आप की अदालत’ में बीजेपी अध्यक्ष नड्डा ने कहा: ‘राहुल सेना का मनोबल गिराने की कोशिश कर रहे हैं, उनकी यात्रा ‘भारत तोड़ो यात्रा’ है’

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BJP chief Nadda in Aap Ki Adalat: Rahul is trying to lower armed forces'  morale, his Yatra is Bharat Todo Yatra - India TV Hindi

विनीत माहेश्वरी (संवाददाता )

भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि वह सेना का मनोबल गिराने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘उनकी यात्रा भारत जोड़ो यात्रा नहीं, भारत तोड़ो यात्रा है।’

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शनिवार रात 10 बजे इंडिया टीवी पर प्रसारित शो ‘आप की अदालत’ में रजत शर्मा से बात करते हुए नड्डा ने कहा: ‘सेना का मनोबल जितना राहुल गांधी ने गिराया उतना किसी और ने गिराने की कोशिश नहीं की। उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाया। उन्होंने हमारे बालाकोट के ऑपरेशन पर प्रश्न पूछे। उन्होंने कहा कि हमारी फौज की पिटाई हुई। इन शब्दों का प्रयोग कौन करता है? फौज का मनोबल कौन गिरा रहा है? फौज के प्रति दुर्भावना कौन रखता है? राहुल गांधी रखते हैं। जहां तक प्रधानमंत्री मोदी का सवाल है, हम यह दावे के साथ कह सकते हैं कि उनके नेतृत्व में देश के बॉर्डर सुरक्षित हैं। हमारे वीर जवान पूरी ताकत के साथ, मुस्तैदी के साथ अपने बॉर्डर की रक्षा कर रहे हैं।’

राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ पर नड्डा ने कहा, ‘वह आराम से अपनी यात्रा पूरी करें। कम से कम वह घर से बाहर तो पहली बार निकले, और उन्हें भारत को देखने का मौका तो मिला।’

 किसी भी लीडर को उसकी जुबान से निकली हुई बात याद रहनी चाहिए। जब वह जेएनयू गए तो संसद हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरु के पक्ष में नारे लगे कि ‘अफजल हम शर्मिंदा हैं, तेरे कातिल जिंदा हैं’। उसको फांसी किसने दी? तो इसमें कातिल कन हो गया? सुप्रीम कोर्ट के जज या तब के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी? राहुल जेएनयू गए और ऐसे लोगों के कंधे के साथ कंधा मिला कर चलने की बात कही। उस समय का जेएनयू का एक प्रोडक्ट अब कांग्रेस में है, और राहुल गांधी के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहा है। ये लोग भारत को जोड़ेंगे या इसे तोड़ेंगे? यह भारत जोड़ो यात्रा नहीं है, यह भारत तोड़ो यात्रा है।AAP सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल के इस आरोप पर कि बीजेपी ने अब तक 277 विधायकों का दलबदल कराया है, और अगर हर विधायक को 20 करोड़ रुपये भी दिए हैं तो अब तक 5500 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, बीजेपी प्रमुख ने जवाब दिया: ‘केजरीवाल की बात को कौन सीरियसली लेता है? मैंने ऐसा पहला नेता देखा है जिसे आजाद भारत में बोर्ड लेकर चलना पड़ा हो कि ‘मैं कट्टर ईमानदार हूं।’ अभी आपने गुजरात में देखा कि एक कागज लेकर उन्होंने दावा किया कि आईबी की रिपोर्ट के मुताबिक आम आदमी पार्टी की सरकार बन रही है। मैं बार-बार उनसे पूछ रहा हूं कि वह कागज कहां है, जरा मुझे भी दिखा दें, लेकिन वह जवाब देने को तैयार नहीं। लीडर क्रेडिबिलिटी से बनता हैं, यह एक दिन का काम नहीं है।’

