दूधमुही बच्चियों के साथ सगे चाचा ने किया बलात्कार

Advertisement

Madhya Pradesh Crime News Uncle turned executioner raped two real nieces  accused arrested in Rewa, Rewa News Today, Rewa News in Hinidi, Newstrack  Hindi Samachar | MP News: जल्लाद बना चाचा दो

विनीत माहेश्वरी (संवाददाता )

मन दहलाने वाला एक समाचार आया जिसमें एक सगे चाचा ने पहले अपनी 7 वर्ष की भतीजी के
साथ रेप ‎किया ‎‎फिर 46 दिन के बाद अपनी 15 माह की सगी भतीजी के साथ बलात्कार किया।
पहली घटना में परिवार के लोगों ने मामले को दबाने का प्रयास किया। इसी प्रयास के कारण आरोपी
चाचा ने 15 माह की अबोध बच्ची के साथ भी बलात्कार करने का दुस्साहस किया। इस घटना ने
मानवीय जीवन सामाजिक व्यवस्था और पारिवारिक रिश्ते तीनों पर ही बड़ा प्रश्नचिन्ह लगा दिया है।
मानव समाज किस ओर जा रहा है यह कृत्य तो शायद राक्षस भी नहीं करते हैं जो आरोपी चाचा
प्रमोद चतुर्वेदी उम्र 22 वर्ष ने अपने 2 भतीजियों के साथ जिनकी उम्र मात्र 7 वर्ष और 15 माह की
थी। यह 22 वर्ष के युवक का दुस्साहस ही था। पत्नी ससुराल में रहती थी उसका पति भोपाल में

