



श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने देश में अल्पसंख्यक तमिलों को राजनीतिक स्वायत्तता प्रदान करने के लिए संविधान में भारत समर्थित 13वें संशोधन को पूरी तरह से लागू करने की जरूरत को उल्लेखित किया।
विनीत माहेश्वरी (संवाददाता )
श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने देश में अल्पसंख्यक तमिलों को राजनीतिक स्वायत्तता प्रदान करने के लिए संविधान में भारत समर्थित 13वें संशोधन को पूरी तरह से लागू करने की जरूरत को उल्लेखित किया। श्रीलंका में गुरुवार को सर्वदलीय बैठक को संबोधित करते हुए विक्रमसिंघे ने कहा कि अगर किसी ने 13ए को पूरी तरह से लागू करने का विरोध किया है, तो संसद को कानून को खत्म करने के लिए कदम उठाने चाहिए।
तमिल को राजनीतिक लाभ का प्रावधान
बता दें कि 13ए श्रीलंका में तमिल समुदाय को सत्ता के हस्तांतरण का प्रावधान करता है। इस पर भारत 1987 में भारत-श्रीलंका के बीच हुए समझौते के बाद लाए गए 13ए को लागू करने के लिए श्रीलंका पर दबाव बना रहा है। श्रीलंका में अभूतपूर्व आर्थिक संकट और राजनीतिक उथल-पुथल के बीच पिछले साल राष्ट्रपति का पद संभालने वाले विक्रमसिंघे ने कहा कि देश के प्रमुख के रूप में मौजूदा कानूनों को लागू करना उनका कर्तव्य है।
भारतीय विदेश मंत्री की यात्रा के बाद श्रीलंका ने उठाया कदम
बता दें कि सर्वदलीय सम्मेलन भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की यात्रा के ठीक बाद हुआ, जिन्होंने 13ए को पूरी तरह लागू करने को लेकर भारत की इच्छा पर जोर दिया था। मालूम हो कि 1987 में श्रीलंका के जातीय संघर्ष में भारत द्वारा सीधे हस्तक्षेप के कारण 13ए श्रीलंका के संविधान का हिस्सा बन गया। प्रांतीय परिषद प्रणाली तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी और राष्ट्रपति जेआर जयवर्धने द्वारा हस्ताक्षरित भारत-लंका समझौते का हिस्सा थी।
राष्ट्रपति 8 फरवरी को करेंगे संबोधित
विक्रमसिंघे ने ब्रिटेन से श्रीलंका की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ 4 फरवरी तक सुलह हासिल करने के लिए दिसंबर के मध्य में अल्पसंख्यक तमिल राजनीतिक समूहों के साथ बातचीत शुरू की थी। उन्होंने कहा कि वह 8 फरवरी को एक विशेष संसदीय भाषण देंगे, जिसमें 13ए कार्यान्वयन और तमिलों से संबंधित अन्य मुद्दें शामिल हैं।