर मंदिर की व्यवस्था और निर्माण आदि के काम देखते हैं।अस्थायी मंदिर में रामलला का इस बार अंतिम जन्मोत्सव
रामलला के लिए भव्य मंदिर बनकर तैयार हो रहा है। इसके गर्भगृह का निर्माण तेजी से चल रहा है। इस मंदिर में रामलला आगामी मकर संक्रांति यानी 15 जनवरी 2024 या आस-पास के किसी शुभ मुहूर्त में विराजमान होंगे। यह भव्य मंदिर ठीक रामलला की जन्मभूमि पर बन रहा है। जन्मभूमि के स्थान को चिह्नित करने के लिए गर्भगृह में झंडा लगाकर निशान सुरक्षित किया गया है। श्रीराम जन्मभूमि परिसर में रामलला अपनी जन्मभूमि के कुछ दूर पर अस्थाई मंदिर में अपने तीनों भाइयों और हनुमान जी के साथ विराजमान हैं। अस्थाई मंदिर में रामलला का अंतिम जन्मोत्सव इस बार मनेगा। इसे यादगार बनाए जाने की योजना है। इसके बाद प्रभु श्रीराम का जन्मोत्सव जन्मभूमि में मनाया जाएगा यानी जो भव्य मंदिर बन रहा है, उसमें प्रभु विराजमान होंगे।