



विनीत माहेश्वरी (संवाददाता)
चीन में कोरोना वायरस के कहर से भारी संख्या में लोग त्रस्त हैं। देश की राजधानी बीजिंग के अस्पतालों के हालात बेहद खराब नजर आ रहे हैं। इलाज के लिए अस्पताल पहुंचे कुछ मरीज हॉल में स्ट्रेचर पर लेटे हैं तो वहीं, कुछ मरीज व्हीलचेयर पर बैठकर ऑक्सीजन लेते दिख रहे हैं। बताया जा रहा है अस्पताल पहुंचे अधिकतर मरीजों में बुजुर्ग लोग शामिल हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चुइयांग्लु अस्पताल गुरुवार को नए मरीजों से भर गया। यहां दोपहर तक सभी बेड खत्म हो गए और एंबुलेंस अब भी मरीजों को लाने में लगी हुई है।चीन में बड़ी संख्या में कोविड के मरीज सामने आने लगे हैं। ऐसे में नर्स और डॉक्टरों को इलाज के लिए तत्पर रहना पड़ रहा है। पिछले महीने चीन ने कोरोना प्रतिबंधों को हटा लिया था जिसके बाद अस्पताल में मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी है। दरअसल, यात्रा पर प्रतिबंध लगने और स्कूल बंद होने की वजह से देश की अर्थव्यवस्था पर काफी बुरा असर पड़ने लगा था जिसकी वजह से लोग सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करने लगे थे। इसके बाद चीनी सरकार ने मजबूरन कोरोना नियंत्रण नियमों को वापस ले लिया था।वहीं, कोरोना मामलों को देखते हुए यूरोपीय देशों ने चीन से आने यात्रियों को हवाई यात्रा करने से पहले कोविड टेस्ट कराना अनिवार्य कर दिया है। बता दें कि यात्रियों के लिए पहले कोविड टेस्ट जैसा नियम लागू करने वाला यूरोपीय संघ का पहला सदस्य इटली था। इसके बाद फ्रांस और स्पेन ने भी इस नियम को अपने देश में लागू कर दिया था। वहीं, अमेरिका द्वारा चीन से आने वाले यात्रियों के लिए भी कोविड नेगेटिव रिपोर्ट अनिवार्य कर दिए गए थे जिसपर चीन ने काफी आपत्ति भी जताई थी।वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसस ने भी चीनी सरकार की तरफ से संक्रमितों के कम आंकड़ों को लेकर चिंता जताई थी। चीन कोरोना को लेकर अपने देश के अधिक से अधिक बुजुर्ग आबादी को टीका लगाने पर तत्पर था लेकिन नकली दवाओं से जुड़े घोटालों व वृद्ध लोगों के बीच टीके को लेकर फैली गलत धारणाओं ने उसके काम में लगातार बाधा डाला है।