उनकी  क्रेडिबिलिटी क्या है? उन्होंने कभी कहा था कि चुनाव नहीं लडूंगा, पार्टी नहीं बनाऊंगा, अपराधियों को टिकट नहीं दूंगा। अब एक मंत्री जेल के अंदर है और बाकी बेल पर बाहर घूम रहे हैं। और फिर देखिए इनकी क्रेडिबिलिटी कि सत्येंद्र जैन को मसाज दिलाने के लिए एक रेपिस्ट को थेरेपिस्ट बना दिया। उन्हें शर्म आनी चाहिए।

यह पूछे जाने पर कि क्या दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया का यह आरोप सही है कि बीजेपी ने उनसे AAP छोड़ने के बदले में ED और CBI के सभी मामले बंद करने की बात कही थी, नड्डा ने कहा: ‘सवाल ही नहीं उठता। ऐसे कट्टर भ्रष्टाचारियों को हमारी पार्टी में लेने का सवाल ही पैदा नहीं होता।’

बीजेपी अध्यक्ष ने पहली बार ‘आप की अदालत’ में पर्दे के पीछे की उस कहानी का खुलासा किया, जिसके चलते एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और देवेंद्र फडणवीस उपमुख्यमंत्री बने। रजत शर्मा ने पूछा कि शिवसेना के टूटने के बाद फडणवीस को मुख्यमंत्री क्यों नहीं बनाया गया, इसके पीछे का राज क्या है। उनसे पूछा गया ‘घोड़ी फडणवीस ने सजाई तो दूल्हा शिंदे को क्यों बना दिया’।

नड्डा ने कहा: ‘यह हुआ तो है ही। लेकिन फडणवीस ने घोड़ी दूल्हे के तौर पर चढ़ने के लिए सजाई ही नहीं थी। जिस तरीके का वातावरण था, और जो आगे जा कर सरकार बननी थी, उसमें एकनाथ शिंदे को ही मुख्यमंत्री बनना था। यह तय था।’

रजत शर्मा ने पूछा: ‘लेकिन उनको उपमुख्यमंत्री बनने के लिए दबाव क्यों डाला? आप ही का फोन गया था, वह तो प्रेस कॉफ्रेन्स कर रहे थे?’

नड्डा ने जवाब दिया: ‘उन्होने मन नहीं बनाया था मुख्यमंत्री बनने का, लेकिन हमें लगा कि एक अनुभवी नेता जो महाराष्ट्र को अच्छे से जानता है, वह अगर मंत्रिमंडल में रहेगा तो अच्छा रहेगा, और वह भी उनके कद के मुताबिक। सीएम तो एकनाथ शिंदे को बनाया ही था, तो देवेंद्र को डिप्टी सीएम के लिए बोला गया। इसमे मैं देवेंद्र की तारीफ करूंगा कि उन्होंने बिना किसी लाग-लपेट के, बिना अगर-मगर के पार्टी का कार्यकर्ता होने के नाते सीधे कहा कि ठीक है, आपका ये आदेश है मै इसे मानूंगा और उन्होंने डिप्टी सीएम की शपथ ली।’

नड्डा ने कहा: ‘मुझे नहीं लगता। मुझे नहीं लगता कि इस तरीके की कोई स्थिति आएगी, क्योंकि वातावरण ही ऐसा बना है। हमें आगे बढ़ना है और इनके साथ (शिंदे गुट) हमारा अच्छा समझौता है। हम इसी के साथ रहेंगे।’

