26 जनवरी को नवजोत सिंह सिद्धू की रिहाई की अटकलों के बीच पोस्टरों से पटा लुधियाना, बताया गया ‘पंजाब का रखवाला’

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Ludhiana covered with posters amid speculations of Navjot Singh Sidhu  release on January 26 | 'पंजाब का रखवाला', सिद्धू की रिहाई की अटकलों के बीच  पोस्टरों से पटा लुधियाना - India TV Hindi

विनीत माहेश्वरी (संवाददाता )

कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू की 26 जनवरी को रिहाई की अटकलों के बीच पंजाब के लुधियाना में जगह-जगह पर उनके समर्थन में पोस्टर लगाए गए हैं। इन पोस्टरों में सिद्धू को पंजाब का रखवाला करार दिया गया है। सिद्धू के मीडिया एडवाइजर सुरेंद्र डल्ला समेत अन्य कई कांग्रेसी नेताओं ने ये पोस्टर लगवाए हैं। हालांकि 30 जनवरी को श्रीनगर में होने वाली ‘भारत जोड़ो यात्रा’ की समापन रैली में रोडरेज के मामले में 1 साल की सजा काट रहे सिद्धू के शामिल होने को लेकर संशय बरकरार है।बता दें कि पंजाब सरकार ने अब तक आजादी के ‘अमृत महोत्सव’ के मौके पर कैदियों को दी जा रही छूट के मामले को लेकर  उनके नामों की फाइल पर मुहर नहीं लगाई है। जेल विभाग के मुखिया होने के नाते फाइल मुख्यमंत्री भगवंत मान के पास मौजूद है, लेकिन अब तक इसे कैबिनेट में मंजूरी नहीं मिली है। वहीं, 3 फरवरी से पहले पंजाब सरकार की कैबिनेट की कोई बैठक प्रस्तावित नहीं होने से माना जा रहा है कि नवजोत सिंह सिद्धू की 26 जनवरी को होने वाली संभावित रिहाई का मामला लटक सकता है।बता दें कि श्रीनगर में ‘भारत जोड़ो यात्रा’ की समापन रैली में शामिल होने के लिए नवजोत सिंह सिद्धू को प्रियंका गांधी के साथ जाना था, लेकिन सिद्धू की वक्त पर रिहाई न होने के कारण उन्हें रीलॉन्च करने की कोशिशों में लगे सिद्धू परिवार और कांग्रेस आलाकमान को झटका लग सकता है। आजादी के ‘अमृत महोत्सव’ के मौके पर केंद्र सरकार के निर्देश के बाद राज्य सरकारें उन कैदियों को कई तरह की छूट दे रही हैं जिनका जेल में आचरण अच्छा रहा है और जो किसी संगीन अपराध की सजा नहीं काट रहे हैं। सिद्धू के मामले की बात करें तो नियम के मुताबिक वह सिर्फ 1 साल की सजा ही काट रहे हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, वह अपनी सजा का करीब 68% वक्त जेल में बिना परोल या फरलो लिए काट चुके हैं। केंद्र सरकार के द्वारा तय किए गए नियम के मुताबिक, सिद्धू जैसा मामला होने पर 66% तक अपनी सजा का वक्त काट चुका कैदी रिहाई का हकदार है। ऐसे में सिद्धू की रिहाई में कोई मसला नहीं होना चाहिए था लेकिन कैदियों के नामों की फाइल पर काम आगे न बढ़ने की वजह से उनका 26 जनवरी को बाहर आ पाना मुश्किल लग रहा है।

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