24 दिसंबर राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस पर : उपभोक्ता जागरूकता का प्रहरी श्रीगोपाल नारसन!

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UPBHOKTA JANGHOSH NEWS

विनीत माहेश्वरी (संवाददाता )

अमृतबेला यानि ब्रह्ममुहूर्त के समय प्रतिदिन सोशल मीडिया पर एक काव्यात्मक संदेश आप पढ़ते
होंगेजो आध्यात्मिकता के साथ साथ सामाजिक सरोकारों के लिए भी प्रेरित करता है। जिसमे परमात्म
चिंतनकुछ अच्छा करने की सोच व सबका भला करने ललक दिखाई पड़ती है।यह संदेश देवभूमि
उत्तराखंड के रुड़की नगर से श्रीगोपाल नारसन द्वारा लिखित होता है।मां सरस्वती के इस पुत्र को
उपभोक्ता जनजागरूकता के लिए भी जाना जाता है। बेहद की सादगीविन्रमता धैर्यईमानदारी कर्मठता
अपनत्व के धनी श्रीगोपाल नारसन राज्य उपभोक्ता आयोग के वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में पिछले
30 वर्षों से पीड़ित उपभोक्ताओं के चेहरे पर न्याय की मुस्कान लाने का काम कर रहे है।उन्हें
उत्तराखंड की शान कहा जाए तो अतिश्योक्ति नही होगी।उपभोक्ता कानून पर गहरी पकड़ रखते हुए वे
आकाशवाणी विभिन्न समाचार पत्रों के माध्यम से व जगह जगह जाकर जागो ग्राहक जागो की
अलख जगा रहे है।बहुत से शिक्षण संस्थान व संस्थाएं इनको अपने यहां गेस्ट लेक्चर के लिए बुलाते
हैं ताकि कानून की जानकारी स्कूली बच्चों के साथ साथ बड़ो को भी मिल सके। श्रीगोपाल नारसन
बिना किसी लालच के निस्वार्थ भाव से कानून की सेवा करने के कारण विभिन्न शिक्षण संस्थाओं व
विधिक सेवा प्राधिकारण के शिविर में निःशुल्क रूप से उपभोक्ता कानून की जानकारी देते हैं।उनका
मानना है कि देश के प्रत्येक व्यक्ति को कानून की जानकारी होनी जरूरी है।ताकि प्रत्येक उपभोक्ता
अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो सके। श्रीगोपाल नारसन की अभी तक 19 पुस्तके प्रकाशित हो
चुकी हैंजिनमे श्रीमद्भागवत गीता शिव परमात्मा उवाच मैंविद्योतमापदचिह्न प्रवासदादी जानकीआबू
तीर्थ महानतिनका तिनका संघर्ष चैक पोस्टखामोश हुआ जंगल श्रीगोपालनारसन का आध्यात्मिक
चिंतनश्रीगोपालनारसन और उनका सांहित्य आदि शामिल है। वे अपना खाली समय ब्रह्माकुमारीज
संस्था से जुड़े सेवा कार्यो को देते है तो साहित्य साधना उनकी दिनचर्या का एक हिस्सा है। स्वतंत्र
पत्रकार के रूप में मान्यता प्राप्त श्रीगोपालनारसन एक बेबाक वक्ता है। बहुत बार उन्हें टीवी चैनलों
पर बहस करने व ज्वलंत मुद्दे उठाने का अवसर मिला ।बहुत संयमित मर्यादित व्यवहार करते हुए
साफ गोई से अपनी बात कहना उन्हें अच्छे से आता है। देश विदेश की अनेक पत्र और पत्रिकाओं में
नियमित लेखन से वे पत्रकारिता क्षेत्र के एक जाना माना चेहरा बन गए है।अनेक पुरुस्कारों व
सम्मानो से विभूषित श्रीगोपाल नारसन विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ भागलपुर बिहारके उपकुलसचिव
के रूप में जहां हिंदी के पैरोकार के रूप में उभरे हैं।वही उनका हिंदी प्रेम व अथक परिश्रम हिंदी
साहित्य के लिए उपयोगी सिद्ध हुआ है। विद्यार्थी जीवन मे एक अच्छे खिलाड़ी रह चुके श्रीगोपाल

नारसन स्वयं को अभी भी एक विद्यार्थी मानते हैं। पांच किमी पैदल चाल में राज्य स्तर पर स्वर्ण
पदक दौड़ व तैराकी मे भागेदारी तथा नियमित सुबह की सैर ने उन्हें अच्छा स्वास्थ्य दिया है।
प्रतिष्ठित एक हिंदी दैनिक में प्रति पखवाड़ा उनका उपभोक्ता कानून विषय पर एक लेख आता है।वे
चाहते है कि कोई भी उपभोक्ता पीड़ित शोषित न होने पाए।इसके लिए सलाह देते है कि खरीदारी
करते समय सामान की गुणवत्ता परख ले।साथ ही चुकाए गए मूल्य की रसीद व गारंटी -वारंटी प्रमाण
पत्र लेना न भूले।उनकी नज़र में उपभोक्ता अदालतें देश मे सुलभ न्याय का सबसे बड़ा व विश्वसनीय
मंच है।जिनके प्रति जनविश्वास भी बढ़ा है।लेकिन श्रीगोपालनारसन चाहते है कि छोटे छोटे उपभोक्ता
मामलों के लिए तहसील व ब्लाक स्तर पर भी उपभोक्ता अदालतें गठित होताकि आमजन को उसके
द्वार पर ही न्याय मिल सके।

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