नड्डा ने शिवसेना  प्रमुख उद्धव ठाकरे के इस आरोप को खारिज कर दिया कि बीजेपी ने ढाई-ढाई साल के लिए बारी-बारी से शासन का वादा किया था, लेकिन बाद में मुकर गई। बीजेपी अध्यक्ष ने कहा: ‘ये बिल्कुल गलत बात है कि बीजेपी ने उन्हें धोखा दिया। बीजेपी को उन्होंने धोखा दिया। इस चुनाव के दौरान हर जगह, हर मंच पर कहा गया कि देवेंद्र फडणवीस सीएम कैंडिडेट हैं। उनके नेत्तृव में चुनाव लड़ा जा रहा है। हर जगह नारा लगा कि ‘दिल्ली में नरेंद्र और महाराष्ट्र में देवेंद्र।’ उस समय शिवसेना के सभी बड़े नेता मंच पर रहते थे, लेकिन किसी ने कुछ नहीं बोला। लेकिन चुनाव के बाद उन्होंने शरद पवार और कांग्रेस के साथ समझौता कर लिया। उन्होंने कभी हमसे बातचीत नहीं की। वह सीधे सीएम बनने के लिए लालायित थे। उनके जीवन की बहुत बड़ी इच्छा थी जो पूरी हो रही थी। उन्होंने हमें पीठ पीछे छुरा घोंपा। यह उनका चरित्र रहा।

जेपी नड्डा: लेकिन उन्होने ऐसा कभी कहा भी नहीं न (कि वह सीएम बनना चाहते हैं)। दूसरी बात कि हम अगर कहेंगे तो हमारे गठबंधन में देवेंद्र फडणवीस को ही आगे रखकर चुनाव हुआ, इसलिए हम उन्हें ही मुख्यमंत्री के रूप में रखेंगे। जब आप एकनाथ शिंदे की बात करते है तो यह नया गठबंधन बना है। वह नए गठबंधन में मुख्यमंत्री बने।’

रजत शर्मा: देखिए, शिवसेना छोटी होती जा रही थी, बीजेपी बड़ी होती जा रही थी। उनको डर लगा होगा कि हमारी पार्टी खा जाएंगे?

नडडा: ‘उनको सिखाना या सलाह देना मेरा काम नहीं है। उनको यह देखना पड़ेगा कि वे छोटे क्यों हो रहे हैं। उनको बड़ा होने के लिए खुद कुछ करना पड़ेगा। जहां तक बीजेपी की बात है, तो हम अपना आधार बढ़ाने से पीछे हटने वाले नहीं हैं।’परिवार संभालना किसका काम था? वे लोग हमारे साथ मिल कर के अच्छा काम कर रहे हैं। महाराष्ट्र वापस विकास के ट्रैक पर आ रहा है। करप्शन कम हो गया है, सरकार भी जनता की सेवा कर रही है। हमने अच्छे काम के लिए समझौता किया। आपको देखना था अपने कुनबे को। आप अगर अपने मंत्रियो से नहीं मिलेंगे, उन्हें घंटों बैठाए रखेंगे, अपने साथियों से बातचीत नहीं करेंगे, और एक दूरी बनाकर राजनीति करेंगे तो इसमें हम क्या कर सकते हैं।’फिर मैं कहूंगा कि हारने वाला कुछ न कुछ बहाना बनाता ही है।फिर मैं कहूंगा कि हारने वाला कुछ न कुछ बहाना बनाता ही है।

नड्डा: अब यह उन्होंने कहा, उनकी बात है, लेकिन जब भी कोई समझौता होता है तो उससे पहले कुछ बातें गुप्त रखी जाती हैं। गुप्त तरीके से बातचीत की जाती है। लेकिन मैंने तो काला चश्मा लगाकर फडणवीस के जाने के बारे में नहीं सुना। मुंबई में इसकी कोई आवश्यकता नहीं है। हम कहीं भी बैठ सकते हैं और मुलाकात कर सकते हैं।

