स्कूल जाने से क्यों कतराता है बच्चा

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स्कूल जाने से कतराता है बच्चा? डांटने की बजाय तलाशिए कारण, हो सकती हैं ये  वजहें - reasons of kids hesitating or scared to go to school in hindi –  News18 हिंदी

विनीत माहेश्वरी (संवाददाता) 

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शुरूआत में कई बच्चे स्कूल जाने में आनाकानी करते हैं. दुनिया में शायद ही कोई ऐसा हो जो
बचपन में स्कूल जाते समय न रोया हो. कम उम्र में अपनी सिरदर्दी कम करने के लिए माता-पिता
बच्चों को स्कूल भेज देते हैं.
स्कूल का बचपन से ही डर, बंधन वहां का माहौल जिससे बच्चा स्कूल का नाम सुनते ही रोना शुरू
कर देता है. उससे नकारात्मक बातें बोलना जैसे-तुम्हें स्कूल में भेजेंगे, तब पता चलेगा जब मैडम
खूब पीटेगी. ऐसी बातों से बच्चे को स्कूल कोई जेल जैसी लगती है . इन बातों का बच्चे के दिमाग
पर गलत असर देखने को मिलता है.
वह रात में सोते समय बड़बड़ाने में कहने लगता है, मुझे स्कूल मत भेजो, मैडम मारेगी. इधर स्कूल
न जाने पर पिटाई उधर रोता, डरा, सहमा हुआ बच्चा मन के खिलाफ स्कूल जाता है. अपने को

दुनिया में अकेला महसूस करता है. छुट्टी होने पर ऐसे भागता है जैसे पक्षी जाल से भागता है.
छुट्टी वाले दिन ही उसकी खुशी वाला चेहरा देखने को मिलता है.
क्या करें-
बच्चों का स्वतंत्रता से खेलना जन्मसिद्ध अधिकार है. धमाचौकड़ी, खेलकूद, ऊधमबाजी, नटखटपना
बिना किसी रूकावट के हो, यही तो बचपन है. यदि बच्चा ऐसा न कर चुप बैठा है तो समझने में
तनिक भी देर न करें कि बच्चा बीमार है. स्वस्थ बच्चा शायद ही कभी चैन से बैठे .
मां मनोवैज्ञानिक की तरह व्यवहार करे . बच्चे को स्कूल न कह कर खेल-मैदान, लंच खाने वाली,
कहानियां सुनाने वाली जगह कह कर भेजना चाहिए तो उसे सहज व अच्छा लगेगा. बच्चे के साथ
दोस्त जैसा व्यवहार कर विश्वास जीतना चाहिए. साथ में उसकी भावनाओं का भी ख्याल रखना
चाहिए.
पढ़ाई को बच्चे के मन पर हावी न होने दें . सभी पढ़ कर ऊंचे पद पर पहुंचें ऐसा नहीं होता. यह
कहें कि जो पढ़ते नहीं वह कुछ भी नहीं बन पाते . नए व्यक्ति, टीचर, मैडम, आया आदि से पहली
बार मुलाकात होती है उनके व्यवहार पर भी बच्चे का स्कूल जाना आश्रित रहता है.

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