



तन्नू कश्यप (संवाददाता )
ज़िंदगी में आप क्या पाना चाहते हैं.. इस सवाल के लिए सबके जवाब अलग-अलग हो सकते हैं.. लेकिन जवाबों में जो एक चीज़ कॉमन होगी। वो है खुशी क्योंकि जो खुश है वही सेहतमंद भी है और जो हैप्पी और हेल्दी है। उससे ज्यादा किस्मत वाला कोई और हो नहीं सकता। हम ना सिर्फ़ अपने लिए बल्कि सबके लिए यही चाहते हैं भला अपने आसपास दुखी उदास और निराश लोगों को कौन देखना चाहेगा हर किसी का हंसते-मुस्कराते-खिलखिलाते चेहरे देखना पसंद है। और खुश रहना इतना भी मुश्किल नहीं है जितना आजकल लोगों के लटके हुए चेहरे देखकर लगने लगा है। स्ट्रेस ने ज्यादातर लोगों के चेहरे का रंग उड़ा दिया है।
जबकि ख़ुशी न तो हालात पर डिपेंड करती है न ही किसी और बात पर ये तो हमारी सोच, खानपान, फिज़िकल-मेंटल हेल्थ और लाइफस्टाइल से तय होती है। एक ताज़ा रिसर्च में भी यही बात सामने आई है। स्टडी के मुताबिक हमारी खुशी का 40% हिस्सा हमारे दिमाग पर निर्भर करता है, जबकि 50% हैप्पीनेस जेनेटिकली फैमिली से मिलती है और सिर्फ 10 प्रतिशत खुशी पर बाहरी दुनिया का असर पड़ता है।
लेकिन दिक्कत ये है कि 100% हैप्पीनेस पाने के लिए बाहरी दुनिया की ये जो 10% खुशी है..वो पूरे दिमाग को कंट्रोल करने लगी है। लोगों ने स्ट्रेस-प्रेशर निगेटिव इमोशंस को खुद पर इतना हावी कर लिया है कि अपना सुकून खो बैठे हैं। इसी वजह से भारत में 20 करोड़ से ज़्यादा लोग मानसिक बीमारी से जूझ रहे हैं। करीब 6 करोड़ से ज़्यादा डिप्रेशन के शिकार हैं। यूनिसेफ की रिपोर्ट के मुताबिक भारत के लगभग 41 फीसदी बच्चों को मानसिक परेशानियों को लेकर मदद की ज़रूरत है। इन हालात पर जल्द काबू पाना होगा क्योंकि ज़्यादा वक्त तक ये दिक्कत बनी रहे तो शरीर पर बीमारी के रूप में कई तरह के साइडइफेक्ट्स दिखने लगते हैं।
इसलिए शरीर से निगेटिव इमोशंस को बाहर निकालकर पॉज़िटिव एनर्जी भरनी होगी। चेहरे पर उदासी की जगह मुस्कान बिखेरनी होगीअगर आप हैप्पी होंगे तो ना सिर्फ हेल्दी रहेंगे बल्कि किसी काम में मन भी लगेगा तो, चलिए आज इंटरनेशनल हैप्पीनेस डे पर योग-प्राणायाम और ध्यान से देश के लोगों को खुशी का तोहफा देते हैं।
बढ़ रहे तनाव से बाहर निकलने के लिए प्रकृति के समीप समय बिताने के एहसास को ब्लू थेरेपी कहा जाता है। बी माइंडफुल, बी ग्रेटफुल, बी काइंड’। हंसते..मुस्कराते..खिलखिलाते चेहरे कितने अच्छे लगते हैं। हमारी खुशी का 40 प्रतिशत हिस्सा हमारे दिमाग पर निर्भर करता है। जबकि 50 प्रतिशत हैप्पीनेस जेनेटिकली परिवार से मिलता है और सिर्फ 10 प्रतिशत हमारी खुशी बाहरी दुनिया पर निर्भर करती है। मेंटल डिस्ऑर्डर भी बढ़ाता है जबकि हमारे देश में पहले ही 20 करोड़ से ज़्यादा लोग इससे जूझ रहे हैं। हर 7 में से 1 भारतीय इस बीमारी की चपेट में हैं। लेकिन, सिर्फ खुश रहने से इन तमाम बीमारियों से बच सकते हैं क्योंकि खुशी दिमाग को रिलेक्स करती है कुछ सेकंड की हंसी भी शरीर में खून का बहाव 20% तक बढ़ा देती है। दिल की धड़कन नॉर्मल करती है।
एक ऐसी रिपोर्ट सामने आ रही है जिसमें इस बात का दांवा किया गया है कि जिस देश में महिलाएं खुश हैं और आत्मनिर्भर हैं उस देश में खुशहाली और देशों की अपेक्षा ज्यादा है।
थोड़ी देर टहलें
रोज योग करें
मेडिटेशन करें
गहरी सांस लें
संगीत सुनें
अच्छी नींद लें
गुस्सा खतरनाक, रहें सावधान
गुस्से का पैटर्न समझें
क्रोध में आपा ना खोएं
आत्मनियंत्रण सीखें
गुस्से के लक्षण पहचानें
नुस्खे आज़माएं, टेंशन भगाएं
दूध में हल्दी मिलाकर पीएं
दूध के साशिलाजीत फायदेमंद
पंचकर्म से हेल्दी माइंड
बॉडी को डिटॉक्स करना
5 तरीके से सफाई करना
शरीर की अंदरूनी सफाई
आयुर्वेदिक औषधि से प्यूरीफाई
ब्रेन रहेगा हेल्दी, रोज रस पीएं
एलोवेरा
गिलोय
अश्वगंधा
थोड़ी देर टहलें
रोज योग करें
मेडिटेशन करें
गहरी सांस लें
संगीत सुनें
अच्छी नींद लें
गुस्सा खतरनाक, रहें सावधान
गुस्से का पैटर्न समझें
क्रोध में आपा ना खोएं
आत्मनियंत्रण सीखें
गुस्से के लक्षण पहचानें
नुस्खे आज़माएं, टेंशन भगाएं
दूध में हल्दी मिलाकर पीएं
दूध के साशिलाजीत फायदेमंद
पंचकर्म से हेल्दी माइंड
बॉडी को डिटॉक्स करना
5 तरीके से सफाई करना
शरीर की अंदरूनी सफाई
आयुर्वेदिक औषधि से प्यूरीफाई
ब्रेन रहेगा हेल्दी, रोज रस पीएं
एलोवेरा
गिलोय
अश्वगंधा