



विनीत माहेश्वरी (संवाददाता )
इस समय अधिकतर वाहन निर्माण करने वाली कंपनियां गवर्नमेंट के नॉर्म्स को फॉलो करते हुए गाड़ियों में वाइट कलर के एलईडी लैंप देते हैं। इसमें विजिबिलिटी काफी फायदा होती है क्योंकि जो एलईडी वाली लाइट होती हैं उसकी रोशनी काफी दूर तक जाती है।
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। इंडियन मार्केट में इस समय गाड़ियों के लिए कई प्रकार के बल्ब आते हैं, आमतौर पर आपने देखा होगा पहले येलो कलर की गाड़ी में अधिक प्रयोग होते थे। लेकिन पिछले कुछ समय से सफेद रंग की लाइट गाड़ियों में आप अधिक देखते होंगे। ऐसा इसलिए है क्योंकि भारत सरकार गाड़ी की लाइट को लेकर कई नियम बनाए हैं। उदाहरण के तौर पर आपने देखा होगा कि अब दिन में भी गाड़ियों की लाइट जलती रहती है। इस खबर में आपको बताने जा रहे हैं सफेद लाइट और पीले रंग की लाइट के फायदे और नुकसान के बारे में
सेफद कलर लाइट
इस समय अधिकतर वाहन निर्माण करने वाली कंपनियां गवर्नमेंट के नॉर्म्स को फॉलो करते हुए गाड़ियों में वाइट कलर के एलईडी लैंप देते हैं। इसमें विजिबिलिटी काफी फायदा होती है, क्योंकि जो एलईडी वाली लाइट होती हैं उसकी रोशनी काफी दूर तक जाती है।
येलो कलर
येलो कलर की जो लाइट होती है आज भी बहुत से गाड़ियों में इस्तेमाल होते हुए आप देख सकते हैं। पुराने टेक्नोलॉजी है फिर भी इसके फायदे जान एक बार आपको भी लगेगा कि इसका इस्तेमाल करना चाहिए। येलो कलर की जो लाइट आती है वह कोहरे के समय में बड़े काम की होती है। सामने की तरफ से आ रही गाड़ी में अगर येलो कलर की लाइट लगी होती है, तो पहले से अंदाजा लग जाता है कि सामने से कोई गाड़ी आ रही है। वहीं सफेद रंग के एलईडी लाइट से लैस कोई गाड़ी कोहरे में आती है, तो बहुत बार ऐसा देखा गया है कि उसका प्रेजेंस को समझ पाना थोड़ा मुश्किल होता है।