



विनीत माहेश्वरी (संवाददाता)
कांग्रेस के नए अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े ने पार्टी के बिखरे और उदासीन हो चुके संगठन को
मजबूत करने का पाठ पढ़ाया है। उन्होंने अभी से 2024 के आम चुनाव की रणनीति पर विमर्श का
आह्वान किया है। खडग़े ‘यात्रा की राजनीति’ को जारी रखने के पक्षधर हैं, लिहाजा 26 जनवरी,
गणतंत्र दिवस, से एक और यात्रा शुरू की जाएगी। उसे मंडल और पंचायत स्तर पर ‘हाथ से जोड़ो
हाथ’ का भावार्थ दिया गया है। राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के बाद अब प्रियंका गांधी वाड्रा हर
राज्य में ‘महिला मार्च’ का नेतृत्व करेंगी। प्रत्येक ‘महिला मार्च’ का अपना अलग घोषणा पत्र होगा,
ताकि महिलाओं की समस्याओं को व्यापक परिप्रेक्ष्य में समझा जा सके। दरअसल खडग़े आम आदमी
के स्तर तक कांग्रेस का नया जुड़ाव तय करना चाहते हैं, लिहाजा उन्होंने पार्टी पदाधिकारियों तक को
सख्त संदेश दिया है-‘या तो आगे बढ़ें, नहीं तो एक तरफ हो जाएं।’ कांग्रेस अध्यक्ष चाहते हैं कि पार्टी
में ऊपर से नीचे तक, संगठनात्मक जवाबदेही और जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। जो पदाधिकारी और
कार्यकर्ता जिम्मेदारी निभाने में अक्षम हैं, उन्हें अपने साथियों के लिए रास्ता साफ कर देना चाहिए।
यदि कांग्रेस का संगठन सशक्त और मजबूत है, जवाबदेह और लोगों की अपेक्षाओं पर खरा उतरने
योग्य है, तो हम कोई भी चुनाव जीत सकते हैं। पार्टी का 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर
आगे बढऩे का रास्ता सिर्फ यही है।’ कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद खडग़े ने शीर्षस्थ कांग्रेस
कार्यसमिति को ‘संचालन समिति’ में तबदील कर दिया था। उसी की बैठक की अध्यक्षता करते हुए
उन्होंने चेतावनी जारी की, पदाधिकारियों को जवाबदेही का पाठ पढ़ाया और राज्यों के प्रभारी नेताओं
को आईना दिखाते हुए आगाह किया है। नए कांग्रेस अध्यक्ष का स्पष्ट निर्देश है कि राज्यों के पार्टी
प्रभारी महासचिव या नेता कमोबेश यह सुनिश्चित करें कि एक माह में उन्होंने औसतन 10 दिन
राज्य में दौरे किए हैं। जिला और मंडल स्तर के नेताओं से मुलाकातें की हैं और स्थानीय मुद्दों तथा
समस्याओं को समझने की कोशिश की है। खडग़े ने आगामी तीन माह की योजनाओं और कार्यक्रमों
की रपटें भी मांगी हैं। प्रदेश प्रभारी यह स्पष्ट करें कि आने वाले 90 दिनों के भीतर जनवादी और
सामयिक मुद्दों और समस्याओं पर जन-आंदोलन छेडऩे के रोडमैप क्या हैं? दरअसल कांग्रेस अध्यक्ष
खडग़े का पूरा फोकस 2024 के आम चुनाव पर है।
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में फरवरी के दूसरे पखवाड़े में तीन दिवसीय कांग्रेस महाधिवेशन का
आयोजन किया जाएगा। उसमें खडग़े की अध्यक्षी पर मुहर लगाई जाएगी और कांग्रेस कार्यसमिति के
लिए चुनाव भी होंगे। महाधिवेशन के दौरान 2024 के लोकसभा चुनाव की रणनीति और राजनीति पर
भी शुरुआती विमर्श किया जाएगा, ताकि एक तात्कालिक ब्लूप्रिंट तैयार किया जा सके। बेशक इस
तरह के संदेश पहले भी जारी किए जा चुके हैं, लेकिन वे गांधी परिवार के अध्यक्षों ने किए थे। खडग़े
गैर-गांधी अध्यक्ष हैं और पार्टी में उतने स्वीकार्य भी नहीं रहे हैं। हालांकि अब अध्यक्ष बन जाने के
बाद उनकी हैसियत कुछ और ही होगी, लेकिन सवाल है कि क्या मौजूदा कांग्रेस संगठन ऐसे सख्त
संदेश को स्वीकार करेगा। कांग्रेस फिलहाल ऐसी स्थिति में है कि उसके विधायक, मुख्यमंत्री स्तर के
और बड़े नेता भी पार्टी छोड़ कर भाजपा में जा रहे हैं या अपनी पार्टी बनाई है। यह दौर कांग्रेस को
समेटने और लामबंदी का है। अभी तो पार्टी के भीतर खडग़े की स्वीकार्यता साबित होनी है, उसके
बाद यह उपसंहार सामने आ सकता है कि उनके नेतृत्व में पार्टी कितनी सक्रिय और संगठित होती
है।