



विनीत माहेश्वरी (संवाददाता )
चीन में कोरोना वायरस से जो हालात बने हैं, वे सिहरन और चिन्ता पैदा करने वाले हैं। चीन में
संक्रमण का कितना विस्तार हुआ है, उसने न पहले कभी खुलासा किया और अब भी अद्र्धसत्य ही
दुनिया के सामने पेश कर रहा है। कोरोना महामारी के जो आकलन सामने आए हैं, उनके मुताबिक,
चीन में करीब 60 फीसदी आबादी, आगामी 90 दिनों में, कोरोना संक्रमित हो सकती है। यह संख्या
80 करोड़ चीनियों तक पहुंच सकती है। हालांकि अप्रैल, 2023 में संक्रमण का ‘पीक’ आंका गया है,
लेकिन तब तक चीन को कोरोना की तीन लहरें झेलनी पड़ सकती हैं। संभावित मौतें 10 लाख के
करीब होंगी। हालात आपातकाल सरीखे बनते जा रहे हैं, जैसे भारत, अमरीका और यूरोपीय देशों ने
देखे और झेले थे। चीन के शहरों में अस्पतालों में बिस्तर उपलब्ध नहीं हैं। आईसीयू में जगह मिलना
दुर्लभ है। दवाइयों का अकाल है।
संक्रमण की जांच और हकीकत जानने के लिए टेस्टिंग सुविधाएं खत्म होती जा रही हैं। शहर-दर-शहर
लाशों के ढेर लगे हैं। श्मशान में जगह नहीं है। प्रतीक्षा-सूची कमोबेश 2000 शवों की है। हालांकि चीन
ने आधिकारिक तौर पर मौतों की संख्या फिलहाल 5000 से कुछ ज्यादा ही स्वीकार की है, लेकिन
अमरीकी विशेषज्ञों के आकलन हैं कि मार्च में मौतों का आंकड़ा 9000 रोज़ाना तक पहुंच सकता है।
वर्ष 2023 के अंत तक चीन में करीब 16 लाख मौतें कोरोना संक्रमण से हो सकती हैं। राष्ट्रपति
जिनपिंग के सामने विकराल सियासी संकट खड़ा दिखाई दे रहा है। चूंकि चीन हमारा पड़ोसी देश है,
लिहाजा भारत का चिंतित होना स्वाभाविक है। हालांकि भारत में एक सप्ताह में औसतन 1200
संक्रमित मामले दर्ज किए जाते हैं, जबकि दुनिया भर में यह औसत आंकड़ा 35 लाख का है। बीते
सप्ताह अफ्रीका में सबसे कम 9321 मामले और एशिया में सर्वाधिक 18.26 लाख नए मरीज सामने
आए हैं। यूरोप में करीब 11 लाख, उत्तरी अमरीका में करीब 5.5 लाख और दक्षिण अमरीका में करीब
4.76 लाख मामले दर्ज किए गए हैं।
क्या इन आंकड़ों और रुझानों को कोरोना संक्रमण की प्रबल वापसी माना जा सकता है? बहरहाल
भारत अपेक्षाकृत सुरक्षित और नगण्य स्थिति में है। फिर भी भारत सरकार के स्वास्थ्य सचिव राजेश
भूषण ने राज्य सरकारों को निर्देशात्मक परामर्श भेजा है कि वे सतर्क रहें, मरीजों की पहचान करें,
जांच, इलाज और टीकाकरण पर फोकस रखें। संक्रमित लोगों के सैंपल जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए
प्रयोगशाला को भेजें, ताकि संक्रमण के वेरिएंट की जानकारी पुख्ता की जा सके। फिलहाल ओमिक्रॉन
वेरिएंट ही संक्रमण फैला रहा है, यह जानकारी दी जा रही है। बहरहाल भारत में कोरोना टीकाकरण
अभियान बेहद सफल रहा है। अभी तक 220 करोड़ से अधिक खुराकें दी जा चुकी हैं। देश में 95.3
करोड़ लोगों को दोनों खुराकें देकर टीकाकरण की प्रक्रिया को संपूर्ण किया गया है। करीब 22.3 करोड़
वरिष्ठ नागरिक ऐसे हैं, जिन्हें कथित बूस्टर डोज भी दी जा चुकी है। हालांकि यह औसत बहुत कम
है। टीकाकरण की गति भी इन दिनों बहुत धीमी प्रतीत होती है, क्योंकि बीते 10-16 दिसंबर वाले
सप्ताह में 3.09 लाख खुराकें ही दी गईं। यह आंकड़ा टीकाकरण की शुरुआत करने वाले दौर से भी
कम है, क्योंकि जनवरी, 2021 के सप्ताह में 12.4 लाख खुराकें मुहैया कराई गई थीं। भारत में
टीकाकरण बिल्कुल मुफ़्त रहा है, फिर भी एक तबका टीका-विरोधी रहा है। संभावित खतरों के
मद्देनजर हमें सतर्क होना पड़ेगा।