



विनीत माहेश्वरी (संवाददाता )
शेयर बाजार (Stock Market) का सफर 2022 में काफी उतार चढ़ाव भरा रहा, लेकिन 2023 की शुरुआत के साथ ही बाजार में जबर्दस्त बिकवाली देखने को मिली है। बाजार की इस कमजोरी से हर काई हैरान है। लेकिन इस सुस्ती भरे माहौल के पीछे भारतीय बाजार से विदेशी निवेशकों की बेरुखी भी है। चीन सहित दुनिया के कुछ हिस्सों में कोविड संक्रमण की वापसी और अमेरिका में मंदी की चिंता के बीच विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने जबर्दस्त बिकवाली की हैै।यूं तो विदेशी निवेशक 2022 की शुरुआत से ही भारतीय बाजार से पैसे निकाल रहे थे। लेकिन यह बिकवाली साल खत्म होते होते थमी और एफपीआई की खरीदारी की खबरें भी आने लगीं। लेकिन जनवरी के पहले सप्ताह में भारतीय शेयर बाजारों से 15,000 करोड़ रुपये निकाले हैं। एफपीआई पिछले कुछ सप्ताह से भारतीय शेयर बाजारों के प्रति सतर्क रुख अपना रहे हैं। कोटक सिक्योरिटीज लिमिटेड के इक्विटी शोध (खुदरा) प्रमुख श्रीकांत चौहान ने कहा कि आगे चलकर एफपीआई के प्रवाह में उतार-चढ़ाव रहेगा। हालांकि, घरेलू और वैश्विक स्तर पर मुद्रास्फीति अब नीचे आ रही है। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक, एफपीआई ने दो से 13 जनवरी के दौरान भारतीय शेयर बाजारों से 15,068 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की है। जनवरी के 10 कारोबारी सत्रों में सिर्फ दो दिन एफपीआई शुद्ध लिवाल रहे हैं।
इससे पहले एफपीआई ने दिसंबर में शेयर बाजारों में शुद्ध रूप से 11,119 करोड़ रुपये डाले थे। नवंबर में उन्होंने शुद्ध रूप से 36,239 करोड़ रुपये का निवेश किया था। कुल मिलाकर एफपीआई ने 2022 में भारतीय शेयर बाजारों से 1.21 लाख करोड़ रुपये निकाले थे। इसकी प्रमुख वजह वैश्विक स्तर पर केंद्रीय बैंकों द्वारा आक्रामक तरीके से ब्याज दरों में वृद्धि, विशेषरूप से फेडरल रिजर्व का आक्रामक रुख, कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से जिंस कीमतों में तेजी है।