आयातित तेल के दाम टूटना जारी, तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट

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Cooking oil price today, 03 December 2022: Imported Edible oil prices  continue to fall, oil-oilseed prices fall, know the latest rates - Cooking  oil price today, 03 दिसंबर: इंपोर्टेड तेल के दाम

विनीत माहेश्वरी (संवाददाता )

नई दिल्ली, 04 दिसंबर विदेशी बाजारों में तेल-तिलहनों के दाम टूटना जारी रहने के
कारण में देशी तेल तिलहनों के भाव प्रभावित हुए, जिससे दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में शनिवार को
सोयाबीन तेल, कच्चा पामतेल (सीपीओ), बिनौला और पामोलीन तेल कीमतों में गिरावट देखने को
मिली। देशी तेल तिलहनों की पेराई महंगा बैठने और सस्ते आयातित तेलों के मुकाबले इन तेलों के
भाव बेपड़ता होने के बीच सरसों और मूंगफली तेल-तिलहन तथा सोयाबीन तिलहन के भाव पूर्वस्तर
पर बने रहे।
बाजार सूत्रों ने कहा, ‘‘विदेशी तेलों में आई गिरावट हमारे देशी तेल तिलहनों पर कड़ा प्रहार कर रहा
है जिससे समय रहते नहीं निपटा गया तो स्थिति संकटपूर्ण होने की संभावना है। विदेशी तेलों के
दाम धराशायी हो गये हैं और हमारे देशी तेलों के उत्पादन की लागत अधिक बैठती है। अगर स्थिति
को संभाला नहीं गया तो देश में तेल तिलहन उद्योग और इसकी खेती गंभीर रूप से प्रभावित होगी।
सस्ते आयातित तेलों पर आयात कर अधिकतम करते हुए स्थिति को संभाला नहीं गया तो किसान
तिलहन उत्पादन बढ़ाने के बजाय तिलहन खेती से विमुख हो सकते हैं क्योंकि देशी तेलों के उत्पादन
की लागत अधिक होगी। देश के आयात पर पूर्ण निर्भरता होने के कारण भारी मात्रा में विदेशीमुद्रा का
अपव्यय बढ़ सकता है।’’
सूत्रों ने कहा कि सरसों, मूंगफली, सोयाबीन और बिनौला जैसे देशी तेल तिलहन की हमें बिजाई हर
साल करनी होती है। इसके अलावा खाद, पानी, बिजली, डीजल, मजदूरी जैसी लागत हर साल वहन
करना होता है लेकिन पाम और पामोलीन के मामले में यह स्थिति भिन्न है क्योंकि एक बार इनके
पेड़ लगाने के बाद मामूली देखरेख खर्च के साथ बगैर बड़ी लागत के अगले लगभग कई सालों तक
ऊपज प्राप्त होती रहती है।
सूत्रों ने कहा कि कई तेल तिलहन विशेषज्ञ, पूर्वोत्तर राज्यों सहित देश के कुछ अन्य भागों में पाम की
खेती बढ़ाने की सलाह देते हैं और इस दिशा में सरकार ने प्रयास भी किये हैं। ऐसा करना एक हद
तक सही है लेकिन यदि हमें पशुचारे, डीआयल्ड केक (डीओसी) और मुर्गीदाने की पर्याप्त उपलब्धता

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और आत्मनिर्भरता चाहिये तो वह सरसों, मूंगफली, सोयाबीन और बिनौला जैसे देशी फसलों से ही
प्राप्त हो सकता है। निजी उपयोग के अलावा इसका निर्यात कर देश के लिए विदेशीमुद्रा भी अर्जित
किया जा सकता है। तेल तिलहन के संदर्भ में इन वास्तविकताओं को ध्यान में रखकर ही कोई
फैसला लिया जाना चाहिये।
सूत्रों ने कहा कि देश के प्रमुख तेल संगठनों को सरकार को जमीनी हकीकत भी बताना चाहिये कि
सस्ते खाद्यतेलों के आयात से देश के तेल तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर होने का लक्ष्य गंभीर रूप
से प्रभावित होगा और इस स्थिति को बदलने के लिए इन सस्ते आयातित तेलों पर पहले की तरह
और हो सके तो अधिकतम सीमा तक आयात शुल्क लगा दिया जाना चाहिये। अगर खाद्य तेलों के
दाम कम रहे तो खल की भी उपलब्धता कम हो जायेगी।
सस्ते आयात के मद्देनजर सीपीओ, पामतेल, बिनौला और सोयाबीन तेल कीमतों में गिरावट आई।
जबकि शादी विवाह के मौसम की मांग के बीच देशी तेलों का भाव बेपड़ता बैठने के कारण सरसों
और मूंगफली तेल तिलहन और सोयाबीन दाना एवं सोयाबीन लूज (तिलहन) के दाम पूर्वस्तर पर बने
रहे।
शनिवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन – 7,100-7,150 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली – 6,360-6,420 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 14,800 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल 2,390-2,655 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 14,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 2,120-2,250 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 2,180-2,305 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,400 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,250 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 11,500 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 8,450 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 11,450 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9,950 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 9,000 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना – 5,450-5,550 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज 5,260-5,310 रुपये प्रति क्विंटल।
मक्का खल (सरिस्का) 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।

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