चीन और अमेरिका आमने-सामने

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एक दूसरे के आमने सामने आए चीन और अमेरिका, इनके झगड़े से कैसे दो ध्रुवों में  बंट गई विश्व व्यापार व्यवस्था?-China US Tensions how did the world trade  system split into two

विनीत माहेश्वरी (संवाददाता) 

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अमेरिका ने चीन के खिलाफ बड़ा मोर्चा खोल कर रखा हुआ है। ताइवान में अमेरिका की दखलंदाजी
दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है। इसके अलावा कोरोनावायरस को लेकर जिस तरह से यूरोपियन
मीडिया चीन के खिलाफ अभियान चला रहा है। उसको लेकर अब चीन भी भड़ककर सीधी लड़ाई में
उतर आया है। चीन ने ताइवान में घुसकर युद्धाभ्यास किया। 71 लड़ाकू विमान भेजकर चीनी सेना
ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि अमेरिका के भड़काने पर यह हमारा जवाब है। ताइवान की डिफेंस
मिनिस्ट्री ने इसे चीन की तरफ से की गई सबसे बड़ी घुसपैठ बताया है। अमेरिका के डिफेंस बजट में
ताइवान के लिए 82000 करोड़ रुपए की मदद करन का प्रावधान ने चीन को भड़का दिया है।
फार्मा कंपनियों ने भी चीन की वैक्सीन हो निशाने पर ले लिया है। कोरोनावायरस जब फैल रहा था।
तब चीन ने बड़ी मात्रा में वैक्सीन कई देशों में सप्लाई की थी। वैक्सीन की संख्या करोड़ों में बताई
जाती हैं। पिछले 1 साल में फार्मा कंपनियों ने कोरोनावायरस की नई वैक्सीन तैयार की हैं। 20 दिन
में 24 करोड़ चीनी नागरिक संक्रमित होने और लाखों चीनी नागरिकों का मरने का दावा यूरोपियन
मीडिया द्वारा किया जा रहा है। यह प्रचारित किया जा रहा है कि चीन में लाशों से सेकड़ों कोल्ड
स्टोरेज भर गए हैं। यूरोपियन मीडिया की मानें तो चीन में लाखों लोगों की मौत कोरोना से हो गई
है। इस मामले में डब्ल्यूएचओ और चीन की सरकार द्वारा यूरोपियन मीडिया द्वारा जो अभियान
चलाया जा रहा है। उसकी पुष्टि नहीं हो रही है। कोरोना वैक्सीन का कारोबार अरबों-खरबों रुपयों का
है। इसमें भारतीय और यूरोपीयन फार्मा कंपनी शामिल है। इसे चीन के खिलाफ अमेरिकी सरकार का
अप्रत्यक्ष अभियान चीन मानकर चल रहा है।
चीन और रूस की संगामित्ती अमेरिका के खिलाफ शुरू इस अभियान में एक साथ मुकाबले में देखने
को मिल रही है। अमेरिका ने यूक्रेन को भी सैन्य एवं वित्तीय सहायता देकर रूस के खिलाफ
जबरदस्त अभियान चलाया जा रहा है। ऐसी स्थिति में चीन और रूस मिलकर अमेरिका के खिलाफ
एक जुट हैं। चीन और अमेरिका जिस तरह से एक दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोल रहे हैं। उसकी आंच
कहीं ना कहीं भारत पर भी पड़ती हुई दिख रही है। भारत के पड़ोसी देश नेपाल में चीन समर्थक प्रचंड
फिर से प्रधानमंत्री बन गए हैं। चुनाव में प्रचंड की पार्टी काफी पीछे थी लेकिन चीन ने प्रचंड को
प्रधानमंत्री बनाने के लिए सारी ताकत लगा दी। वहीं भारत समर्थक देउवा सबसे बड़ी पार्टी होने के
बाद भी अलग-थलग पड़े गये। इसे भारत की कूटनीतिक हार के रूप में देखा जा रहा है। चीन द्वारा
भारत की समीओं पर लगातार घुसपैठ की जा रही है। इससे चीन और भारत के बीच तनाव बढ़ रहा
है। बहरहाल जिस तरह से अमेरिका और चीन के बीच लगातार तल्खी बढ़ती जा रही है। रूस और
यूक्रेन के बीच में तल्खी बनी हुई है। यूरोप के साथ-साथ अब भारत में भी ऊर्जा संकट गैस के रूप में
जल्द ही देखने को मिलेगा वही खाद की कमी से भी भारत को जूझना पड़ेगा। रूस ने अपनी गैस की
पाइप लाइन बंद कर दी है। जिसके कारण जर्मनी से आने वाली भारत की गैस आपूर्ति में बाधा शुरू
हो गई है। सीएनजी गैस के दाम भारत में 100 रुपया किलो को पार कर ली है। 2023 में दुनिया में
आर्थिक मंदी को लेकर एक भय व्याप्त है। इसी बीच रूस चीन और अमेरिका के बीच जिस तरह की
लड़ाई देखने को मिल रही है। उससे सारे दुनिया के देशों की चिंता बढ़ रही है। इसका समाधान होगा
या तीसरे विश्व युद्ध जैसे हालत बनेंगे। इसकी चिंता सभी को होने लगी है।

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