



विनीत माहेश्वरी (संवादाता)
नई दिल्ली, राहुल गांधी की चौतरफा घेरेबंदी की भाजपा सरकार की रणनीति के बीच दिल्ली पुलिस की पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष के घर रविवार को दी गई दस्तक ने सियासी पारा गरमा दिया। कांग्रेस ने प्रमुख विपक्षी नेता के खिलाफ पुलिस के कदम को प्रतिशोध, उत्पीड़न और धमकी के साथ निम्न स्तर की राजनीति करार देते हुए भाजपा सरकार पर पलटवार किया।
दिल्ली पुलिस के कदम की निंदा करते हुए पार्टी ने इसे सत्ता शीर्ष के इशारे पर उठाया गया कदम बताया और कहा कि 75 सालों में पहली बार किसी राजनेता के सियासी बयान पर पूछताछ का अभूतपूर्व कदम उठा गलत परंपरा की शुरूआत की गई है।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने चेतावनी के लहजे में साफ कहा कि दिल्ली पुलिस की हरकत ने तो केंद्रीय मंत्रियों के राज्यों के दौरे के दौरान उनके बयानों को लेकर राज्यों की पुलिस को नोटिस जारी करने का रास्ता खोल दिया है।
ने श्रीनगर में महिलाओं के यौन उत्पीड़न की घटनाओं से जुड़े उनके बयानों के बारे में दिल्ली पुलिस के नोटिस पर अपनी प्रारंभिक जानकारी जरूर दे दी, मगर इसके साथ ही कांग्रेस ने साफ कर दिया कि इस मुद्दे पर वह व्यापक कानूनी तैयारी के साथ राजनेताओं के राजनीतिक कार्यक्रम में अतिक्रमण के प्रयासों पर दिल्ली पुलिस को पुख्ता कानूनी जवाब देगी।\
मोदी सरकार के समक्ष हथियार नहीं डालेगी कांग्रेस
राहुल गांधी के आवास 12 तुगलक लेन पर दिल्ली पुलिस के दस्तक देने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समेत पार्टी के शीर्ष नेताओं ने पलटवार के तेवरों से साफ कर दिया कि ऐसे दबावों के बावजूद पार्टी मोदी सरकार के समक्ष हथियार नहीं डालेगी।
विशेष पुलिस आयुक्त (कानून व्यवस्था) सागर प्रीत हुड्डा के नेतृत्व में दिल्ली पुलिस की टीम सुबह करीब 10 बजे राहुल के आवास पर पहुंची। इसके कुछ देर बाद ही अभिषेक मनु सिंघवी, जयराम रमेश, पवन खेड़ा, सुप्रिया श्रीनेत कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं का वहां जमावड़ा शुरू हो गया, तो युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का बाहर विरोध प्रदर्शन भी होने लगा
करीब दो घंटे बाद दिल्ली पुलिस ने आवास परिसर में पहुंची और राहुल गांधी से पूछताछ के बाद उनके कार्यालय को इसी मामले में तीन दिन के भीतर दूसरा नोटिस थमा दिया।
मोदी सरकार पर बरसे खरगे
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इस पर ट्वीट के जरिए सरकार पर निशाना साधते हुए कहा ”मोदी जी के परम मित्र को बचाने की कवायद में मोदी सरकार पूरी तरह बौखला गई है। 45 दिन बाद भारत जोड़ो यात्रा के विषय में दिल्ली पुलिस को राहुल गांधी के घर पूछताछ के लिए भेजना तानाशाह सरकार का एक कायरतापूर्ण कारनामा है।”
कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं अशोक गहलोत, जयराम रमेश, अभिषेक सिंघवी और पवन खेड़ा ने भी इसके बाद संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में आक्रामक हमला बोला। गहलोत ने कहा कि बिना सत्ता शीर्ष के इशारे पर दिल्ली पुलिस राहुल गांधी जैसे वरिष्ठ राजनेता के राजनीतिक कार्यक्रमों से जुड़ी बात पर ऐसा कदम उठाने का साहस करे यह संभव नहीं है। 75 सालों में यह पहली बार हुआ है और आज का घटनाक्रम कल्पना से परे है।
उन्होंने कहा कि राहुल ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान, जो चार मुद्दे उठाए थे वे पूरी तरह सही साबित हो रहें हैं। न्यायपालिका, चुनाव आयोग, मीडिया सब पर दबाव है और इसके खिलाफ जो बोलता है, तो उसे नोटिस दिया जाता है
गहलोत ने कहा कि तानाशाही प्रवृत्ति का आलम यह है कि ईडी, सीबीआई, इनकम टैक्स किसी के घर में घुस जाती है और भाजपा सरकार ने राज्यों में खरीद-फरोख्त, तोड़-फोड़ के जरिए सरकारें गिराने का एक नया मॉडल बना लिया है। राजस्थान सरकार को गिराने की भी पूरी कोशिश की गई, मगर इसे रोक लिया गया।
दिल्ली पुलिस ने 16 मार्च को दिया था एक नोटिस
पार्टी प्रवक्ता वरीष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने कहा कि 16 मार्च को दिल्ली पुलिस ने एक नोटिस दिया था और तब जवाब देने के लिए आठ-दस दिन का समय मांगा गया था, मगर दो दिन बाद ही दुबारा वे पूछताछ करने और नए नोटिस देने वे राहुल गांधी के घर पहुंच गए।
उन्होंने कहा कि हम पुलिस को पुख्ता और कानूनी तरीके से इसका जवाब देंगे, मगर सवाल उठता है कि राजनेताओं के यात्रा कार्यक्रमों के दौरान हिंसा-उत्पीड़न की शिकार कई महिलाएं मिलती हैं, तो दिल्ली पुलिस ने ऐसे राजनीतिक अभियानों को लेकर कभी ऐसे प्रश्न और नोटिस दिए हैं।
सिंघवी ने कहा कि प्रतिशोध, उत्पीड़न और धमकी की राजनीति को नया आयाम दिया जा रहा है। राहुल गांधी के संसद के भीतर और बाहर उठाए सवालों से असहज होकर न केवल राजनीति के स्तर को गिराया जा रहा, बल्कि यह असहिष्णुता की चरमा सीमा है जिसकी हम निंदा करते हैं।
जयराम रमेश ने कहा कि राहुल गांधी के घर पुलिस भेजना प्रतिशोध और धमकी की राजनीतिक की मिसाल है जिसका मकसद अदाणी घोटाले से ध्यान बंटाना है, मगर 16 विपक्षी पार्टियां जेपीसी की मांग पर एकजुट हैं।