



विनीत माहेश्वरी (संवाददाता)
दिल्ली महानगर पालिका निगम में 15 वर्षों से भारतीय जनता पार्टी का शासन था। इसके चुनाव
परिणाम घोषित हो गए हैं। आम आदमी पार्टी स्पष्ट बहुमत के साथ एमसीडी में अपनी सरकार
बनाती हुई नजर आ रही है। वहीं भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में आम आदमी पार्टी
को चुनौती देने वाली पार्टी के रूप में सामने आई है। दिल्ली में कांग्रेस का प्रदर्शन बहुत ही
निराशाजनक रहा। कांग्रेस के बड़बोले नेता जो दिल्ली में ही रहते हैं। बड़ी-बड़ी बातें करते हैं। पिछले
15 वर्षों में उनके कारण कांग्रेस दिल्ली में समाप्त प्राय होने की स्थिति में पहुंच गई हैं। वह बार्ड में
भी अपने उम्मीदवारों का चयन नहीं कर पाई जो चुनाव जीत सके। कांग्रेस दहाई के आंकड़े पर नहीं
पहुंच पाई। इससे ज्यादा निराशाजनक प्रदर्शन कांग्रेस का नहीं हो सकता है।
एमसीडी के चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं में जिस तरीके
का वाक् यद्ध और एक दूसरे के ऊपर आरोप लगाने का सिलसिला पिछले कई महीनों से चल रहा
था। दोनों ही एक दूसरे के ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे थे। दिल्ली के एक मंत्री सत्येंद्र जैन
पिछले कई महीनों से जेल में बंद है। उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के यहां सीबीआई और ईडी के
छापे जेल जाने की खबरों से पिछले 3 महीने दिल्ली की राजनीति में बड़ी सरगर्मी रही। भारतीय
जनता पार्टी ने इस चुनाव में अपने सभी दिग्गज केंद्रीय मंत्रियों मुख्यमंत्रियों सांसदों और अन्य प्रदेशों
से नेताओं को बुलाकर चुनाव प्रचार में लगा दिया था। इसके बाद भी आम आदमी पार्टी एमसीडी के
चुनाव में अपना बहुमत साबित करने में सफल रही। यह केजरीवाल के आत्मविश्वास और बढ़ती
ताकत का प्रीतक है।
आम आदमी पार्टी पिछले कई महीनों से चर्चाओं में बनी हुई है। इसे भारतीय जनता पार्टी की बी टीम
भी बताया जा रहा है। गुजरात एवं हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भी आम आदमी पार्टी ने
जमकर चुनाव प्रचार किया। हिमाचल से आम आदमी पार्टी चुनाव के दौरान लगभग लगभग बाहर हो
गई थी। गुजरात में 3 महीने धुआंधार प्रचार आम आदमी पार्टी ने किया। दिल्ली के चुनाव घोषित
होने के बाद आम आदमी पार्टी वहां से भी रुखसत हो गई। गुजरात-हिमाचल और दिल्ली के चुनाव
को लेकर जो एग्जिट पोल जारी हुए हैं। उसमें हिमाचल कांग्रेस को गुजरात भाजपा को और आम
आदमी पार्टी को दिल्ली मिलना तय माना जा रहा था। चुनाव प्रबंधन से जीते जाते हैं। इस प्रबंधन में
भारतीय जनता पार्टी का मुकाबला करने की स्थिति किसी भी राजनैतिक दल की नहीं है। चुनाव
विशेषज्ञों के अनुसार दिल्ली नगर निगम के चुनाव मैं आम आदमी पार्टी की जीत तय मानी जा रही
थी।
हिमाचल में यदि कांग्रेस की सरकार बन जाती है तो इससे ईवीएम मशीनों की विश्वसनीयता को भी
चुनाव आयोग एवं भाजपा द्वारा सही ठहराया जा सकेगा। इन तीनों चुनाव को लेकर यही अटकले
राष्ट्रीय स्तर पर चल रही हैं। दिल्ली एमसीडी के चुनाव एवं गुजरात हिमाचल विधानसभा चुनाव के
परिणाम राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा पर भी विपरीत असर डालने वाले होंगे। 2024 के
लोकसभा चुनाव तथा 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिये यह परिणाम कहीं ना कहीं
भाजपा को आत्मशान्ति बढ़ाने और कांग्रेस का आत्मविश्वास खत्म करने वाले होंगे। यह भी तय है
कि भाजपा का धनबल मीडिया और जन-जन तक पहुंचने की रणनीति का मुकाबला करने की स्थिति
कांग्रेस और विपक्षी दलों में नहीं है। यह चुनाव गुजरात और हिमाचल के चुनाव परिणामों से स्पष्ट
हो जाएगा।