Advertisement

काम करता था। पता को सूचना देने पर आरोपी ने अपनी भाभी के साथ मारपीट की। पुलिस ने
आरोपी के विरुद्ध दुष्कर्म की विभिन्न धाराओं के अलावा पास्को एक्ट के अंतर्गत अपराध कायम कर
गिरफ्तार कर लिया है।
इस तरह के रेप की यह अकेली घटना नहीं है। रोजाना इस तरह की घटनाएं देशभर के विभिन्न
हिस्सों में कहीं ना कहीं होरही हैं। इसके समाचार भी प्रकाशित हो रहे हैं। पुलिस कार्रवाई भी कर रही
है। इसके बाद भी इस तरह की की घटनाएं बजाए कम होने के और बढ़ती जा रही हैं। सामाजिक एवं
पारिवारिक व्यवस्था में छोटे-छोटे बच्चों के साथ इस तरह के कृत्य को किस रूप में लिया जाए यह
समाज और सरकार के लिए सबसे चिंतनीय मुद्दा होना चा‎हिए। हम सामाजिक व्यवस्था में कैसे
राक्षसों और पशुओं से भी आगे निकलने की होड़ में लगे हुए हैं। पिछले दो दशक में इंटरनेट की
विभिन्न वेबसाइट के माध्यम से अकारण ‎बिना इच्छा के सेक्स परोसा जा रहा है। सेक्स को एक
अपराध मानकर महिला संगठन और सरकार तरह-तरह के कानून बना रहे हैं। प्राकृतिक एवं
सामाजिक व्यवस्था को दरकिनार करते हुए जो कानून सरकारों द्वारा बनाए जा रहे हैं। वह भी इस
समस्या को बढ़ाने का सबसे बड़ा कारण बन रहे हैं। कोरोना की बीमारी के बाद इंटरनेट छोटे-छोटे
बच्चों तक पहुंच गया है। इंटरनेट पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है। तरह-तरह की विकृतियां
इंटरनेट एवं मोबाइल फोन के माध्यम से छोटे बच्चों युवाओं एवं परिवार के सभी सदस्यों और समाज
से जुड़े हुए सभी लोगों के बीच में विकृति के रुप में फैल रही है उसने मानवीय संवेदना सामाजिक
व्यवस्था संस्कृति पारिवारिक व्यवस्थाओं को कड़ा आघात पहुंचा ‎दिया है।
भारतीय समाज अपने संस्कारों और पारिवारिक व्यवस्था को लेकर सारी दुनिया में एक अलग पहचान
रखता था। पिछले दो दशक में ऐसा क्या हो गया कि भारत में इस तरह के सबसे ज्यादा दुष्परिणाम
देखने को मिल रहे हैं। पैसे के लिए आदमी कुछ भी करने के लिए तैयार है। नैतिकता धीरे-धीरे खत्म
होती जा रही है। सामाजिक व्यवस्थाओं को आर्थिक तंत्र ने तोड़कर रख ‎दिया है। जो जीता वही
सिकंदर है जिसके पास पैसा है वह चाहे जो करना चाहता है वह कर सकता है। इस अवधारणा को
भारतीय समाज ने स्वीकार कर ‎लिया है। रीवा की यह जो घटना हुई है यह एक संस्का‎रित पंडित
परिवार की घटना है। यह एक परिवार की घटना है यह एक समाज की घटना है। यह मध्यप्रदेश जैसे
राज्य जहां बेटी बचाओ का अभियान और बेटियों के प्रति जो सम्मान है उस प्रदेश की घटना है। यह
उस भारत राष्ट्र की घटना है जहां पर 33 करोड़ देवी-देवता निवास करते हैं। विभिन्न धर्मों में कर्म
के फल के आधार पर पाप-पुण्य का निर्धारण होता है। उस देश में यदि ऐसी अमानवीयता के कृत्य
देखने को मिल रहे हैं जो राक्षसों और पशुओं में भी देखने को नहीं मिलते हैं। यदि अभी भी हमारे
धर्मगुरु सामाजिक नेतृत्व प्रदान करने वाले समाजसेवियों राजनेताओं और अदालतों की इस तरह की
अमानवीयता को लेकर उनके मन में कोई उद्देलना या अपनी जिम्मेदारी का एहसास नहीं हो रहा है
तो निश्चित रूप से भारत अब वह भारत नहीं रहा जिसकी हम बात दिखावे के लिए करते हैं। इस
तरह की घटनायें क्यों बढ़ रही हैं हमें इसके कारणों को भी खोजकर इन कारणों को समाप्त करना
होगा। उम्र कैद और फांसी से इस तरह की घटनाओं को रोका जा सकता तो वह कानून बन गए।
ले‎किन घटनायें कम होने के स्थान पर क्यों बढ़ रही हैं। इस पर ‎चिंतन जरुर करना चा‎हिए।

