दुनिया से भीख मांगने वाले पाकिस्तान में 1996 के बाद होगा कुछ ऐसा कि आग बबूला हो जाएंगे आम लोग

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दुनिया से भीख मांगने वाला पाकिस्तान अब बांट रहा सूदखोरों से भी महंगा कर्ज,  होमलोन की दरें देखकर उड़े होश - India TV Hindi

तन्नू कश्यप (संवाददाता )

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पाकिस्तान की ओर से लगभग हर रोज ऐसी खबरें आ रही हैं, जिन पर आप एक बार में शायद ही यकीन करें। फिर चाहें वह 300 रुपये का पेट्रोल हो, डॉलर के मुकाबले 250 का रुपया या फिर 2500 रुपये की चाय। अब पाकिस्तान की सरकार अपने देशवासियों को एक और झटका देने वाली है। जो पाकिस्तान दुनिया भर से कर्ज की भीख मांग रहा है, वहां कर्ज की दरों में भयंकर वृद्धि की तैयारी है। यानि रोटी कपड़ा के बाद पाकिस्तानियों को मकान भी महंगा पड़ेगा।

दरअसल पाकिस्तान का केंद्रीय बैंक – स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान – अप्रैल में अपनी आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में ब्याज दरों को और बढ़ाकर 21 प्रतिशत कर सकता है। पाकिस्तानी ब्रोकरेज फर्म आरिफ हबीब लिमिटेड (एएचएल) ने कहा कि नकदी की तंगी वाले देश में मुद्रास्फीति के स्तर को कम करने के उद्देश्य से दरों में बढ़ोतरी की जाएगी। अगर यह अमल में आता है, तो यह एसबीपी द्वारा ब्याज दर में सबसे बड़ी बढ़ोतरी होगी। आखिरी बार अक्टूबर 1996 में ब्याज दरें 20 प्रतिशत तक पहुंच गई थीं। इस नीति की घोषणा के बाद से पाकिस्तानी रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अपने मूल्य का लगभग 1.2 प्रतिशत गिर गया है।

एएचएल ने अपने नोट में कहा कि अगली मौद्रिक नीति समिति की बैठक 4 अप्रैल को होनी है और एसबीपी अपनी नीतिगत दर को 100 बीपीएस से बढ़ाकर 21 प्रतिशत कर देगा। “मौद्रिक नीति समिति 4 अप्रैल को अपनी अगली बैठक शुरू करने के लिए तैयार है और हम उम्मीद करते हैं कि एसबीपी इस बैठक में अपनी नीति दर को 100 आधार अंक बढ़ाकर 21 प्रतिशत कर देगा।”नोट में आगे कहा गया है कि अतिरिक्त कराधान, शुल्क वृद्धि, पाकिस्तानी रुपये के कमजोर होने और रमजान के मौसम को देखते हुए मुद्रास्फीति अधिक रहने की संभावना है। इसमें यह भी कहा गया है कि जारी कर्ज अदायगी और कम वित्तीय प्रवाह के बीच पीकेआर के कमजोर होने के कारण कोर मुद्रास्फीति हर महीने बढ़ती जा रही है।यह एसबीपी द्वारा मार्च में ब्याज दरों में 300 बीपीएस से 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी के बाद आया है। SBP की मौद्रिक नीति समिति ने भी अपने CPI मुद्रास्फीति के पूर्वानुमान को 21 प्रतिशत से 23 प्रतिशत से संशोधित कर 27 प्रतिशत से 29 प्रतिशत कर दिया था। यह लगभग 27 वर्षों में सबसे बड़ी बढ़ोतरी थी। आखिरी बार अक्टूबर 1996 में ब्याज दरें 20 प्रतिशत तक पहुंच गई थीं। इस नीति की घोषणा के बाद से पाकिस्तानी रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अपने मूल्य का लगभग 1.2 प्रतिशत गिर गया है।पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से बेलआउट पैकेज प्राप्त करने के लिए बातचीत कर रहा है, लेकिन अभी तक सफल नहीं हो पाया है। यह जरूरी है कि पाकिस्तान आईएमएफ की किश्त को सुरक्षित करे क्योंकि उसके पास विदेशी मुद्रा भंडार की कमी है, जिसके कारण आयात संबंधी प्रतिबंध और ईंधन और खाद्य पदार्थों जैसी आवश्यक वस्तुओं की कमी हो गई है।

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