विपक्ष के इस आरोप  पर कि CBI, ED जैसी जांच एजेंसियां चुनाव के दौरान सक्रिय हो जाती हैं, बीजेपी अध्यक्ष ने जवाब दिया: ‘देखिये मैं आपको बताता हूं कि इसी कांग्रेस पार्टी के समय में सुप्रीम कोर्ट ने CBI को ‘पिंजड़े का तोता’ कहा था। जिस तरीके की इनकी सोच है, इसी तरह का इनको दिखता रहता है। ये इस तरह से ऐक्टिविटी करते रहे हैं। ED और CBI स्वतंत्र एजेंसियां हैं। इलेक्शन तो हमेशा ही लगे रहते हैं, तो क्या CBI और ED अपना काम बंद कर दे? अगर CBI ने कोई केस किया, अगर ED ने कोई केस किया तो उस केस में कोर्ट से इनको राहत क्यों नहीं मिलती है? अब ऐसा न कहिएगा कि कोर्ट भी हम मैनेज करते हैं? मां और बेटा दोनों (सोनिया और राहुल) नेशनल हेराल्ड मामले में जमानत पर बाहर हैं। क्या आपको नहीं लगता कि प्रथम दृष्टया मामला बनता है? चुनाव के दौरान कन्नौज के एक इत्र कारोबारी के पास से सैकड़ों करोड़ रुपये की नकदी जब्त की गई. पश्चिम बंगाल में एक मंत्री के करीबी के पास से करोड़ों रुपये का कैश बरामद हुआ। झारखंड में एक महिला अधिकारी के घर से काला धन बरामद हुआ है। अगर लोग भ्रष्टाचार में लिप्त हैं तो आप सिर्फ इसलिए कार्रवाई करने से दूर नहीं भाग सकते कि चुनाव चल रहा है। भ्रष्टाचारियों के खिलाफ एजेंसियां कार्रवाई करेंगी। हमारे प्रधानमंत्री ने लाल किले की प्राचीर से कहा है कि वह भ्रष्टाचार नहीं होने देंगे।’‘इससे पता चलता है कि वे भ्रष्ट हैं, जिन्होंने देश का पैसा लूटा है। कानून सख्त है और कानून इस पर ऐक्शन लेता है।’‘इससे पता चलता है कि वे भ्रष्ट हैं, जिन्होंने देश का पैसा लूटा है। कानून सख्त है और कानून इस पर ऐक्शन लेता है।’

‘नहीं ऐसा नहीं है। चुनाव हर जगह हो रहे हैं। इनकम टैक्स, ED सब लोग अपना-अपना काम तो करते ही रहेंगे। एक बात बताइए कि हमने कोई ऐसा केस बनाया जो गलत साबित हुआ हो। एक बात तो है कि राजनीति में अगर आपको सर्वाइव करना है तो आपको ठीक ढंग से रहना पड़ेगा, आपको ईमानदारी से काम करना पड़ेगा। आप इस तरह की हरकत करेंगे तो आपको जेल जाना ही पड़ेगा।’

जब रजत शर्मा ने इस ओर इशारा किया कि राहुल कह रहे हैं कि देश में 4 लोगों की तानाशाही है, मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा के अलावा चौथा व्यक्ति कौन है, बीजेपी अध्यक्ष ने कहा: ‘मैं नहीं जानता। लेकिन ये चारों ही तानाशाह नहीं हैं। न हम किसी को डराते हैं और न ही हम तानाशाह है। प्रधानमंत्री मोदी जी सारी चीजों को डेमोक्रेटिकली देखते हैं। कोविड महामारी के दौरान और हाल ही में G-20 अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभालने के बाद, वह अक्सर मुख्यमंत्रियों की कॉन्फ्रेंस करते रहे हैं। उन्होंने सभी मुख्यमंत्रियों को साथ लिया। हम तानाशाह नहीं, लोकतांत्रिक हैं। प्रधानमंत्री मोदी जी सब कुछ लोकतांत्रिक ढंग से चलाते हैं। हम दूसरों के बीच डर नहीं फैलाते हैं।’

