नए साल में होगा सियासी हलचल का नया नजारा

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बिहार में जबरदस्त सियासी हलचल, क्या 11 अगस्त से पहले नीतीश BJP को छोड़ RJD के साथ मिलकर बनाएंगे सरकार? - political crisis in Bihar will Nitish kumar leave BJP and form

विनीत माहेश्वरी (संवाददाता)

एक और साल बीतने में 48 घंटे से भी कम समय रह गए हैं। बीत रहे साल में सियासी उठापठक
अपेक्षाकृत कम देखने को मिली। पक्ष-विपक्ष दोनों खेमों में बड़ी लड़ाई की तैयारी करने और रणनीति
बनाने में अधिक वक्त बीता। साल की शुरुआत में उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड और गोवा में तो
साल के अंत में गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव हुए। इन चुनावों के परिणाम
मिश्रित रहे। लेकिन उत्तर प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में बड़ी जीत हासिल कर बीजेपी इस साल
भी खुद को सबसे मजबूत दिखाने में सफल रही। हालांकि विपक्ष ने भी बीजेपी के चक्रव्यूह को तोड़ने
के लिए तमाम हथकंडे अपनाए और उसे आने वाले समय में इसका सियासी प्रीमियम मिलने की
उम्मीद है।

अगर बीते साल की सियासी गतिविधियों को देखें तो संकेत मिलता है कि विपक्ष ने बीजेपी को घेरने
के लिए पहली बार रणनीति पर गंभीरता से काम किया। 2014 के बाद बीजेपी साल दर साल और
मजबूत होती गई है और विपक्ष उसके सामने बेबस दिखा है। चाहे सियासी अजेंडा सेट करने की बात
हो या लोगों के बीच लगातार पहुंचने की, बीजेपी विपक्षी दलों से बहुत आगे दिखती थी। लेकिन बीते
साल विपक्ष ने इस मोर्चे पर अपनी गलती स्वीकारते हुए अपने को बदलते हुए दिखाया। कांग्रेस
2014 के बाद पहली बार कंफर्ट जोन से बाहर निकली। राहुल गांधी की अगुआई में उसने भारत जोड़ो
पदयात्रा निकाली। अब तक इसके सकारात्मक परिणाम ही दिखे और माना जा रहा है कि यात्रा ने
पार्टी कार्यकर्ताओं को नई ऊर्जा दी। पार्टी ने नेतृत्व स्तर पर भी जो महीनों से उलझन थी उसे
समाप्त किया और गांधी परिवार से बाहर का नया अध्यक्ष दिया। माना जा रहा है कि अगले साल
पार्टी भारत जोड़ो पदयात्रा का दूसरा चरण भी करेगी।

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