



Karnataka News बेलथांगडी के पुथिला गांव के वकील कुलदीप ने मारपीट और अवैध गिरफ्तारी के मामले में सब इंस्पेक्टर सुथेश केपी के खिलाफ शिकायत दर्ज नहीं होने के बाद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। हाईकोर्ट ने कहा कि कानून का उल्लंघन करने वालों को नहीं छोड़ा जा सकता है।
विनीत माहेश्वरी (संवाददाता)
बेंगलुरु, एजेंसी। Karnataka High Court: कर्नाटक में एक 23 साल के वकील को पिछले महीने पुलिस पिटाई के बाद अवैध रूप से गिरफ्तार कर लिया था। अब इस मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट ने पीड़ित को 3 लाख रुपये का मुआवजा देने को कहा है। मुआवजे की राशि दोषी पुलिस अधिकारियों से वसूली जाएगी। जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने अपना फैसला सुनाते वक्त कहा कि जब राज्य या उसके अधिकारी लोगों से डरते हैं तो आजादी होती है, वहीं जब लोग राज्य या उसके एजेंटों से डरने लगें तो उसे अत्याचार कहा जाता है।
शिकायत दर्ज करने में देरी
बेलथांगडी के पुथिला गांव के वकील कुलदीप ने मारपीट और अवैध गिरफ्तारी के मामले में पुलिस सब इंस्पेक्टर सुथेश केपी के खिलाफ शिकायत दर्ज नहीं होने के बाद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। कोर्ट के निर्देश के बाद भी एफआईआर दर्ज करने में देरी हुई। हाईकोर्ट ने पुलिस महानिदेशक और पुलिस महानिरीक्षक को सुथेश और उन सभी अधिकारी के खिलाफ विभागीय जांच शुरू करने का आदेश दिया है जो याचिकाकर्ता पर अवैध गिरफ्तारी और कथित हमले के लिए जिम्मेदार हैं। कोर्ट ने तीन महीने के भीतर जांच पूरी करने का भी निर्देश दिया है।
गेट को लेकर विवाद
अगर पूरे मामले की बात करें तो विवाद एक गेट को लेकर था। पड़ोसी के वसंत गौड़ा और उनकी पत्नी भवानी ने उस सड़क पर गेट बनाने का प्रयास किया, जो कुलदीप की खेत तक जाती थी। इसको लेकर, वो अदालत में पहुंचे। कोर्ट ने उस पर रोक लगाने का आदेश दिया। लेकिन पुलिस ने अदालत के अंतरिम आदेश पर कोई कार्रवाई नहीं की। इसके अलावा कुलदीप की की तरफ से दायर शिकायत की फाइल को बंद कर दिया गया।
अस्पताल में भर्ती रहे कुलदीप
2 दिसंबर, 2022 को भवानी ने कुलदीप के खिलाफ गेट चोरी करने का आरोप लगाया। शिकायत मिलने के बाद पुलिस राचत में कुलदीप के घर पहुंची और बिना शर्ट पहने ही उसे घसीटते हुए साथ ले गई। इस दौरान उसकी मां को भी एक तरफ धकेल दिया गया। कुलदीप को अगले दिन मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया, जहां जमानत दे दी गई। उसने मजिस्ट्रेट को पुलिस द्वारा दुर्व्यवहार, पिटाई और प्रताड़ित किए जाने की जानकारी दी। कुलदीप दो दिन तक अस्पताल में भर्ती रहे।
गिरफ्तारी से होता है अपमान
कुलदीप ने सब-इंस्पेक्टर सुथेश के पी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की, लेकिन दर्ज नहीं की गई। फिर, उन्होंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसने स्थिति की रिपोर्ट मांगी। 5 जनवरी, 2023 को प्राथमिकी दर्ज की गई। अपने फैसले में कोर्ट ने कहा कि मंगलुरु के पुलिस अधीक्षक सब-इंस्पेक्टर के खिलाफ जांच की निगरानी करेंगे। कोर्ट ने कहा कि कुलदीप की गिरफ्तारी अवैध थी क्योंकि उसके खिलाफ वारंट नहीं था। शिकायत के बाद उचित संतुष्टि के बिना कोई गिरफ्तारी नहीं की जानी चाहिए क्योंकि इससे व्यक्ति को उसकी स्वतंत्रता से अलग कर दिया जाता है। इससे अपमान होता है और हमेशा के लिए एक निशान बन जाता है।
कार्रवाई की जानी चाहिए
अदालत ने आगे कहा कि यदि एक वकील के साथ इस तरह से व्यवहार किया जा सकता है तो आम आदमी के साथ क्या होगा? वह इस तरह का व्यवहार सहन नहीं कर पाएगा। इसलिए, ऐसे अपराधियों और कानून का उल्लंघन करने वालों को नहीं छोड़ा जा सकता है। इसपर कार्रवाई की जानी चाहिए।