विनीत माहेश्वरी (संवाददाता)
नई दिल्ली, 06 दिसंबर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने मंगलवार को कहा
कि वित्तीय सहायता आतंकवाद की जड़ है और आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने को अधिक
प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
डोभाल ने प्रमुख क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए एक समान ढांचा विकसित करने के
मकसद से मध्य-एशियाई क्षेत्र के अपने समकक्षों की मंगलवार को मेजबानी करते हुए यह बयान
दिया।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की भारत-मध्य एशिया बैठक की शुरुआत करते हुए अपने संबोधन में
डोभाल ने चीन की ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ (बीआरए) परियोजना के संदर्भ में कहा, ‘‘ संपर्क
परियोजनाओं का विस्तार करते समय, यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि सभी देशों की संप्रभुता
व क्षेत्रीय अखंडता के मद्देनजर संपर्क कायम करने के कदम पारदर्शी हों व परामर्श तथा भागीदारी से
उठाए जाएं।’’
डोभाल ने मध्य-एशिया को भारत का ‘‘विस्तारित पड़ोसी’’ करार देते हुए कहा कि भारत इस क्षेत्र को
‘‘सर्वोच्च प्राथमिकता’’ देता है। उन्होंने कहा कि अफगानिस्ताान एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, ‘‘ जिसे
लेकर सभी चिंतित हैं।’’
डोभाल ने अफगानिस्तान सहित क्षेत्र में आतंकवाद की चुनौतियों से निपटने के लिए एक समान ढांचा
विकसित करने और जनवरी में हुए पहले भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन में किए गए फैसलों के
साथ समग्र सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने के तरीकों पर ध्यान देने के मकसद से सम्मेलन की
मेजबानी की।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कहा कि बैठक अंतरराष्ट्रीय संबंधों में उथल-पुथल और भविष्य को लेकर
कायम अनिश्चितता के बीच हो रही है।
उन्होंने कहा कि एक शांतिपूर्ण, सुरक्षित व समृद्ध मध्य-एशिया के लिए ‘‘ हमारे हित एक से ’’ हैं।
डोभाल ने कहा, ‘‘ आज की बैठक, इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हमें उन मामलों पर चर्चा
करने का अवसर देती है जिनके लिए क्षेत्रीय देशों के बीच अधिक सहयोग व समन्वय की आवश्यकता
है।’’
अपने संक्षिप्त संबोधन में डोभाल ने अधिकतर आतंकवाद की चुनौती, अफगानिस्तान की स्थिति और
क्षेत्रीय संपर्क परियोजनाओं के महत्व पर बात की।
जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे पाकिस्तान आधारित आतंकवादी संगठनों सहित आतंकवादी
कृत्यों के लिए अफगानिस्तान की सरजमीं के इस्तेमाल को लेकर भारत की बढ़ती चिंताओं के बीच
उन्होंने कहा, ‘‘ वित्त पोषण आतंकवाद का आधार है और आतंकवाद के वित्त पोषण को रोकना हम
सभी की एक समान प्राथमिकता होनी चाहिए।’’
कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार इस बैठक में
हिस्सा ले रहे हैं, जबकि बैठक में तुर्कमेनिस्तान का प्रतिनिधित्व भारत में उसके राजदूत कर रहे हैं।
डोभाल ने कहा, ‘‘ अफगानिस्तान एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, जिसे लेकर सभी चिंतित हैं।
अफगानिस्तान में तात्कालिक प्राथमिकताओं के संबंध में भारत के लक्ष्य इस मंच पर मौजूद कई देशों
के समान हैं।’’
उन्होंने कहा कि मध्य-एशियाई देशों के साथ संपर्क भारत की एक प्रमुख प्राथमिकता बनी हुई है और
भारत इस क्षेत्र में सहयोग, निवेश और संपर्क कायम रखने को तैयार है।
डोभाल ने कहा, ‘‘ हमें संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों से आतंकवादी कृत्यों में शामिल संस्थाओं या
लोगों को किसी भी प्रकार की सहायता प्रदान करने से बचने और आतंकवाद-रोधी समझौतों व
‘प्रोटोकॉल’ में निहित दायित्वों को पूरा करने का आह्वान भी करना चाहिए।’’
डोभाल ने जनवरी में हुए पहले भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन का भी उल्लेख किया जिसकी
मेजबानी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की थी। यह सम्मेलन ऑनलाइन आयोजित किया गया था।
उन्होंने कहा, ‘‘ आपकी उपस्थिति हमारे सामंजस्य का प्रमाण है और यह चर्चाओं को समृद्ध करेगी।
मध्य एशिया हमारा विस्तारित पड़ोसी है जिसके साथ हमारे सभ्यता आधारित संबंध हैं और हम इस
क्षेत्र को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हैं।’’
डोभाल ने कहा, ‘‘ हमारे नेताओं की जनवरी की बैठक में क्षेत्र में सुरक्षा संबंधी मुद्दों पर चर्चा के
लिए सुरक्षा परिषदों के सचिवों की नियमित बैठक बुलाने पर सहमति बनी थी। यह बैठक उसी
आधार पर हो रही है।’’
वहीं ताजिकिस्तान के सुरक्षा परिषद के सचिव ने कहा कि क्षेत्र में सुरक्षा संबंधी खतरे बढ़ रहे हैं और
नई चुनौतियां सामने आ रही हैं जिसमें ‘‘ साइबर अपराध, साइबर आतंकवाद और पर्यावरण एवं
जैविक खतरे’’ शामिल हैं।