



विनीत माहेश्वरी (संवाददाता )
मध्यप्रदेश विधानसभा के अविश्वास प्रस्ताव के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष जय श्री राम और जय
सियाराम के नारों से सदन गूंज उठा। कांग्रेस ने भगवान राम और सीता पर मंत्री मोहन यादव द्वारा
किए आपत्तिजनक बयान को आधार बनाते हुए भाजपा पर निशाना साधा। भाजपा के वरिष्ठ विधायक
रामेश्वर शर्मा के बयान के बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच में माफी को लेकर तीखी नोकझोंक हुई।
रामेश्वर शर्मा के इस कथन पर कि राम और सीता भाजपा के तो कांग्रेस का कौन। इस को लेकर
विवाद बढ़ा और काफी देर तक सदन में पक्ष और विपक्ष के बीच में जमकर नारेबाजी होती रही।
कांग्रेस माफी मांगने पर अड़ी रही।
जय श्री राम और जय सियाराम को लेकर अब हिंदू भी दो भागों में बढ़ते हुए नजर आ रहे हैं। इसमें
देशभर में एक नई राजनीति की शुरुआत हो गई है। भाजपा ने जय श्री राम के नाम पर शायद
अपना पेटेंट करा लिया है। वहीं कांग्रेस ने भी उत्तर भारत में राम की सीता के साथ पूजा करने एवं
उत्तर भारत में सभी वर्गों में अभिवादन में जय सियाराम सैकड़ों वर्षों से प्रचलित है। कांग्रेस ने इसी
को आस्था के साथ जोड़कर अपना नारा बनाकर जय सियाराम को कांग्रेस का पेटेंट बना लिया है।
इसे भाजपा स्वीकार नहीं कर पा रही है। कांग्रेस ने हिंदू समुदाय को अपने पक्ष में आकर्षित करने के
लिए अब जय सियाराम के नारे लगाए जा रहे हैं।
भाजपा अब इस मामले में सतर्क हो गई है। कांग्रेस और भाजपा की नई राजनीति मैं राम और सीता
भी अब बंटे हुए नजर आ रहे हैं। मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव के विवादित बयान पर
विजय लक्ष्मी साधो ने प्रदेश सरकार से पूछा यह कौन सी संस्कृति है कि वह माता सीता को नहीं
मानते हैं। भाजपा और आरएसएस के लोग जय श्री राम क्यों बोलते हैं। जय सियाराम क्यों नहीं
बोलते। विधायक रामेश्वर शर्मा का यह कहने पर कि माता सीता श्रीराम और अयोध्या सब हमारे हैं।
तुम्हारा क्या? रामेश्वर शर्मा के इस कथन पर विपक्ष भड़क गया। सत्तापक्ष से माफी मांगने के लिए
कहा सत्ता पक्ष ने कहा हम माफी का मा भी नहीं कहेंगे माफी की बात तो बहुत दूर है।
कांग्रेस के इस सियासी दांव में भाजपा धीरे-धीरे फंसती हुई नजर आ रही है। पिछले 30 वर्षों में जय
श्रीराम के नारे के साथ हिंदुत्व को लेकर भाजपा ने वह सब पाया जो उसने सोचा था। अब इसकी
काट लगता है कांग्रेस ने निकाल ली है। कांग्रेस ने जय सियाराम को अपनाकर उत्तर भारत के सभी
राज्यों मैं जहां अभिवादन के साथ-साथ जय सियाराम की पूजा मां सीता भगवान राम और हनुमान
की पूजा एक साथ की जाती है। कांग्रेस अब राम सीता और हनुमान को लेकर हिन्दुत्व की राजनीति
के नए पथ की ओर चल पड़ी है। भाजपा के कुछ नेता समय-समय पर विवादित बयान देकर कांग्रेस
की राह को आसान बनाने का काम कर रहे हैं। कांग्रेस के नेता कार्यकर्ता और आम जनता 80
फ़ीसदी से ज्यादा हिंदू है। भगवान राम सीता और हनुमान उनके भी आराध्य हैं। घरों-घर इनकी पूजा
होती है। कांग्रेस ने एक संवेदनशील और मनोवैज्ञानिक दबाव भाजपा के ऊपर बनाना शुरू कर दिया
है। भाजपा के नेता कांग्रेस की नई रणनीति को समझ नहीं पा रहे हैं। भाजपा ने 3 दशकों में कांग्रेस
को हिन्दुओं का विरोध करने और मुसलमानों को संरक्षित करने की पार्टी बताकर हिन्दू विरोधी जो
छबि बनाई थी कांग्रेस अब हिन्दुओं को अपने पक्ष में लाने के लिये सीता-राम और हनुमान को एक
मंच पर लेकर आ रही है। इसका असर हिन्दू मतदाताओं को भी विभाजित करेगा। राम और सीता को
लेकर नया विवाद जो शुरु हो गया है।