उन दिनों को याद करते हुए जब वह नरेंद्र मोदी को अपने स्कूटर पर बैठाकर घुमाया करते थे, नड्डा ने कहा: इसमे मैं खुद का सौभाग्य मानता हूं कि मुझे बहुत पहले से ही ऐसी शख्सियत के साथ काम करने को मिला। यह मेरा भाग्य है और मैं इसके लिए ईश्वर का धन्यवाद करता हूं कि उन्होने मुझे ये मौका दिया। मुझे उनसे बहुत कुछ सीखने का मौका मिला। मैं आज जो कुछ भी हूं, उनकी वजह से हूं। वह हमारे महामंत्री थे, हमारे प्रभारी थे और मैं युवा मोर्चा का अध्यक्ष बना था। उन दिनों हमारे पार गाड़ियां नहीं थीं। मैं उन्हें स्कूटर पर ले जाता था। मोदी जी बहुत शार्प थे। जहां मेरी सोच की शक्ति समाप्त होती है, उससे आगे से वह सोचना शुरू करते हैं। मै घंटों मेहनत करके चीजों को ले जाया करता था, और उनके सामने रखता था तो वह कहते थे कि इसे इस एंग्ल से भी देखो, ऐसे देखो, वैसे देखो। उनके पास ढेर सारे आइडिया होते थे। उनके साथ काम करके बहुत अच्छा लगता था।’

नड्डा ने कहा: ‘मोदी जी को बड़े के नाते छोटे की कमियों को समझते हुए उससे काम लेना आता है। उन्होंने मुझसे कई बार कहा है, नड्डा मैं तुमको पतला करके छोड़ूंगा। दुनिया की सबसे बड़ी हेल्थ स्कीम, आयुष्मान भारत हमने 9 महीने में की, और वह भी डिजिटली। 20 मीटिंग तो उन्होंने खुद ली। ये सच है कि पिछले चुनावों के दौरान मैंने ‘मोदी है तो मुमकिन है’ का नारा दिय। आज मोदी सिर्फ भारत में ही लोकप्रिय नहीं हैं, बल्कि सारी दुनिया में उनकी धमक है। कोविड महामारी के दौरान उनके काम की तारीफ अमेरिकी राष्ट्रपति बायडेन, जापानी पीएम, डब्ल्यूएचओ चीफ समेत सभी ने की है। उन्होंने दिखाया कि कैसे 130 करोड़ भारतीयों को सुरक्षा कवच के साथ खड़ा किया। भारत में 2 कोविड वैक्सीन के डोज सबसे ज्यादा तेजी से बनाए गए।’

नड्डा ने कहा: ‘मोदी की शख्सियत को आज सारी दुनिया मानती है। जब रूस-यूक्रेन की लड़ाई शुरू हुई तो उन्होंने व्लादिमीर पुतिन और वलोडिमिर ज़ेलेंस्की, दोनों से बात की और हमारे 2,000 छात्रों के लिए सुरक्षित मार्ग सुनिश्चित किया। यहां तक कि बाकी देशों के युवाओं ने भी सेफ पैसेज के लिए तिरंगा पकड़ लिया। मोदी जी का थॉट प्रोसेस इतना शार्प है कि वह दूर तक सोचते हैं। सुबह-सुबह उनका फोन आया कि जो बच्चे यूक्रेन में हैं उनके नंबर और पते निकालें और कम से कम दिन में 2 बार उनसे बात करें। उनके माता-पिता से बात करें और उन्हें कहें कि घबराने की बात नहीं है, हम उन्हें सुरक्षित लाएंगे। हमने अपने दूतावास से बात की, सारी डिटेल निकाली, राज्यों में बांटा और एक हफ्ते के अंदर 2 बार उनसे संपर्क करने का काम किया। मोदी के पास ऐसे आइडिया रहते हैं। हम अपनी पार्टी में बिना किसी रुकावट के 24x7x365 काम करते हैं। छुट्टी हमारी संस्कृति में ही नहीं है। मोदी जी ने भारत की राजनीतिक संस्कृति को बदलकर रख दिया है। मैं विपक्षी दलों से कहना चाहता हूं कि या तो आप अपना रास्ता बदल लो या घर बैठने के लिए तैयार रहो।’

