



विनीत माहेश्वरी (संवाददाता )
फार्मास्युटिकल तेजी से ग्रोथ करने वाली इंडस्ट्रीज में से एक है। शानदार ग्रोथ की वजह से इसमें
नौकरियां भी तेजी से बढ़ी हैं। अगर साइंस बैकग्राउंड के हैं और सेल्स और कस्टमर को मैनेज करने
का हुनर रखते हैं, तो मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव के रूप में करियर की बेहतरीन शुरुआत कर सकते हैं…
भारत का फार्मा सेक्टर 13-14 फीसदी सालाना की दर से ग्रो कर रहा है। मेडिकल फील्ड में हो रहे
डेवलपमेंट्स के कारण मेडिसिन मार्केट भी कॉमर्शियल रूप से काफी आगे बढ़ रहा है। एफडीआई के
बाद से इसमें और विस्तार होने की उम्मीद की जा रही है। कई विदेशी कंपनियां अपने प्रोडक्ट का
पेटेंट कराकर, भारत में कारोबार करने आ रही हैं। इससे घरेलू फार्मा इंडस्ट्री और तेजी से विकसित
हो रही है। इसे देखते हुए कहा जा सकता है कि आने वाले दिनों इस फील्ड में मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव्स
के लिए जॉब्स की कमी नहीं होगी।
वर्क प्रोफाइल
मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव्स फार्मास्युटिकल कंपनीज और हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स के बीच की कड़ी होते हैं। वे
प्रोडक्ट्स को स्ट्रेटेजी के साथ मार्केट में प्रमोट करते हैं। वन टु वन के अलावा वे ग्रुप इवेंट्स
ऑर्गेनाइज कर ड्रग्स के प्रति जागरूक करते हैं। फार्मास्युटिकल कंपनीज मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव्स को
हायर करती हैं, ताकि वे कस्टमर्स और डॉक्टर्स को अपने प्रोडक्ट की उपयोगिता के प्रति कनवीन्स
कर सकें। इस तरह मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव ड्रग्स की मार्केटिंग में एक अहम भूमिका निभाते हैं। इसके
बदले उन्हें प्रमोशन मिलता है। अलग-अलग दवा कंपनियां अपने यहां नियुक्ति के बाद कैंडिडेट्स को
स्पेशल स्किल डेवलपमेंट की ट्रेनिंग देती हैं। उन्हें एनाटॉमी, फिजियोलॉजी, फार्माकोलॉजी,
सेल्समैनशिप की ट्रेनिंग के अलावा डॉक्टर्स की प्रोफाइल, प्रोडक्ट की नॉलेज और फील्ड ट्रेनिंग दी
जाती है, जिसके तहत सेलिंग टेक्निक्स बताई जाती है। फील्ड ट्रेनिंग के दौरान फ्रेश ग्रेजुएट्स को
किसी सीनियर मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव के अधीन काम करना होता है।
बेसिक स्किल्स
मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव बनने के लिए आपके पास मेडिकल फील्ड, मैनेजमेंट और मेडिसिन की संपूर्ण
जानकारी होनी चाहिए। आपको मानव शरीर और दवा में इस्तेमाल होने वाले रासायनिक तत्वों की भी
जानकारी रखनी होगी। ऐसे में आपके पास कम्युनिकेशन स्किल्स के साथ-साथ अंग्रेजी-हिंदी की
अच्छी जानकारी होनी चाहिए। इसमें काम करने की कोई फिक्स्ड अवधि नहीं होती है, इसलिए
आपको इसके लिए पहले से तैयार रहना होगा। खुद को फिजिकली भी फिट रखना होगा।
एजुकेशनल क्वालिफिकेशन
फार्मा बिजनेस मैनेजमेंट में बीबीए या एमबीए, फार्मास्युटिकल ऐंड हेल्थकेयर मार्केटिंग में पीजी
डिप्लोमा, फार्मा मार्केटिंग में डिप्लोमा या पोस्ट ग्रेजुएशन डिप्लोमा कोर्स करने के बाद आप इसमें
आगे बढ़ सकते हैं। इसके अलावा, सेलिंग और मार्केटिंग की स्किल रखने वाले साइंस ग्रेजुएट्स भी
एंट्री ले सकते हैं। आज कई यूनिवर्सिटीज और कॉलेज में इससे संबंधित कोर्स संचालित किए जा रहे
हैं। कुछ संस्थानों में फार्मा बिजनेस मार्केटिंग से संबंधित कोर्स भी शुरू हो चुके हैं। डिप्लोमा कोर्स
करने के लिए आपको साइंस के साथ 12वीं पास होना जरूरी है। पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा में प्रवेश के
लिए स्टूडेंट्स के पास बीएससी, बीफार्मा की डिग्री होनी चाहिए। 12वीं (मैथ्स और बायोलॉजी) के बाद
बीबीए (फार्मा बिजनेस) में दाखिला लिया जा सकता है।
प्रोग्रेस का चांस
सेल्स परफॉर्मेंस और कस्टमर्स को मैनेज करने का हुनर रखने वाले मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव
फार्मास्युटिकल मार्केटिंग में शानदार करियर बना सकते हैं। जो लोग कंपनी के टारगेट को समय-
समय पर अचीव करते चलते हैं, उन्हें प्रमोशन मिलने में भी देर नहीं लगती है। आप एरिया मैनेजर,
रीजनल या जोनल मैनेजर, डिवीजनल सेल्स मैनेजर, डिवीजनल कंट्रोलर, डिप्टी मार्केटिंग के अलावा
मार्केटिंग मैनेजर के रूप में प्रोग्रेस कर सकते हैं। मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव के अलावा, मार्केटिंग
एग्जीक्यूटिव, प्रोडक्ट एग्जीक्यूटिव, बिजनेस एग्जीक्यूटिव के रोल में काम करने का पूरा अवसर है।
एमबीए या फार्मेसी की डिग्री रखने वाले एरिया मैनेजर, सर्किल मैनेजर, प्रोडक्ट मैनेजर, ग्रुप प्रोडक्ट
मैनेजर, क्वालिटी कंट्रोल मैनेजर, ब्रांड मैनेजर या मैनेजमेंट ट्रेनी के रूप में रैनबैक्सी, ग्लैक्सो, सन
फार्मा, फाइजर, सिप्ला, निकोलस पिरामल जैसी कंपनियों के साथ जुड़ सकते हैं। इन कंपनियों में
एक-दो साल का एक्सपीरियंस रखने वाले मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव्स को इंटरव्यू के आधार पर नियुक्त
किया जाता है। इसके अलावा, समय-समय पर अखबारों में और वेब-साइट्स पर भी विज्ञापन निकलते
रहते हैं।
सैलरी पैकेज
सामान्य तौर पर शुरुआती वेतन 10 से 20 हजार रुपये तक है, लेकिन अनुभव के आधार पर
आमदनी में इजाफा होता रहता है। कुछ अनुभव हासिल करने के बाद 30 से 40 हजार रुपये प्रतिमाह
आसानी से हासिल किए जा सकते हैं। पांच या सात साल के अनुभव के बाद वेतन लाखों में हो
सकती है। इसके अलावा, आपके परफॉर्मेंस के आधार पर समय-समय पर इंसेंटिव सहित कई तरह की
सुविधाएं दी जाती हैं। सेल्स टारगेट अचीव करने वालों को कई बार ब्रांड मैनेजमेंट जैसी जिम्मेदारी
तक सौंप दी जाती है। इससे आपकी आमदनी बढ़ने के साथ-साथ मार्केट में एक अलग पहचान बनती
है।