छत्तीसगढ़-पुलिस प्रताड़ना से तंग युवक के आत्महत्या कर लेने के मामले में पुलिस महानिदेशक को

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Bilha Suicide Case| 3 दिन बाद अंतिम संस्कार को माने परिजन, पुलिस को HRC का  नोटिस | Bilha Suicide Case Cremation done after 3 Days Human Rights  Commision Notice to Chattisgarh Polic

विनीत माहेश्वरी (संवाददाता) 

रायपुर, 02 दिसंबर न्यायधानी बिलासपुर के बिल्हा थाना क्षेत्र में पुलिस प्रताड़ना से तंग
आकर एक 23 वर्षीय व्यक्ति के चलती ट्रेन के सामने कूदकर आत्महत्या कर लेने के मामले में
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने स्वत: संज्ञान लेते हुए छत्तीसगढ़ पुलिस महानिदेशक अशोक जुनेजा
को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है।
उल्लेखनीय है कि बिल्हा क्षेत्र के भैंसबोड़ में रहने वाले हरिश्चंद्र गेंदले में सोमवार की रात ट्रेन के
सामने कूदकर आत्महत्या कर ली थी। इसकी जानकारी होने पर पुलिस ने शव कब्जे में ले लिया।
इधर मंगलवार को स्वजन ने बिल्हा थाने में पदस्थ आरक्षक रूपलाल चंद्रा पर युवक के पिता से
मारपीट और 20 हजार रुपये मांगने का आरोप लगाया। युवक के सामने ही उसके पिता की पिटाई के
कारण युवक के ट्रेन के सामने कूदकर आत्महत्या की बात कही।
स्वजन ने आरक्षक रूपलाल चंद्रा को बर्खास्त करने और उसके खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने
का मामला दर्ज करने की मांग की। इसी बात को लेकर मंगलवार को दिनभर बिल्हा थाने के बाहर
हंगामा चलता रहा।थाने में ग्रामीणों द्वारा घेराव प्रदर्शन,हंगामे और बड़े अधिकारियों के समझाने के
बाद गुरुवार दोपहर को मृतक युवक के शव का अंतिम संस्कार किया गया।मीडिया में खबरें आने के
बाद राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने स्वत: संज्ञान लिया और इस मामले में पुलिस महानिदेशक
अशोक जुनेजा को नोटिस जारी किया गया है।
आयोग का कहना है कि यदि घटना सही है तो ये पीड़ितों के जीवन और गरिमा के अधिकार का
उल्लंघन है।जाहिर तौर पर, किसी को बाइक से टक्कर मारने का यह एक मामूली मामला था, लेकिन
पुलिस द्वारा शक्ति के दुरुपयोग के कारण उसने ना केवल पीड़ित के पिता को अवैध रूप से
गिरफ्तार कर हिरासत में लिया, बल्कि उसे बुरी तरह पीटा भी। जिसे सहन ना कर पाने की वजह से
उसके बेटे ने आत्महत्या कर ली।पुलिस कर्मियों के स्पष्ट असंवेदनशील और अमानवीय रवैये के
कारण एक अनमोल मानव जीवन खो गया है।
आयोग ने डीजीपी अशोक जुनेजा को नोटिस जारी कर चार हफ्ते के भीतर मामले में जिम्मेदार
पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई सहित पीड़ित परिवार को कोई राहत दी गई है या नहीं, इसके
संबंध में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।इस बीच, आयोग ने छत्तीसगढ़ राज्य के लिए अपने विशेष प्रतिवेदक
उमेश कुमार शर्मा को छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में संबंधित पुलिस स्टेशन का दौरा करने के लिए
कहा है, ताकि ये पता लगाया जा सके कि डी.के. बसु बनाम पश्चिम बंगाल राज्य 1997 (1)
एससीसी 416 में उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का संबंधित जिले के पुलिस अधिकारियों द्वारा कैसे
उल्लंघन किया गया है और उन दोषी लोक सेवकों का पता लगाने के लिए भी कहा गया है, जिन्होंने
कथित पीड़ित को यातनाएं दी, जो संवैधानिक रूप से निषिद्ध है। साथ ही यातना के खिलाफ संयुक्त
राष्ट्र अनुबंधों के मुख्य सिद्धांतों के विरुद्ध है। उनसे अधिकारियों पर बेहतर जवाबदेही तय करके
हिरासत में यातना के इस खतरे को रोकने के उपाय सुझाने की भी आशा है। उनसे रिपोर्ट दो महीने
के भीतर प्राप्त होना अपेक्षित है।

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