यह पूछे जाने पर कि नीतीश ने NDA क्यों छोड़ दी, बीजेपी अध्यक्ष ने कहा, ‘वह अपनी परछाईं से भी डरने लगे थे। जो सम्मान उनको हमारी पार्टी से मिला, वह उनको कहीं नहीं मिलेगा। बिहार को आगे बढ़ाने के लिए जितना सपोर्ट दे सकते थे, हमने दिया। आज बिहार की जो स्थिति है, वह आप सब जानते हैं। आज हमारी पार्टी बिहार में खुद के दम पर चुनाव जीतने की ताकत रखती है। हम अपने साथियों को लेकर आगे बढ़ेंगे। नहीं, चीजें ऐसे नहीं होती हैं। अपने परिवार को संभाल कर रखना अपना काम होता है। अब कोई अपना परिवार छोड़ कर हमारे पास आना चाहे तो हम रोक तो नहीं सकते। अगर हमें लगता है कि वे समाज के उपयोगी अंग हैं और हमारी सियासी विचारधारा को मजबूती पहुंचाने में उनका योगदान हो सकता है, तो हम निश्चित रूप से उन्हें अपनी पार्टी में लेंगे। हम दूसरी पार्टियों को तोड़ते नहीं हैं। अगर किसी से अपना परिवार न संभलता हो, तो क्या कर सकते हैं।’कुछ इसलिए छोड़ते हैं क्योंकि उनके पास कोई एजेंडा होता है, तो किसी के पास परिवार का एजेंडा होता है। जो इस वर्क फ्रेम में फिट नहीं होते, वे चले जाते हैं। लेकिन हमने किसी को नहीं छोड़ा।सबसे पहले तो हमें समझना पड़ेगा कि राष्ट्रीय पार्टियां धीरे-धीरे सिमट क्यों रही हैं, और बीजेपी एक क्षेत्र से बढ़ते-बढ़ते राष्ट्रीय पार्टी कैसे हो गई। कांग्रेस ने राष्ट्रीय पार्टी होते हुए भी कभी भी क्षेत्रीय आकांक्षाओं को नहीं समझा। तमिलनाडू में कांग्रेस की सरकार हुआ करती थी, लेकिन 60 साल पहले एक क्षेत्रीय पार्टी ने उन्हे वहां से हटाया, और तब से इसमें कोई बदलाव नहीं आया। आंध्र प्रदेश में कांग्रेस की सरकार हुआ करती थी। राज्य के बंटवारे के बाद कांग्रेस न आंध्र में रही और न ही तेलंगाना में। पश्चिम बंगाल में कांग्रेस 30 साल तक रही, फिर वहां से उसके पांव ही उखड़ गए। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने दशकों तक राज किया, और बाद में वहां समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी जैसे दल आ गए। क्षेत्रीय दल धीरे-धीरे पारिवारिक दल बनते जा रहे हैं, और इसके कारण मैं मानता हूं कि ये अनसाइंटिफिक हैं क्योंकि ऐसी पार्टियां भारत में लंबे समय तक नहीं रह सकतीं। ये धीरे-धीरे पारिवारिक कलह के कारण अपने आप ही खत्म हो जाएंगी। जब हम बंगाल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और बिहार में क्षेत्रीय दलों से लड़ते हैं, तो हम जानते हैं कि ये परिवार शासित दल हैं, और उनका पतन निश्चित है। भारत की जनता निश्चित तौर पर परिवारवादी पार्टियों को नकार देगी, लेकिन मैं उनका खात्मा नहीं चाहता। हम स्वस्थ प्रतिस्पर्धा चाहते हैं, लेकिन मुझे लगता है कि इन क्षेत्रीय दलों ने छोटे-छोटे लक्ष्य निर्धारित किए हैं। वे हमारी पार्टी के बड़े लक्ष्यों का मुकाबला कैसे कर सकते हैं? वैचारिक आधार रखने वाली, आर्थिक मुद्दों को समझने वाली पार्टी ही आगे बढ़ेगी।’

 

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