वाल्ट डिज्नी के जन्मदिवस (5 दिसम्बर) पर विशेष : डिज्नीलैंड की स्थापना में 300 बार असफल
हुए थे वाल्ट डिज्नी
-योगेश कुमार गोयल-
05 दिसम्बर 1901 को जन्मे वाल्टर एलियास वाल्ड डिज्नी द्वारा मूल रूप से अमेरिका के
कैलिफोर्निया के एनाहिम में स्थित बनवाए गए डिज्नीलैंड में प्रतिवर्ष करीब एक करोड़ साठ लाख
पर्यटक पहुंचते हैं जहां अभी तक 50 करोड़ से भी ज्यादा पर्यटक पहुंच चुके हैं। इन पर्यटकों में कई
देशों के राष्ट्रपति राष्ट्राध्यक्ष तथा अनेक शाही लोग भी शामिल हैं। ‘डिज्नीलैंड’ एक ऐसा मनोरंजन
और थीम पार्क है जहां दुनियाभर से आने वाले बच्चों के साथ-साथ बड़े भी खूब मस्ती करते हैं
क्योंकि यह ऐसी जगह है जहां कल्पनाओं से भरी अनूठी दुनिया हर किसी को आनंदित करती है।
वाल्ड डिज्नी द्वारा डिज्नीलैंड का नाम इसके संस्थापक वाल्ट डिज्नी के नाम पर ही रखा गया।
वाल्ट डिज्नी चाहते थे कि वे एक ऐसे थीम पार्क का निर्माण करें जहां माता-पिता और बच्चे दोनों ही
एक साथ आनंद ले सकें। डिज्नीलैंड के रूप में उन्होंने अपने इसी विचार को मूर्त रूप दिया।
वर्ष 1940 के आसपास की बात है जब एक बार रविवार के दिन वाल्ट डिज्नी अपनी दोनों प्यारी
बेटियों डियान और भोरॉन के साथ ग्रिफिश पार्क में घूमने गए थे। हालांकि वहां दूसरे बच्चे मस्ती कर
रहे थे लेकिन उनकी बेटियों को वह पार्क इतना अच्छा नहीं लगा। तब वाल्ट डिज्नी के मन में विचार
आया कि क्यों न एक ऐसी जगह विकसित की जाए जहां बच्चों के साथ-साथ बड़े भी भरपूर मस्ती
कर सकें। उसी के बाद वाल्ट डिज्नी थ्रिलर और मस्ती से भरी एक ऐसी ही दुनिया के निर्माण में जुट
गए। कहा जाता है कि वाल्ट डिज्नी ‘डिज्नीलैंड’ की स्थापना करने के मुकाम तक पहुंचने में करीब
तीन सौ बार असफल हुए किन्तु उन्होंने हार नहीं मानी और काफी लंबे प्रयासों तथा अथक परिश्रम
के बाद ‘डिज्नीलैंड’ के रूप में उनका सपना साकार हुआ जो आज दुनियाभर में हर किसी के आकर्षण
का केन्द्र बना है। असफलताओं से जूझते-जूझते सफलता के इतने बड़े मुकाम तक पहुंचने की उनकी
यह कहानी ऐसे लोगों के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा भी है जो एक-दो बार की असफलता के बाद ही हार
मानकर अपने जीवन से निराश हो जाते हैं। वाल्ट डिज्नी जब 19 साल के थे तब उन्होंने अपने एक
दोस्त के साथ मिलकर एक कमर्शियल आर्टिस्ट कम्पनी की नींव रखी। उस समय वे कई अखबारों
और प्रकाशकों के लिए कार्टून बनाया करते थे।
16 अक्तूबर 1923 को उन्होंने अपने भाई के साथ मिलकर ‘डिज्नी ब्रदर्स कार्टून स्टूडियो’ की नींव
रखी। बहुत थोड़े ही समय में डिज्नी के कार्टून्स की लोकप्रियता इतनी बढ़ गई कि लोग चिट्ठियां
लिख-लिखकर उनके स्टूडियो में आने की इच्छा जताने लगे। उनका स्टूडियो छोटा था इसलिए उन्होंने
ऐसा थीम पार्क बनाने के अपने आइडिया को मूर्त रूप देने का निश्चय किया जहां लोग दिनभर
परिवार के साथ खूब मस्ती कर सकें। हालांकि पहले इस पार्क को स्टूडियो के पास ही तीन एकड़
जगह पर बनाए जाने पर विचार हुआ किन्तु बाद में इसे एनाहिम में 65 एकड़ के विशाल क्षेत्र में

बनाया गया। डिज्नीलैंड की स्थापना के बाद वाल्ट डिज्नी दुनियाभर के मनोरंजन पार्कों में घूम-
घूमकर देखते रहे कि वहां लोगों की दिलचस्पी किन-किन चीजों में है उसी के आधार पर डिज्नीलैंड में
भी वे उन सभी चीजों का समावेश करते रहे जो लोगों को ज्यादा आकर्षित करती थी।
‘वाल्ट डिज्नी पाकर््स’ के स्वामित्व वाले डिज्नीलैंड की स्थापना 17 जुलाई 1955 को हुई थी। उस
दिन सजीव टेलीविजन प्रसारण के साथ डिज्नीलैंड का पूर्वावलोकन किया गया था जिसे आर्ट
लिंकलेटर और रोनाल्ड रीगन द्वारा आयोजित किया गया था। उसके अगले दिन 18 जुलाई 1955
को डिज्नीलैंड को आम लोगों के लिए खोल दिया गया था जहां एक डॉलर मूल्य का इसका सबसे
पहला टिकट इसके संस्थापक वाल्ट डिज्नी के भाई ने खरीदा था। आजकल यहां के एक दिन के
टिकट की कीमत सौ डॉलर से भी ज्यादा है। 17 जुलाई को ओपनिंग के दिन हालांकि वाल्ट डिज्नी ने
ओपनिंग सेरेमनी में कुछ खास मेहमानों के अलावा कुछ पत्रकारों को ही आमंत्रित किया था किन्तु
इस समारोह में करीब 28 हजार लोग पहुंचे गए जिनमें से आधे से भी ज्यादा ऐसे लोग थे जिन्हें
कोई आमंत्रण नहीं दिया गया था। डिज्नीलैंड के उस समारोह का सीधा प्रसारण किया गया था। लोगों
की अचानक उमड़ी भीड़ के चलते चारों तरफ अव्यवस्था का आलम बन गया था। पीने के पानी की
कमी हो गई थी बेहद गर्मी के चलते कुछ ही समय पहले वहां कुछ जगहों पर जमीन पर डाला गया
तारकोल पिघलने से महिलाओं की सैंडिलें उस पर चिपक रही थी। जो कोल्ड ड्रिंक कम्पनी डिज्नीलैंड
की उस ओपनिंग सेरेमनी को स्पांसर कर रही थी उसने पानी की कमी होने पर नलों से पानी आना
बंद होने पर नलों के पास ही कोल्ड ड्रिंक बेचना शुरू कर दिया था जिससे लोगों में खासी नाराजगी
भी उत्पन्न हो गई थी। यही वजह रही कि डिज्नीलैंड के ‘ओपनिंग डे’ को ‘ब्लैक संडे’ के नाम से भी
जाना जाता है।
वैसे तो पूरा डिज्नीलैंड ही कल्पनाओं रहस्य और रोमांच से भरा है फिर भी मिकी माउस मिनी माउस
प्रिंसेस टियाना टिंकर बेल गूफी पूह जैसे डिज्नी कार्टून कैरेक्टर्स के साथ अलग-अलग थीम पर बने
डिज्नीलैंड में पेड़ पर टारजन का घर इंडियाना जोंस टेंपल ऑफ द फॉरबिडेन आई पायरेट्स ऑफ द
कैरेबियन माउंटेड मेंसन पैसेंजर ट्रेन रोमांच से भरी जंगल लाइफ फेरिस व्हील स्काई राइड इत्यादि हर
समय आकर्षण का मुख्य केन्द्र बने रहते हैं। बच्चे टीवी पर जिस मिकी माउस और मिनी माउस को
देखकर खुश होते हैं और अपना मनोरंजन करते हैं वे उन्हें यहां जगह-जगह पर घूमते-फिरते बातें
करते और डांस करते नजर आएंगे। इस खूबसूरत मनोरंजन पार्क में ‘मिकी टूनटाउन’ में बच्चों के इन
पसंदीदा कार्टून कैरेक्टर्स का घर बनाया गया है।हालांकि 1971 में फ्लोरिडा के ऑरलैंडो में डिज्नी
वर्ल्ड 1983 में टोक्यो में डिज्नीलैंड 1992 में पेरिस में यूरो डिज्नीलैंड तथा 2005 में हांगकांग
डिज्नीलैंड की भी स्थापना हुई है किन्तु अमेरिका के कैलिफोर्निया के एनाहिम में स्थित ‘डिज्नीलैंड’
सबसे पुराना और सबसे विस्तृत डिज्नीलैंड है जिसका कुल क्षेत्रफल 73.5 हेक्टेयर है जिसमें से 30
हेक्टेयर में थीम पार्क है। बताया जाता है कि यह इतना विशाल मनोरंजन पार्क है कि इसके संचालन
और देखभाल के लिए यहां 65 हजार से भी ज्यादा कर्मचारी कार्यरत हैं।
(लेखक 32 वर्षों से पत्रकारिता में निरन्तर सक्रिय वरिष्ठ पत्रकार हैं)

Leave a Comment

Advertisement
What does "money" mean to you?
  • Add your answer